रीन्यू पावर संग साझेदारी के जरिए लार्सन ऐंड टुब्रो भारत में उभरते ग्रीन हाइड्रोजन कारोबार का परिचालन करेगी। इस साझेदारी की रूपरेखा अभी तैयार नहीं हुई है, लेकिन दोनों कंपनियों ने गुरुवार को करार पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत दोनों कंपनियां संयुक्त रूप से देश भर में हाइड्रोजन परियोजनाएं विकसित करेंगी, उनका क्रियान्वयन व परिचालन करेंगी।
आज आयोजित कॉन्फ्रेंस कॉल में एलऐंडटी के मुख्य कार्याधिकारी व प्रबंध निदेशक एस एन सुब्रमण्यन ने कहा, रीन्यू संग साझेदारी एलऐंडटी की हरित ऊर्जा पोर्टफोलियो बनाने के लिहाज से अहम मील का पत्थर है। यह करार ईपीसी परियोजना की डिजाइनिंग, क्रियान्वयन व डिलिवरी के एलऐंडटी के रिकॉर्ड व अल्ट्रा स्केल अक्षय ऊर्जा परियोजना विकसित करने के रीन्यू के अनुभव को एक जगह ले आएगा।
भारत मेंं रिफाइनरी, उर्वरक व सिटी गैस ग्रिड आदि के लिए हरित हाइड्रोजन की मांग साल 2030 तक बढ़कर 20 लाख टन सालाना पहुंचने का अनुमान है, जो देश के हरित हाइड्रोजन मिशन के मुताबिक है। इसके लिए 60 अरब डॉलर के निवेश की दरकार होगी।
रीन्यू के चेयरमैन व मुख्य कार्याधिकारी सुमंत सिन्हा ने कहा, स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढऩे के लिहाज से हरित हाइड्रोजन अहम होगा। मुझे उम्मीद है कि यह साझेदारी भारतीय अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में नए बेंचमार्क बनाएगा। दोनों साझेदारों ने हालांकि निवेश व साझेदारी के अनुपात आदि पर विस्तृत जानकारी नहीं दी।
रीन्यू एनर्जी ग्लोबल पीएलसी की सहायक रीन्यू पावर अभी भारत में 5 गीगावॉट से ज्यादा परिचालन क्षमता वाली पवन ऊर्जा क्षेत्र की एकमात्र कंपनी है। इस साल अगस्त में कंपनी ने एलऐंडटी की 99 गीगावॉट वाली हाइड्रो पावर परियोजना के अधिग्रहण के जरिये हाइड्रो एनर्जी के क्षेत्र में प्रवेश किया। एलऐंडटी संग सौदे के तहत रीन्यू एलऐंडटी उत्तरांचल हाइड्रोपावर का भी अधिग्रहण एलऐंडटी पावर डेवलपमेंट (कंपनी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक) से करेगी, जिसके पास सिंगोली-भटवारी हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का स्वामित्व है। हरित हाइड्रोजन का उत्पादन पानी को हाइड्रोजन व ऑक्सीजन के रूप में अलग करके होता है। एलऐंडटी ने एक बयान में कहा, अक्षय ऊर्जा वाली बिजली के इस्तेमाल से दुनिया को शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिल सकती है।
