भारत के बड़े शहर में रहने वाले मध्यम आय वर्ग के लोग पर्यावरण के अनुकूल मकानों पर 5 से 10 फीसदी अधिक भुगतान करने की इच्छा रखते हैं, जबकि कॉरपोरेट कंपनियां ग्रीन इमारतों पर 15 फीसदी से अधिक भुगतान करना चाहती है। पर्यावरण अनुकूलता पर ध्यान देने वाली सलाहकार फर्म शिनतेयो की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।
उनमें से मुंबई में रहने वाले लोगों के बीच पर्यावरण के अनुकूल मकान खरीदने की अधिक रुचि है। वे दिल्ली, अहमदाबाद और हैदराबाद में रहने वालों की तुलना में हरियाली और स्वच्छता वाली सुविधाओं वाले भवनों का चयन करने की 70 फीसदी अधिक संभावना रखते हैं।
हालांकि, इसके बावजूद सर्वेक्षण में शामिल 88 फीसदी लोगों को ग्रीन भवनों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसका मतलब हुआ कि रियल एस्टेट क्षेत्र को ग्रीन भवनों की उपलब्धता और इसके फायदे बताने के लिए और अधिक जागरुकता फैलाने की जरूरत है।
कॉरपोरेट कंपनियों में 85 फीसदी से अधिक ऊर्चा बचाने और पर्यावरण के अनुकूल मकानों के लक्ष्य के कारण ग्रीन दफ्तर पट्टे पर ले रहे हैं। 74 फीसदी का कहना है कि वे कम उत्सर्जन वाली इमारतों के लिए उच्च प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं। ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा इसके प्रमुख कारण हैं।
हालांकि, बोर्ड स्तर पर निर्धारित पर्यावरण के अनुकूल लक्ष्यों और रियल एस्टेट निर्णयों के बीच अंतर है। इसके लिए आंतरिक रूप से स्पष्ट बातचीत और प्राथमिकताओं को जानने की जरूरत है। शिनतेयो में सीनियर पार्टनर विपुल कुमार ने कहा, ‘सर्वे के नतीजों से यह पता चलता है कि भारतीय उपभोक्ता पर्यावरण के प्रति मकानों को तवज्जो दे रहे है। आज उपभोक्ता हरियाली, स्वच्छ हवा, भरोसेमंद सामग्री की परवाह करते हैं। यह रियल एस्टेट कंपनियों के लिए इस अवसर का लाभ उठाने और ग्रीन इमारतों को पेश करने का सही वक्त है।’
यह सर्वेक्षण अहमदाबाद, भुवनेश्वर, दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, हैदराबाद और मुंबई के 1,100 निवासियों पर किया गया था, जिसमें 26 कंपनियों के साथ-साथ निम्न मध्यम और मध्यम आय वर्ग के लोग शामिल थे।