कारफू भारत में क्लस्टर प्रारूप के जरिये विस्तार की योजना बना रही है और क्विक कॉमर्स क्षेत्र में भी उतरने पर विचार कर रही है। कारफू के अंतरराष्ट्रीय भागीदारी में कार्यकारी निदेशक पैट्रिक लासफार्गेस और अपैरल समूह के मालिक नीलेश वेद ने शार्लीन डिसूजा के साथ खास बातचीत में भारतीय बाजार के लिए फ्रांस की खुदरा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी की योजनाओं के बारे में चर्चा की। प्रमुख अंश …
लासफार्गेस : हमारे पास 40 देशों में 14,000 स्टोर हैं जो 95 अरब यूरो का कारोबार कर रहे हैं। हमारे पास एक सुपरमार्केट और हाइपरमार्केट वाला प्रारूप है और एक ऑनलाइन है। भारतीय बाजार के मामले में हमारी योजना छोटे प्रारूपों की है। यह सुपरमार्केट के लिए 8,000 वर्ग फुट और हाइपरमार्केट के लिए 30,000 वर्ग फुट है। यह एक तरह का कॉम्पैक्ट हाइपरमार्केट होगा।
साथ ही दिल्ली और भविष्य में मुंबई या बेंगलूरु के कुछ क्षेत्रों के लिए गॉरमेट के लिए प्रारूप है। हम भारत के लिए तीन प्रारूपों पर ध्यान केंद्रित करेंगे – सुपरमार्केट, गॉरमेट और हाइपर लेकिन कैश ऐंड कैरी पर नहीं। दिल्ली-एनसीआर में पहले शुरुआत के लिए महत्वपूर्ण बिंदु जगह और साथ ही वह टीम होगी जिसे हम बना रहे हैं। हम अगले साल गर्मियों में पहला स्टोर खोलेंगे।
वेद : हम पहले क्लस्टर में पहले पांच साल में 50 स्टोर खोलने की योजना बना रहे हैं जो दिल्ली-एनसीआर में सभी प्रारूपों में होंगे। अगर अन्य बाजार तैयार हैं और रियल एस्टेट उपलब्ध है तो तीन साल में हम चरण 2 में चले जाएंगे। फिलहाल हम किसी भी अन्य बाजार में स्टोर खोलने पर विचार नहीं कर रहे हैं।
लासफार्गेस : हम अपने विस्तार दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित किए रखना चाहते हैं।
लासफार्गेस : मैंने अपनी टीमों को सर्वेक्षण के लिए भेजा और उन्होंने भारतीय परिवारों के साथ भोजन किया और किराने की उनकी खरीदारी के तौर-तरीके को समझा। हम अपैरल समूह के साथ जुड़ने से पहले सुनिश्चित होना चाहते थे। हम इस संबंध में आश्वस्त हैं। और साथ ही संयुक्त अरब अमीरात में कारफू नाम भली-भांति जाना भी जाता है। जब हम पहली बार देश में आए थे तो हमारा जोर कम था। उस समय कारफू कई देशों में था और उसे कुछ मसले सुलझाने थे। अब हम काफी बड़े ढंग से प्रवेश कर रहे हैं।
लासफार्गेस : हमने अभी तक राजस्व के बारे में ज्यादा बात नहीं की है। हम यह कह सकते हैं कि अन्य बाजारों की तुलना में भारत में मूल्य निर्धारण आक्रामक है। कुछ शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं और आप जानते हैं कि सकल मार्जिन यूरोप की तुलना में बहुत कम है। इतनी ही संख्या में स्टोरों से राजस्व अन्य बाजारों की तुलना में कम होगा क्योंकि मार्जिन बहुत कम है।
लासफार्गेस : सभी प्रतिस्पर्धी देश के भीतर से आपूर्ति ले रहे हैं। इसलिए हम प्रतिस्पर्धा के समान स्तर पर होंगे। यहां दाम काफी कम हैं – विनिर्माण और बिक्री।
वेद : हम कारफू से सीख रहे हैं। वे इस उद्योग के विशेषज्ञ हैं और हम उनके साथ गठजोड़ करना चाहते थे। सुपरमार्केट, हाइपरमार्केट, किराना स्टोर के कारोबार के मामले में भारत में बहुत बदलाव आया है और हम इसी अनुभव पर दांव लगा रहे हैं। हमने उन्हें और पश्चिम एशिया में उनके काम को देखा है। हम भारत में बड़े स्तर पर निवेश कर रहे हैं। हम और स्टोर खोल रहे हैं और केवल कारफू तथा अपने फैशन कारोबार के लिए 50 स्टोर और जोड़ेंगे। हम फैशन, फुटवियर तथा खाद्य एवं पेय पदार्थों में और ज्यादा ब्रांड पर विचार कर रहे हैं।
लासफार्गेस : हम अगले पांच साल के भीतर भारत से निर्यात करने पर विचार कर रहे हैं।
क्या आप क्विक कॉमर्स क्षेत्र में भी प्रवेश करने पर विचार करेंगे?
लासफार्गेस : हम कारोबारी योजना में इस पर ध्यान देंगे और देखेंगे कि हमें ई-कॉमर्स में शुरू से ही आना चाहिए या बाद में और शायद क्विक कॉमर्स पर भी विचार करेंगे। यूरोप में हमारा अनुभव बताता है कि क्विक कॉमर्स में आपको नुकसान होता है।