निजी क्षेत्र ने मार्च में नई परियोजनाओं की रिकॉर्ड के करीब घोषणाएं कीं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के मुताबिक निजी क्षेत्र की नई परियोजनाओं की मार्च 2024 में समाप्त हुई तिमाही की घोषणाओं का मूल्य 9.8 लाख करोड़ रुपये था।
यह वर्ष 2009 के बाद से दूसरा सर्वाधिक आंकड़ा है। सर्वाधिक आंकड़ा मार्च, 2023 में 13.8 लाख करोड़ रुपये था जिसमें एअर इंडिया के नए जहाजों के लिए 100 अरब डॉलर का विमानन क्षेत्र का बड़ा ऑर्डर भी शामिल था।
इस बार कई कारणों से नई परियोजनाओं की घोषणा में उछाल आई है। इसमें सरकार की परियोजनाओं को भी शामिल कर लिया जाए तो कुल मूल्य 11.3 लाख करोड़ रुपये हो जाता है। नई परियोजनाओं में नई फैकटरियों, सड़कों, रेलवे और अन्य दीर्घावधि तक इस्तेमाल में आने वाली परिसंपत्तियों का सृजन शामिल है।
मार्च में सरकार की नई परियोजनाओं की घोषणा बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपये हो गई। इससे तीन तिमाहियों से जारी नई सरकारी परियोजनाओं में गिरावट के रुझान पर विराम लगा। ऐसी परियोजनाओं में दिसंबर, 2023 की तुलना में 0.5 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई थी।
बीते चुनावों की तुलना में इस चुनाव से पहले नई परियोजनाओं की घोषणा में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। बीते चार तिमाहियों की तुलना में नई परियोजनाओं की घोषणा के औसत मूल्य में 78 फीसदी का इजाफा हुआ है। यह आंकड़ा मार्च 2019 में 15 फीसदी था जबकि मार्च, 2014 में -18 फीसदी था।
रिपोर्ट के अनुसार मार्च तिमाही में कई प्रमुख परियोजनाएं चर्चा में रहीं। इनमें 1.25 लाख करोड़ रुपये की तीन सेमीकंडक्टर सुविधाओं की आधारशिला, टाटा मोटर्स का तमिलनाडु में 9,000 करोड़ रुपये का निवेश और स्वीडिश रक्षा कंपनी साब का नई इकाई में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के जरिये निवेश शामिल है।
नई परियोजनाओं की घोषणा में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 6.7 लाख करोड़ रुपये थी और इस क्षेत्र की नई परियोजनाओं में सर्वाधिक हिस्सेदारी भी थी। इसके बाद बिजली क्षेत्र की हिस्सेदारी थी और इसका मूल्य 3.5 लाख करोड़ रुपये था। शेष हिस्सेदारी गैर वित्तीय सेवाएं, विनिर्माण और रियल एस्टेट की थी। मार्च 2023 की तुलना में इस मार्च में नई परियोजनाओं में विनिर्माण की हिस्सेदारी कहीं अधिक थी।
कंपनियों ने हालिया क्षमता के मांग को पूरा करने में असमर्थ नजर आने पर नई उत्पादन सुविधाओं में निवेश किया। भारतीय रिजर्व बैंक के सितंबर, 2023 (2023-24 की दूसरी तिमाही) के ‘इंडियाज ऑर्डर बुक्स, इन्वेंटरीज ऐंड कैपिसिटी यूटिलाइजेशन सर्वे’ के अनुसार क्षमता का उपयोग करीब 75 फीसदी के ईदगिर्द रहा है। यह आंकड़ा कुछ देर से जारी किया गया है।
इस सर्वे के अनुसार, ‘विनिर्माण क्षेत्र का समग्र स्तर पर क्षमता उपयोग (सीयू) बढ़कर 74 फीसदी हो गया है, जबकि यह पिछली तिमाही में 73.6 फीसदी था। हालांकि मौसमी रूप से समायोजित सीयू 2023-24 की दूसरी तिमाही में गिरकर 74.5 फीसदी हो गया जबकि यह पिछली तिमाही में 75.4 फीसदी था।’
मार्च में तीन लाख करोड़ रुपये मूल्य की परियोजनाएं पूरी हो गई थीं। बीते वर्ष की मार्च तिमाही की तुलना में इस मार्च में 37 फीसदी अधिक परियोजनाएं पूरी हुईं। इस मार्च तिमाही में 2.2 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं पूरी हुईं। हालांकि जिन परियोजनाओं को छोड़ा गया, रोका गया या बंद किया गया, उनका मूल्य 1.7 लाख करोड़ रुपये था।
मार्गन स्टैनली समूह की भारत की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना चाचरा और अर्थशास्त्री बानी गंभीर की 26 मार्च की भारत की अर्थव्यवस्था की रिपोर्ट के अनुसार पूंजीगत व्यय का रुझान सतत ढंग से बढ़ना जारी रहेगा। रिपोर्ट के अनुसार, ‘बीते 10 वर्षों से निजी पूंजीगत व्यय कमजोर रहा और अब इसमें भी बेहतरी के संकेत नजर आ रहे हैं।
दरअसल, सरकार के पूंजीगत निवेश बढ़ाने से कारोबारी माहौल बेहतर हुआ है और इस क्षेत्र में निजी निवेश भी बढ़ रहा है। कुल पूंजीगत व्यय में हाउसहोल्ड पूंजीगत व्यय की हिस्सेदारी 37.6 फीसदी है और यह बीते 18 -24 महीनों के दौरान निरंतर बेहतर हो रही है। रिहायशी और वाणिज्यिक रियल एस्टेट के रुझान में बदलाव आया है।’