रिलायंस जियो ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के तरीके पर एक नई कानूनी सलाह भेजी है। इस सलाह में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एल नागेश्वर राव ने ट्राई को यह सुझाव दिया है कि सैटेलाइट सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन के तरीके पर सभी संबंधित पक्षों से राय लेना अनिवार्य था। उन्होंने यह भी कहा कि यह ट्राई अधिनियम की धारा 11(4) के तहत जरूरी है।
जियो के प्रश्नों का उत्तर देते हुए जस्टिस राव ने कहा, “जब दूरसंचार विभाग ने ट्राई से स्पेक्ट्रम आवंटन के नियमों पर सुझाव मांगा था, तब ट्राई की जिम्मेदारी बनती थी कि वह धारा 4(5) के तहत उपयुक्त तरीके से सुझाव दे और अन्य आवश्यक पहलुओं पर विचार करे।”
पिछले महीने ट्राई ने नेटवर्क अनुमति पर एक परामर्श पत्र जारी किया था, जिसमें यह सवाल उठाया गया कि क्या सैटेलाइट कम्युनिकेशन (सैटकॉम) सेवाओं के लिए अलग से अनुमति की जरूरत है, खासकर सैटेलाइट अर्थ स्टेशन गेटवे के लिए। यह इस विषय पर दूसरा परामर्श पत्र था; पहला पत्र सितंबर में जारी हुआ था, जिसमें स्पेक्ट्रम आवंटन का तरीका, फ्रीक्वेंसी, स्पेक्ट्रम की कीमत और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े नियमों को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया था।
जस्टिस राव ने आगे कहा कि ट्राई के इस परामर्श पत्र में जमीन पर काम करने वाली सेवाओं के साथ समान अवसर का मुद्दा नजरअंदाज किया गया है। उनके अनुसार, इससे संबंधित पक्षों को अपनी राय देने का मौका नहीं मिला और ट्राई को इस पर विस्तार से चर्चा का अवसर भी नहीं मिला, जैसा कि दूरसंचार विभाग ने विशेष रूप से अपेक्षा की थी।
गौरतलब है कि पिछले साल भी जियो ने राव की कानूनी सलाह ट्राई को प्रस्तुत की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि नीलामी के बिना किसी अन्य तरीके से स्पेक्ट्रम का आवंटन करना संवैधानिक रूप से सही नहीं हो सकता।