सॉफ्टबैंक के निवेश वाली ई-कॉमर्स कंपनी मीशो (Meesho) 2025 में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के साथ पूंजी बाजार में दस्तक देने की योजना बना रही है। तब तक कंपनी मुनाफा कमाने पर ध्यान केंद्रित करेगी। कंपनी अपने IPO से सकारात्मक एबिटा (EBITDA) दर्ज करना चाहती है।
कंपनी की रणनीति में यह एक महत्त्वपूर्ण बदलाव है। उसने अपने नकदी खर्च में 85 फीसदी तक की कटौती की है। अब उसकी नजर सालाना 40 फीसदी राजस्व वृद्धि हासिल करने पर है। इससे पहले वह 100 फीसदी से अधिक सालाना वृद्धि के साथ आगे बढ़ रही थी। कंपनी सूत्रों ने बताया कि इस स्तर की वृद्धि भी अधिकतर ई-कॉमर्स कंपनियों के मुकाबले बेहतर है।
वित्त वर्ष 2022 में मीशो का राजस्व 4.5 गुना बढ़कर 3,232 करोड़ रुपये हो गया जबकि उसका घाटा 7.5 गुना बढ़कर 3,247 करोड़ रुपये हो गया था।
इस मामले से अवगत सूत्रों ने कहा कि मीशो के पास बैंक बैलेंस है जिसे वह संरक्षित रखना चाहती है। पिछले निवेश दौर में जुटाए गए कुल 57 करोड़ डॉलर में से लगभग आधी रकम बची हुई है। पिछले निवेश दौर के साथ ही कंपनी का मूल्यांकन 4.9 अरब डॉलर हो गया था। उन्होंने बताया कि फिलहाल कंपनी को ताजा रकम जुटाने की कोई जरूरत नहीं है।
मीशो के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार किया।
सूत्रों ने कहा कि यह स्टार्टअप अपने लेनदेन पर करीब 10 फीसदी मार्जिन हासिल करती है जो औसतन करीब 350 रुपये होता है। वह अपने 10 लाख व्यापारियों को वित्तीय सेवाएं उपलब्ध करा रही है जिसमें अल्पावधि उधारी और ऑर्डर की वापसी पर बीमा शामिल हैं। इन सेवाओं से कंपनी को अतिरिक्त कमाई होगी जिससे कुल मार्जिन में 1 से 3 फीसदी का इजाफा हो सकता है।
फिलहाल कंपनी अपनी आय बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगी और उसके बाद ही वह अपने वित्तीय सेवा कारोबार को एक अलग कंपनी के रूप में स्थापित करने पर विचार करेगी।
Also read: केन्या में अधिग्रहण की तैयारी कर रही ऑयल इंडिया: CMD
मीशो की रणनीति एमेजॉन या फ्लिपकार्ट जैसी प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों से बिल्कुल अलग है। बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां अब छोटे और मझोले शहरों की ओर रुख कर रही हैं जबकि मीशो उन क्षेत्रों में पहले से ही मौजूद है। इसके अलावा बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों का ग्राहक वर्ग भी मीशो के मुकाबले अलग है। इसके अलावा सकल मर्केंटाइज मूल्य (GMV) को निर्धारित करने वाले उत्पाद भी अलग हैं। उदाहरण के लिए, मीशो मोबाइल फोन अथवा इलेक्ट्रॉनिक्स की बिक्री नहीं करती है। उसकी सबसे बड़ी श्रेणी परिधान एवं लाइफस्टाइल की है। मीशो के जीएमवी में इसका करीब 50 फीसदी योगदान है। बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के GMV में मोबाइल फोन का योगदान काफी अधिक होता है।
मीशो मोबाइल फोन अथवा उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की बिक्री इसलिए नहीं करती है क्योंकि उसमें मार्जिन अपेक्षाकृत कम होता है। वह उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है जहां लेनदेन पर आकर्षक रिटर्न मिल सके।
Also read: बीमा, म्युचुअल फंड वेंचर की 15 से 18 महीनों में कराएंगे लिस्टिंग: CEO,केनरा बैंक
मीशो मुख्य तौर पर दो श्रेणियों से राजस्व अर्जित करती है। पहला, अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद व्यापारियों से विज्ञापन के जरिये और दूरदराज के क्षेत्रों तक डिलिवरी के जरिये।
सूत्रों ने बताया कि आम तौर पर व्यापारी उस प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन के लिए 5 से 15 फीसदी राजस्व खर्च करते हैं। मीशो डिलिवरी राजस्व पर 15 से 20 फीसदी कमीशन भी हासिल करती है।