केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) की दरों में हाल में हुई बढ़ोतरी से सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों को फायदा होने की संभावना है। ऐसा विश्लेषकों का मानना है।
सीजीएचएस की दरों में संशोधन के तहत करीब 2,000 चिकित्सा प्रक्रियाओं को शामिल किया गया है जो 13 अक्टूबर से लागू होगा। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि यह उन अस्पताल कंपनियों के लिए फायदेमंद है जो इस योजना के तहत इलाज करती हैं।
नई दरें तीन मुख्य मानकों पर आधारित एक बहुआयामी दर संरचना पेश करती हैं। पहला, सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल अब एनएबीएच-मान्यता प्राप्त अस्पतालों के लिए तय की गई मानक दरों से 15 प्रतिशत अधिक शुल्क ले सकते हैं। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलूरु, हैदराबाद, पुणे और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों के लिए एक मानक दर तय की गई है जबकि मझोले स्तर के शहरों और छोटे शहरों में दरें, बड़े शहरों की तुलना में 10–20 प्रतिशत कम होंगी। सेमी-प्राइवेट वार्डों के लिए एक मानक दर तय की गई है जबकि प्राइवेट वार्ड के लिए दर 5 प्रतिशत अधिक और जनरल वार्ड के लिए 5 प्रतिशत कम होगी।
इक्रा की उपाध्यक्ष और क्षेत्र प्रमुख, कॉरपोरेट रेटिंग्स की मैत्री माचेरला का कहना है, ‘बड़ी अस्पताल श्रृंखलाओं की लगभग 4-8 प्रतिशत आय, सीजीएचएस मरीजों के जरिये होती है। हालांकि यह कुछ मामलों में अधिक भी हो सकती है।’
नई पॉलिसी में अलग-अलग दरों वाले कार्ड सिस्टम तय किए गए हैं। इसमें एनएबीएच से मान्यता प्राप्त और बिना मान्यता वाले अस्पतालों के लिए अलग-अलग दरें होंगी। साथ ही 200 से ज्यादा बेड वाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और मझोले एवं छोटे शहरों के अस्पतालों को भी ध्यान में रखा गया है। इस संरचना से अस्पतालों की वास्तविक लागत के हिसाब से सही पैसे मिल सकेंगे।
माचेरला कहती हैं, ‘इस नई व्यवस्था के कारण ही सुपर-स्पेशियलिटी और एनएबीएच-मान्यता प्राप्त अस्पतालों को अधिक वसूली की उम्मीद है। साथ ही महानगरों और छोटे शहरों के बीच लागत के अंतर का समाधान किया जा सकता है।’
एमके के विश्लेषकों का मानना है कि इस संशोधन से असमान रूप से सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों को फायदा मिलेगा क्योंकि वे महानगरों में तत्काल प्रभाव से बेड में विस्तार की योजना पर अमल कर सकेंगी।
उन्होंने कहा कि केआईएमएस, मैक्स हेल्थकेयर, मेदांता को लाभ मिलेगा क्योंकि इन अस्पतालों का सीजीएचएस और अन्य राज्य सरकार की योजना में 18-22 फीसदी निवेश है।
कॉरपोरेट अस्पताल बेड में विस्तार करने के चरण में हैं। कीमतों में औसतन 100 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है और सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल आधार दर पर 15 प्रतिशत प्रीमियम शुल्क लगा सकते हैं।
नुवामा के विश्लेषकों का कहना है, ‘सरकारी योजनाओं और लोकेशन को देखते हुए, हमारा मानना है कि मैक्स हेल्थकेयर, फोर्टिस हेल्थकेयर, नारायणा हेल्थ और यथार्थ हॉस्पिटल्स को सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है, जिससे राजस्व में 4-8 प्रतिशत और मार्जिन पर150-400 आधार अंक की बढ़ोतरी संभव है।’ उन्होंने कहा कि मैक्स हेल्थकेयर, अपोलो हॉस्पिटल्स और फोर्टिस हेल्थकेयर के 50-60 प्रतिशत बेड अभी बड़े शहरों में हैं और बेड बढ़ने के बाद भी ये रुझान इसी तरह बने रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘मैक्स और फोर्टिस के राजस्व में सरकारी मरीजों की हिस्सेदारी लगभग 20 प्रतिशत है जबकि अपोलो हॉस्पिटल्स में यह लगभग 10 प्रतिशत है। हमारे अनुसार, मैक्स की सीजीएचएस में हिस्सेदारी लगभग 10 प्रतिशत है जबकि अपोलो और फोर्टिस के लिए यह 5-6 प्रतिशत है।’
कुछ प्रक्रियाओं जैसे कि हार्ट ट्रांसप्लांट, गर्भावस्था से जुड़ी प्रक्रियाएं और कुछ न्यूरोलॉजी प्रक्रियाओं की कीमतों में 3-6 गुना तक की बढ़ोतरी हुई है। कुल मिलाकर, विश्लेषकों का मानना है कि ज्यादातर सूचीबद्ध अस्पतालों को अपने सीजीएचएस पोर्टफोलियो में 30-50 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।