देश की सबसे बड़ी तेल मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL) के प्राकृतिक गैस पाइपलाइन से हाइड्रोजन ले जाने की क्षमता परीक्षण जल्द होगा। IOCL के चेयरमैन श्रीकांत माधव वैद्य ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी।
वैद्य ने इंडिया एनर्जी वीक में अलग से बात करते हुए कहा, ‘हम प्राकृतिक गैस (Natural gas) पाइपलाइन के माध्यम से कुछ मात्रा में हाइड्रोजन ले जाने में सक्षम होना चाहते हैं। इस मकसद से SNAM के साथ समझौता किया गया है, जो इस कारोबार में अग्रणी है। इनकी पूरे यूरोप में गैस पाइपलाइन है।’
ईंधन में कार्बन की मात्रा कम करने की जरूरत के कारण प्राकृतिक गैस के साथ हाइड्रोजन के सम्मिश्रण (blending) पर जोर दिया जा रहा है। हाइड्रोजन समृद्ध प्राकृतिक गैस (HENG) हाइड्रोजन और प्राकृतिक गैस का मिश्रण होता है। इसमें दोनों को किसी अनुपात में मिला दिया जाता है, लेकिन आमतौर पर मात्रा के हिसाब से HENG में 10 से 20 प्रतिशत की की सीमा में हाइड्रोजन होता है, जो निकट की अवधि के हिसाब से सबसे बेहतर विकल्प है।
SNAM देश भर में IOCL के प्राकृतिक गैस पाइपलाइन का अध्ययन करेगी और बताएगी कि इसमें कितने प्रतिशत हाइड्रोजन मिलाया जा सकता है। SNAM एक इटालियन एनर्जी इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी है। इसने 2020 में IOCL के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया था। यह समझौता प्राकृतिक गैस संबंधी बुनियादी ढांचे की मूल्य श्रृंखला खासकर स्टोरेज और रीगैसीफिकेशन में साझा पहल को लेकर था।
प्राकृतिक गैस के आयात के कारोबार में IOCL दूसरी बड़ी कंपनी है और इसने देश भर में प्राकृतिक गैस पाइपलाइन बिछाने में निवेश बढ़ाया है और सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (CGD) नेटवर्क तैयार किया है। कंपनी अत्यंत ज्वलनशील ईंधन की LNG रोड टैंकरों से ढुलाई कम करना चाहती है।
वैद्य ने कहा कि कंपनी तकनीकी साझेदार की तलाश कर रही है, जो ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन की तकनीक हस्तांतरित कर सके। कंपनी ने पिछले साल लार्सन ऐंड टुब्रो और रीन्यू पावर के साथ ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर में साझेदारी की थी। वैद्य ने कहा कि साझेदार मिलने के बाद हम हजीरा में उत्पादन शुरू कर देंगे।
विमान ईंधन पर जोर
वैद्य ने विमान ईंधन (Aviation fuel) का निर्यात तेजी से बढ़ाने की योजना की भी जानकारी दी, जो पिछले महीने शुरू हुई है।
वैद्य ने कहा, ‘यह सामान्य विमान ईंधन नहीं है। यह विशेषीकृत उत्पाद है, जिसे एविएशन गैसोलीन नाम दिया गया है। हमारी बिजनेस डेवलपमेंट टीम काम कर रही है और हम उम्मीद करते हैं कि हम दक्षिण पूर्व एशिया में कदम रखकर इसकी शुरुआत करेंगे।’ जनवरी में छोटे एयरक्राफ्ट व मानवरहित एरियल वाहनों (ड्रोन) के लिए 80 बैरल विशेष एविएशन फ्यूल का निर्यात पापुआ न्यू गिनी को किया गया था।
उन्होंने कहा कि कंपनी इस ईंधन के लिए वडोदरा के कोयली और ओडिशा के पारादीप रिफाइनरी में विनिर्माण संयंत्र स्थापित कर रही है। वैद्य ने इस बात पर जोर देते हुए कहा, ‘हम एक महीने में उत्पादन शुरू करने जा रहे हैं। हमारे पास भारत की 100 प्रतिशत मांग के लिए पर्याप्त सामग्री होगी, साथ ही हम निर्यात भी कर सकेंगे।’