पिछले 10 सालों में, मोदी सरकार के नेतृत्व में कई बदलावों के कारण भारत के रियल एस्टेट बाजार में बिक्री और स्थिरता में वृद्धि देखी गई है। यह जानकारी एनारॉक और नारेडको द्वारा जारी एक रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2023 में इस क्षेत्र में नौकरियां 31 मिलियन बढ़कर 71 मिलियन हो गईं।
‘रियल एस्टेट अनबॉक्स्ड: द मोदी इफेक्ट’ टाइटल वाली रिपोर्ट में बताया गया है कि, 2017 में रियल एस्टेट बाजार का आकार 20 बिलियन डॉलर था, जो 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। 2014 और 2023 के बीच 7 प्रमुख शहरों में 2.82 मिलियन यूनिट्स बेची गईं, जबकि 2.93 मिलियन यूनिट से अधिक नई लॉन्चिंग हुईं। रिपोर्ट में शामिल सात शहर बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली एनसीआर, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और पुणे हैं।
2023 में 7 बड़े शहरों में बने 4.35 लाख घर
रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारत के 7 बड़े शहरों में 4.35 लाख घर बनकर तैयार हुए और 2024 में यह संख्या बढ़कर 5.31 लाख तक पहुंचने का अनुमान है। कई सरकारी योजनाओं ने इस उछाल में योगदान दिया है। जिनमें रियल एस्टेट नियामक अधिनियम (RERA) 2016, प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) और विशेष विंडो (SWAMIH) फंड शामिल हैं। इसके अलावा, GST ने रियल एस्टेट उद्योग में पारदर्शिता लाने में मदद की है। 2017 से कई राज्यों में लागू, रेरा (रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण) रियल एस्टेट क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाया है। इस कानून ने घर खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण नियम बनाए हैं: जिनमें पारदर्शिता, समय पर परियोजना पूरी होना, डेवलपर्स की जवाबदेही शामिल है।
RERA की शुरुआत के बाद से, देश भर में लगभग 123,000 रियल एस्टेट परियोजनाएं रजिस्टर की गई हैं, और 121,000 से अधिक उपभोक्ता शिकायतों का समाधान किया गया है।
रिपोर्ट में बताया गया है, SWAMIH फंड के तहत लगभग 26,000 घर बनकर तैयार हो चुके हैं। यह फंड उन किफायती और मध्यम आय वाली आवास परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करता है जो पूंजी की कमी के कारण रुक गई थीं। अगले तीन सालों में 80,000 और इकाइयों के पूरा होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में पिछले एक दशक में शहरी और ग्रामीण आवास, जीएसटी, नोटबंदी और रियल एस्टेट क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग जैसी सरकार समर्थित पहलों के पॉजिटिव प्रभाव पर भी प्रकाश डाला गया है।
33.75 मिलियन अब तक बन चुके हैं
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी और ग्रामीण) के तहत 2015 और 2016 में शुरुआत के बाद से 33.75 मिलियन घर पूरे हो चुके हैं। रिपोर्ट में 2016 की नोटबंदी का भी जिक्र है, जिसके बारे में कहा गया है कि यह रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता लाने में सहायक रही है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि हाउसिंग इन्वेंट्री ओवरहैंग में पिछले 10 सालों में महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई है। 2017 में, जब उपलब्ध इन्वेंट्री अपने चरम पर थी, यह 41 महीने थी, जो 2023 के अंत में 15 महीने तक घट गयी है।
एनारॉक ग्रुप के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा कि टॉप सात शहरों में आवास की मांग और नई सप्लाई पिछले 10 सालों में बढ़ी है, खासकर महामारी के बाद। उन्होंने यह भी कहा कि आवास की बिक्री अब नए लॉन्च के साथ बढ़ रही है। Naredco के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि अनुमानित वृद्धि से 2025 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में रियल एस्टेट का अपेक्षित योगदान 13 प्रतिशत हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र आर्थिक विकास, रोजगार और सरकारी फाइनेंस में ब़ड़ा योगदानकर्ता बन जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि रियल एस्टेट उद्योग आने वाले सालों में आर्थिक परिस्थितियों के हिसाब से अपनी रणनीतियों को बनाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिर सरकार, स्थायी ब्याज दरें, रोजगार सृजन और निजी क्षेत्र के निवेश में वृद्धि जैसे कारकों से क्षेत्र की विकास संभावनाएं मजबूत होंगी।