आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) के कारण नौकरी गंवाने की चिंता करने वाले लोगों के लिए खुशखबरी है। देश के सबसे बड़े रोजगार पोर्टल नौकरी डॉट कॉम की गुरुवार को जारी एक सर्वेक्षण रिपोर्ट से पता चलता है कि नौकरी खोजने वाले हर आयु वर्ग के हर तीन में से एक (33 फीसदी) शख्स को ही एआई के कारण नौकरी खोने का भय है, जबकि अधिकतर लोग इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं।
पहली बार नौकरी की तलाश कर रहे हर तीन में एक का मानना है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के कारण अधिक नौकरियां पैदा होंगी। इसके विपरीत, अनुभवी पेशेवरों को लगता है कि एआई के आने से नौकरी बाजार में संतुलन आएगा यानी जितनी नई नौकरियां पैदा होंगी शायद उतनी ही चली भी जाएंगी। यह सर्वेक्षण आठ शहरों के 20 से अधिक उद्योगों में 60,000 से अधिक नौकरी चाहने वाले लोगों से मिली प्रतिक्रियाओं पर आधारित है। इसके अलावा सर्वेक्षण में नौकरी प्लेटफॉर्म पर हजारों नौकरी पोस्टिंग से भर्ती करने वालों की राय और आंकड़े भी शामिल किए गए हैं।
खास बात है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के प्रति भारत का नजरिया अमेरिका के विपरीत अधिक आशावादी है। अमेरिका में गैलप के शोध से पता चलता है कि वहां के करीब 75 फीसदी पेशेवरों को लगता है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से अगले दशक में नौकरी के अवसर कम हो जाएंगे। भारत भले ही आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के प्रति आशावादी है मगर इसमें कुछ चिंताएं भी हैं।
15 लाख से अधिक वेतन वाले करीब 40 फीसदी वरिष्ठ अधिकारियों को लगता है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के कारण रचनात्मकता में कमी आई है। यह स्थिति विज्ञापन ऐंड मार्केटिंग, एनीमेशन ऐंड वीएफएक्स, फिल्म एवं संगीत तथा उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे रचनात्मक उद्योग माने जाने वाले क्षेत्रों में अधिक स्पष्ट तौर पर दिखता है। इसके अलावा एक करोड़ रुपये या उससे अधिक के वेतन वाले 38 फीसदी लोगों को साल 2030 तक नौकरी छूटने का डर सताता है।
नौकरी डॉट कॉम के सर्वेक्षण ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के प्रभाव के बारे में कई संशय दूर किए हैं। उदाहरण के लिए, सिर्फ 13 फीसदी नियोक्ताओं को लगता है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी जा सकती है। यह एक ऐसा नजरिया है, जो नौकरी पाने वाले लोगों के बीच आम है, खासकर युवा और पहली बार नौकरी करने वाले लोगों के बीच।
मगर नौकरी की भूमिकाओं में लगातार बदलाव आ रहा है। इस साल अप्रैल से जून के बीच मशीन लर्निंग (एमएल) इंजीनियरों के लिए नौकरी के अवसर पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले दोगुना बढ़ गए। सर्च इंजीनियरों के लिए नौकरी में 62 फीसदी इजाफा हुआ है, जबकि डेटा साइंटिस्ट की भूमिकाओं के लिए 30 फीसदी और साइबर सुरक्षा के जानकार की भूमिका के लिए 28 फीसदी नौकरियां बढ़ी हैं। दूसरी ओर, मोबाइल ऐप डेवलपमेंट, सिस्टम एडमिनिस्ट्रेशन, फ्रंट एंड डेवलपमेंट और व्हाइट बॉक्स टेस्टिंग जैसी भूमिकाओं में नौकरी के अवसर में तेज गिरावट दर्ज की गई है।
माना जा रहा है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस/मशीन लर्निंग में नौकरी की वृद्धि महज प्रचार भर है और आंकड़ों से इसका पता नहीं चलता है। नौकरी डॉट कॉम ने इस साल अप्रैल से जून के बीच आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग से जुड़ी 35,000 नौकरियों को सूचीबद्ध किया, जो एक साल पहले के मुकाबले 38 फीसदी अधिक है। वहीं, गैर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग से जुड़ी नौकरियों में सिर्फ 8 फीसदी का इजाफा हुआ है। इनमें से 1,500 आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग से जुड़ी भूमिकाएं इंदौर, कोयंबत्तूर और कोच्चि जैसे मझोले शहरों से आई हैं।