प्रतिभूति अपील पंचाट (सैट) ने शुक्रवार को बाजार नियामक सेबी के आदेश के खिलाफ रिलायंस इंडस्ट्रीज की याचिका खारिज कर दी। नियामक ने भेदिया कारोबार निषेध नियमन (पीआईटी) के उल्लंघन पर 30 लाख रुपये जुर्माना लगाया था। जून 2022 के आदेश में सेबी ने आरआईएल को इस कानून का उल्लंघन का दोषी पाया क्योंकि वह जियो प्लेटफॉर्म में फेसबुक के संभावित निवेश का ब्योरा तुरंत बताने में विफल रही थी।
न्यायमूर्ति पीएस दिनेश कुमार की अध्यक्षता वाले पीठ ने कहा, हम अपीलकर्ताओं को इन नियमों की अनुसूची ए के सिद्धांत 4 का उल्लंघनकर्ता मानते हैं और सेबी के आदेश को बरकरार रखते हैं। मामला सितंबर 2019 में आरआईएल और फेसबुक के बीच हुआ गोपनीय और नॉन-डिस्क्लोजर समझौते से जुड़ा है जिस पर उन्होंने दस्तखत किए। इसके बाद 4 मार्च, 2020 को जियो प्लेटफॉर्म्स में फेसबुक के निवेश के लिए गैर-बाध्यकारी करार पर हस्ताक्षर किए गए।
कानूनी विशेषज्ञों ने कहा, हालांकि इस मामले में जुर्माना सिर्फ 30 लाख रुपये का था, लेकिन सैट का फैसला समाचार लीक होने और खुलासों से निपटने में कंपनियों के लिए मिसाल बन सकता है। 24 मार्च, 2020 को फाइनैंशियल टाइम्स ने खबर दी थी कि फेसबुक जियो में 10 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के सौदे के करीब पहुंच गई है। भारत के मीडिया ने भी इस खबर को आगे बढ़ाया जिससे आरआईएल के शेयर में 15 फीसदी की उछाल आई।
आरआईएल ने निश्चित कारार से संबंधित दस्तावेज के बाद 22 अप्रैल, 2020 को स्टॉक एक्सचेंजों को जियो-फेसबुक सौदे के बारे में औपचारिक रूप से बताया जिससे इसके शेयर की कीमत में 10 फीसदी की वृद्धि हुई। आरआईएल ने तर्क दिया कि सिद्धांत 4 के तहत बाजार की अफवाहों की पुष्टि या खंडन करना या सौदे का खुलासा करना उसके लिए बाध्यकारी नहीं है, क्योंकि नियमन केवल चुनिंदा लीक पर लागू होता है।