अदाणी पोर्ट्स ऐंड स्पेशल इकनॉमिक जोन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक करण अदाणी ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बाद अदाणी समूह पर उसका जो कुछ असर पड़ना था, अब वह अतीत की बात हो गई है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले ने हमें अपने मुख्य कारोबारों पर दोबारा ध्यान केंद्रित करने की सुविधा दी। उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए इंटरव्यू में ये बातें कही।
उन्होंने यह भी कहा कि हिंडनबर्ग घटनाक्रम के बाद समूह ने अवधारणा व ब्रांड वैल्यू की अहमियत समझी। जनवरी 2023 में अमेरिकी निवेश शोध फर्म ने अदाणी समूह पर शेयरों में जोड़तोड़ और खातों में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।
साथ ही यह भी कहा था कि समूह ने कर चोरी के अनुकूल देशों का बेजा इस्तेमाल किया। हिंडनबर्ग ने बहुत ज्यादा कर्ज पर भी चिंता जताई थी। इन आरोपों के बाद अदाणी समूह के शेयर शुरुआत में धराशायी हो गए थे, लेकिन बाद में सुधर गए।
उन्होंने इस मामले में मिले सबक पर भी बात की। उन्होंने कहा कि इसने हमें अपने कारोबारों पर दोबारा ध्यान केंद्रित करने की सहजता दी। हमने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिनको हम टाल रहे थे और समूह के लिए ऐसा करना जरूरी था।
उन्होंने कहा कि हमारा एनबीएफसी कारोबार अदाणी कैपिटल मुख्य कारोबार के साथ फिट नहीं बैठ रहा था। लिहाजा हमने उसका विनिवेश कर दिया। हमारा कौन सा कारोबार मुख्य है, कौन सा नहीं, समूह किस तरफ जा रहा है, कहां वृद्धि के मौके हैं, हम कहां ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं, इन चीजों पर हमें ध्यान देने का मौका इस घटनाक्रम से मिला। अदाणी समूह ने अवधारणा व ब्रांड वैल्यू के बारे में भी काफी कुछ सीखा।
गौतम अदाणी के पुत्र करण अदाणी रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से लखनऊ एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का उद्घाटन करने के बाद बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत कर रहे थे। अदाणी समूह लखनऊ समेत सात शहरों में हवाईअड्डों का प्रबंधन करता है। इनमें से छह एयरपोर्ट साल 2019 में भारत सरकार की तरफ से प्रतिस्पर्धी बोली के जरिए लीज पर लिए गए हैं। लीज की अवधि 50 साल है।
भारत सरकार 13 और हवाईअड्डों को लीज पर देने की योजना बना रही है। क्या अदाणी समूह इस प्रक्रिया में हिस्सा लेगा? इस पर उन्होंने हां में जवाब दिया। उन्होंने कहा, जब भी अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) आएगा, हम इसमें हिस्सा लेंगे।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के पास अभी मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (मायल) की 26 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि बाकी अदाणी समूह के पास है। करण अदाणी ने सरकार की हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई बशर्ते यह उपलब्ध हो।
हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि अदाणी समूह की दिलचस्पी अन्य एयरपोर्ट मसलन दिल्ली, हैदराबाद व बेंगलूरु में एएआई की हिस्सेदारी लेने में नहीं है क्योंकि इनमें बिना नियंत्रण वाली अल्पांश हिस्सेदारी ही होगी।
मौजूदा वित्त वर्ष अदाणी समूह के लिए सबसे अच्छे वर्ष में से एक रहा है क्योंकि उसका एबिटा करीब 40 फीसदी बढ़ा है और उसका शुद्ध कर्ज-एबिटा घटकर करीब 2.5 पर आ गया है।