प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में किसी भी तरह की समस्या दूर करने के प्रयास में उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने उद्योग संगठनों, विधि विश्लेषकों और नियामकीय प्रतिनिधियों से सुझाव मांगे हैं। बुधवार को आयोजित बैठक में विभाग ने उद्योग संगठनों- सीआईआई, फिक्की, एसोचैम -और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और देश में आने वाले निवेश से जुड़े मानकों पर चर्चा की।
बैठक में मौजूद एक कानूनी विश्लेषक ने बताया, ‘सरकार ने उन क्षेत्रों के बारे में सुझाव मांगे हैं जहां एफडीआई नीति को और उदार बनाया जा सकता है। उन स्थितियों पर भी सुझाव मांगे गए हैं जहां स्पष्टता की आवश्यकता है। चर्चा में न्यूनतम पूंजीकरण मानदंड, लाभकारी स्वामित्व निर्धारण मानदंड और डाउनस्ट्रीम निवेश शामिल थे।’
उद्योग संगठन और विधि विश्लेषक इस बारे में अगले दो-तीन दिन में अपने जवाब सौंपेंगे कि मानकों को आसान कैसे बनाया जाए। घटनाक्रम से अवगत लोगों का कहना है कि सरकार देश में ज्यादा एफडीआई आकर्षित करने और एमएसएमई में निवेश बढ़ाने के उपाय तलाश रही है।
कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि अधिकारियों ने प्रेस नोट 3 के मुद्दों पर भी चर्चा की जिसके तहत सीमावर्ती देशों से निवेश की जांच की जाती है। डीपीआईआईटी के आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन वर्षों में एफडीआई इक्विटी प्रवाह में गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2021 में निवेश 4.42 लाख करोड़ रुपये की ऊंचाई पर पहुंच गया और तब से इसमें गिरावट जारी है। वित्त वर्ष 2024 में यह 3.67 लाख करोड़ रुपये था।
डीपीआईआईटी से इस बारे में और स्पष्टता मांगी गई है कि विदेशी स्वामित्व वाली और नियंत्रित कंपनी (एफओसीसी) क्या कर सकती है और क्या नहीं। कानूनी विशेषज्ञों ने कौशल आधारित गेमिंग उद्योग में भी एफडीआई को लेकर स्पष्टता की मांग की।