सरकार और निजी पक्षों के बीच ठेकों से जुड़े विवाद निपटाने के लिए प्रस्तावित नई स्वैच्छिक निपटान योजना (voluntary settlement scheme) के तहत केंद्र सरकार का लक्ष्य 1 लाख करोड़ रुपये की राशि के लगभग 500 मामलों का समाधान करना है। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
आम बजट 2023 में लंबे समय से अटके ऐसे मुकदमों के समाधान के लिए विवाद से विश्वास-2 योजना का प्रस्ताव रखा गया है, जिनमें मध्यस्थता आदेश को देश की अदालतों में चुनौती दी गई है।
ONGC और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) जैसी सरकारी इकाइयों के विभिन्न ठेकों पर ठेकेदारों के संग विवाद और मुकदमे चल रहे हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘सरकार जल्द ही एक योजना का मसौदा पेश करेगी, जिसमें सभी हितधारकों की राय मांगी जाएंगी। सभी उचित जवाबों और टिप्पणियों को शामिल करने के बाद निपटान योजना की अंतिम शर्तें पेश की जाएंगी।’ उनके अनुसार प्रारंभिक अनुमान से पता चलता है कि तकरीबन 500 ऐसे मामलों में विवाद है, जहां मध्यस्थता फैसले को चुनौती दी गई है। इन मामलों में फंसी दावे के कुल राशि काफी अधिक है। उन्होंने कहा कि निपटान योजना का उद्देश्य समाधान देना और लंबित मामले कम करना है।
मामले के जानकार एक अन्य अधिकारी ने कहा कि योजना का लाभ उठाने के लिए विवादित राशि की न्यूनतम सीमा की शर्त रखी जा सकती है। उक्त अधिकारी ने बताया कि ONGC और NHAI से संबंधित कई मामलों में मध्यस्थता आदेश को चुनौती दी गई है।
संसद की एक स्थायी समिति द्वारा मार्च 2022 में जारी रिपोर्ट के अनुसार एनएचएआई की राजमार्ग परियोजनाओं से संबंधित निजी ठेकेदारों से विवाद वाले मामलों में कुल 88,000 करोड़ रुपये के दावों का अनुमान लगाया गया था और एनएचएआई के जवाबी दावे लगभग 39,221 करोड़ रुपये के हैं। इसी तरह ONGC की पिछले साल की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार ठेकेदारों पर ONGC का दावा करीब 17,000 करोड़ रुपये का है, जबकि उनके संयुक्त संचालन (operations) से संबंधित दावा 1,069 करोड़ रुपये का था।
Deloitte India में लीडर (सरकारी और निजी सेवाएं) अरिंदम गुहा ने कहा, ‘मौजूदा योजना के दो प्रमुख लाभ हैं – डेवलपर और निवेशक के विश्वास बढ़ाना और विवादों में फंसे वित्तीय संसाधनों को मुक्त करना। हालांकि मध्यम अवधि में बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए विशेष रूप से अनुबंध मध्यस्थता के लिए एक रूपरेखा की आवश्यकता है जो विवादों को पूरी तरह से कम कर सके।’
इस योजना में एक निपटान तंत्र लाया जा सकता है, जहां सरकारी संस्था और संबंधित निजी संस्था मानक शर्तों पर हस्ताक्षर करके मामले को सुलझा सकती हैं।
अधिकारी ने कहा कि यह विवाद के लंबित स्तर के आधार पर स्तरीय समाधान शर्तों की पेशकश करके किया जाएगा। आमतौर पर ऐसे अनुबंध से पता चलता है कि दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ अनुबंध से संबंधित सभी अदालती मामलों को वापस लेने पर सहमति व्यक्त की है। उल्लेखनीय है कि प्रत्येक अनुबंध में एक प्रावधान होता है, जिसके मुताबिक विवाद की स्थिति में दोनों पक्ष मध्यस्थ के पास जा सकते हैं।
ये विवाद आम तौर पर पैसे से जुड़़े होते हैं। मध्यस्थता अदालत में मामले दायर किए बिना संबंधित पक्षों के बीच विवादों को हल करने का एक तंत्र हैवर्ष 2020 में सरकार ने आयकर से संबंधित कानूनी विवाद कम करने के लिए विवाद से विश्वास के पहले संस्करण की घोषणा की। इस योजना के तहत मुकदमों में फंसी लगभग 54 फीसदी राशि वसूल हुई थी और लगभग 1.50 लाख मामलों का समाधान किया गया था। यह योजना 17 मार्च, 2020 में शुरू हुई थी और 31 मार्च, 2021 तक चली थी।