अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा जवाबी शुल्क पर बार-बार अपना रुख बदलने और बाजार में बढ़ी उठा-पटक के बीच भारत में होने वाले प्रमुख विलय और अधिग्रहण के सौदों में देरी हो रही है क्योंकि संभावित खरीदार उचित जांच-पड़ताल के लिए समय चाह रहे हैं।
बैंकरों ने कहा कि एक्जो नोबेल इंडिया, नोवार्टिस इंडिया और एचडीबी फाइनैंशियल सर्विसेज की बिक्री जैसे कई बड़े सौदे अब रुक गए हैं, क्योंकि खरीदार मूल्यांकन के झंझट से निपटने के लिए और समय चाहते हैं। यह व्यवधान आंशिक तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा जवाबी शुल्क पर चली आ रही खींचतान के कारण है, जिसने आपूर्ति श्रृंखला, लागत संरचनाओं और सबसे जरूरी मूल्यांकन के बारे में सवाल खड़े किए हैं। अधिकतर निवेशक अमेरिकी जवाबी शुल्क को कुछ दिनों तक चलने वाला राजनीतिक नाटक मान रहे हैं, लेकिन उस कारण जो अस्थिरता हुई है उसे नजरअंदाज करना चुनौती भरा साबित हो रहा है। भारतीय शेयर बाजार में हुई तेज गिरावट ने दावेदारों को संख्याओं का फिर से मूल्यांकन करने अथवा पूरी तरह से दूर हो जाने के लिए प्रेरित किया है।
बीडीओ इंडिया में पार्टनर प्रशांत भोजवानी ने कहा, ‘देश विशिष्ट शुल्क से विलय-अधिग्रहण सौदों के परिदृश्य को जटिल बना दिया है।’ उन्होंने कहा कि उचित जांच-पड़ताल में अब आपूर्ति श्रृंखला में और विदेशी मुद्रा निवेश में जोखिम की नए सिरे से जांच शामिल हो गई है। उन्होंने कहा, ‘मूल्यांकन फिर से किया जा रहा है और सौदे में देरी के आसार हैं।’
दिग्गज कंपनी डच कोटिंग्स की सहायक कंपी एक्जो नोबेल इंडिया के लिए विक्रेता के पास प्रस्ताव हैं, लेकिन निजी इक्विटी खिलाड़ी इसे आगे बढ़ाने से गुरेज कर रहे हैं। कैटलिस्ट एडवाइजर्स में पार्टनर बिनय पारिख ने कहा, ‘मौजूदा माहौल में जांच-पड़ताल सत्यापन से हटकर मूल्यांकन की जांच में तब्दील हो गई है।’
उन्होंने कहा कि जवाबी शुल्क पर ट्रंप का बार-बार बदलता रुख, उतार-चढ़ाव वाले बाजार और विदेशी मुद्रा में लगातार हो रही घट-बढ़ के बीच बाहर निकलने का गणित नहीं बन रहा है। पिछले साल सितंबर से अब तक एक्जो नोबेल इंडिया के शेयर की कीमत में 23.4 फीसदी की गिरावट आई है और यह बुधवार को 3,328.85 रुपये पर बंद हुआ। मौजूदा बाजार की अनिश्चितताओं को देखते हुए एक भारतीय बोलीदाता ने पहले ही प्रीमियम ऑफर से इनकार कर दिया है।
इस बीच, नोवार्टिस इंडिया को चुपचाप नीलामी ब्लॉक से हटा दिया गया है। स्विस पैरेंट जिसके पास कंपनी में 71 फीसदी हिस्सेदारी है घरेलू खिलाड़ियों की दिलचस्पी का अनुमान लगा रहा था, लेकिन सितंबर से शेयर में 24.9 फीसदी की गिरावट आने से उसका उत्साह भी फीका पड़ गया है। हालांकि, एक्जो नोबल और नोवार्टिस एजी को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला और एचडीएफसी बैंक ने एचडीबी फाइनैंशियल में अपनी हिस्सेदारी की बिक्री पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।