भारी उद्योग पर संसद की स्थायी समिति ने चिंता जताई कि फेम योजना के दूसरे चरण में सब्सिडी वाले इलेक्ट्रिक वाहन (EV) अपने लक्ष्य का 51.96 फीसदी ही हासिल कर पाए हैं। दरअसल 31 मार्च, 2022 तक 15.62 लाख ईयू को मदद करने का लक्ष्य तय किया गया था।
भारी उद्योग मंत्रालय की फेम योजना पांच साल के लिए है और इस योजना का करीब एक साल ही बचा है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में इंगित किया कि अभी तक आबंटित बजट का कम ही खर्च किया गया है।
वित्त वर्ष 2022-23 के संशोधित अनुमान 2897.84 करोड़ रुपये था और इस वित्त वर्ष के दो महीने शेष होने के बावजूद आधी राशि भी खर्च नहीं हो पाई है। इस क्रम में 8 फरवरी, 2021 तक वास्तविक खर्च केवल 1382.90 करोड़ रुपये हुआ था।
समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि भारत जैसे देश में 15.62 लाख EV को मदद करना पर्याप्त नहीं है। समिति की इस सिफारिश का इलेक्ट्रिक वाहन के दिग्गज स्वागत करेंगे।
समिति ने कहा कि फेम योजना का विस्तार नए लक्ष्यों, प्रोत्साहन और विद्युत चालित वाहनों को बढ़ावा देने के तरीकों के साथ किया जाना चाहिए। इलेक्ट्रिक वाहनों की कंपनियां सरकार पर दबाव डाल रही है कि फेम 2 योजना का विस्तार किया जाए।
उनका कहना है कि वाहनों की संख्या के बजाए वाहन सेगमेंट में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी पर जोर दिया जाए। दोपहिया बनाने वाली कंपनियां चाहती हैं कि जब तक दोपहिया वाहनों की कुल बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 10 फीसदी तक नहीं पहुंच जाती है तब तक सब्सिडी दी जाए। अभी दो पहिया वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 4-5 फीसदी है।