अब ज्यादातर कंपनियां निदेशकों को निदेशकमंडल की बैठकों में शिरकत करने के लिए मोटी रकम दे रही हैं। निदेशक कंपनियों से प्रत्येक बैठक में हिस्सा लेने के लिए 1 लाख रुपये तक ले रहे हैं। कोविड महामारी से पहले यह फीस इतनी नहीं हुआ करती थी।
निफ्टी 100 सूचकांक में शामिल कंपनियों में ऐसी कंपनियों की तादाद खासी बढ़ गई है, जो अपने निदेशकों को निदेशकमंडल की प्रत्येक बैठक में हिस्सा लेने के लिए 1 लाख रुपये चुका रही हैं।
एक्सिलेंस इनेबलर्स सर्वे ऑन कॉर्पोरेट गवर्नेंस (तीसरा संस्करण) के आंकड़ों के अनुसार निफ्टी 100 में 2018 में ऐसी कंपनियों की हिस्सेदारी 37.1 प्रतिशत थी मगर 2021-22 आते-आते यह बढ़कर 41.4 प्रतिशत हो गई। यह रिपोर्ट भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्व प्रमुख एम दामोदरम की पहल का नतीजा है। नियमों के तहत किसी निदेशक को प्रति बैठक अधिकतम 1 लाख रुपये तक देने की सीमा तय की गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘निदेशकमंडल और निदेशकों की बढ़ी जिम्मेदारियों और बैठक में बेहतर नतीजे पाने के लिए दिए जाने वाले लंबे समय को ध्यान में रखते हुए अधिकांश कंपनियों को फीस बढ़ाकर 1 लाख रुपये करनी चाहिए। इससे वे लोग भी ऐसी बैठकों में हिस्सा लेने के बारे में सोचेंगे जिनकी सलाह उपयोगी हो सकती है मगर किसी कारण से वे भाग नहीं ले पा रहे हैं।’
यह विश्लेषण प्रत्येक खंड में निफ्टी 100 की हिस्सेदारी पर आधारित है। इनमें प्रत्येक श्रेणी के लिए आंकड़े उपलब्ध हैं। इन विश्लेषण में 2018-19 में 19 62 कंपनियों, 2019-20 और 2020-21 में दोनों में 62-62 और 2020-21 में 70 कंपनियां शामिल की गई थीं। ये आंकड़े निदेशकों को प्रति बैठक 1 लाख रुपये देने के बढ़ते चलन का संकेत है। पिछले कुछ वर्षों में उन कंपनियों की तादाद भी बढ़ी है जो संचालन संबंधी खुलासे सार्वजनिक करने लगी हैं।
रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि निफ्टी 100 कंपनियों में ज्यादातर में 2018-19 में निदेशकमंडल की सात से कम बैठकें हुआ करती थीं। उस साल 51 प्रतिशत कंपनियों में 49 में 4-6 बैठकें हुईं। 2021-22 तक यह बदल गया। 2021-22 में 44 कंपनियों ने 7 या इससे अधिक बैठकें आयोजित कीं। 2021-22 में केवल 4-6 कंनपियों में निदेशकमंडल की 4-6 बैठकें हुईं। साल में निदेशक मंडल की 7 या इससे अधिक बैठकें आयोजित करने वाली कंपनियों की तादाद बढ़कर 56 हो गईं। साल में ऐसी 10 से अधिक बैठकें आयोजित करने वाली बैठकों की संख्या 19 से बढ़कर 25 हो गईं।
निदेशकों से बातचीत करने के बाद संकेत मिला कि कोविड महामारी के बाद निदेशक मंडल की बैठकों से संबंधित नियमों में ढील दिया जाने से भी कुछ कंपनियों ने अधिक बैठकों का आयोजन किया होगा। अब निदेशक ऑनलाइन माध्यम से भी बैठक में शिरकत कर सकते हैं। इससे उन निदेशकों के लिए आने-जाने का झमेला भी समाप्त हो गया जो कंपनी मुख्याल से दूर रहते होंगे।
स्वतंत्र निदेशक आलोक सी चूरीवाला ने कहा कि अब निदेशकमंडल के सदस्यों की जिम्मेदारियां पहले की तुलना में खासी बढ़ गई हैं। चूरीवाला ने कहा कि इससे भी साल में ऐसी बैठकों की संख्या में इजाफा हुआ होगा। कई सदस्य अपनी भूमिका और अधिक सधे तरीके से निभाना चाहते हैं और कंपनियों से जरूरी जानकारियां मांग रहे हैं। इससे आपसी संवाद पहले की तुलना में काफी बढ़ गया है।
चूरीवाला ने कहा, ‘निदेशक अब निदेशकमंडल की अधिक से अधिक बैठकें बुलाने की मांग करेंगे।’
विभिन्न कंपनियों के निदेशकमंडल में बतौर निदेशक शामिल एक व्यक्ति ने कहा कि कंपनियों का बढ़ता आकार भी निदेशकों को प्रति बैठक अधिक रकम दिला रही है। उन्होंने कहा कि कायदे-कानून का अनुपालन पहले की तुलना में सख्त होने से निदेशकों की जिम्मेदारियां बढ़ी हैं तो कंपनियों को उनका मेहनताना भी बढ़ाना ही होगा।