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मौजूदा ब्रांडों में भारतीय लोगों की दिलचस्पी बरकरार: Bain & Company रिपोर्ट

Bain & Company रिपोर्ट में एशिया-प्रशांत में साल 2018 से 2022 के उथल-पुथल के बीच मजबूती का आकलन करने के लिए 23 उपभोक्ता वस्तु श्रेणियों का विश्लेषण किया गया है।

Last Updated- February 05, 2024 | 8:22 AM IST
Mckinsey Report

भारतीय अभी भी मौजूदा ब्रांडों को प्राथमिकता दे रहे हैं। बेन ऐंड कंपनी की रिपोर्ट से पता चला है कि क्षेत्रीय ब्रांडों की बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद मौजूदा ब्रांडों की बाजार हिस्सेदारी अभी भी 65 फीसदी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में सामान्य कारोबार का दबदबा होने से राष्ट्रीय ब्रांडों को अपना दबदबा बरकरार रखने में मदद मिली है। साथ ही देश में ई-कॉमर्स की कम पहुंच से बड़े ब्रांड दमदार बने हुए हैं।

रिपोर्ट में एशिया-प्रशांत में साल 2018 से 2022 के उथल-पुथल के बीच मजबूती का आकलन करने के लिए 23 उपभोक्ता वस्तु श्रेणियों का विश्लेषण किया गया है। इनमें एशिया-प्रशांत के 11 बाजारों में बेवरिजेज, खाद्य पदार्थ, सौंदर्य एवं व्यक्तिगत देखभाल उत्पाद और होम केयर सामग्री का विश्लेषण शामिल है।

इसमें यूरोमॉनिटर के आंकड़ों का उपयोग किया गया है और साल 2018 तक सभी श्रेणी और देश के बाजार हिस्सेदारी के हिसाब से शीर्ष 10 ब्रांडों के प्रदर्शन को आंका गया है। यह विश्लेषण साल 2022 तक जारी रहा और इसमें वैसे किसी भी ब्रांड को शामिल नहीं किया गया जो उस वर्ष तक बाजार से निकल गए।

मजबूत ई-कॉमर्स और थर्ड पार्टी आपूर्तिकर्ताओं के लिए बेहतरीन स्थिति के कारण सिंगापुर और चीन नई कंपनियों के लिए सबसे अनुकूल बाजार के रूप में उभरे।

रिपोर्ट में बताया गया कि इसके विपरीत मलेशिया, फिलिपिंस और भारत मौजूदा ब्रांड के लिए सबसे अनुकूल बाजार हैं। भारत और फिलिपींस में ई-कॉमर्स की कम पैठ होने और पारंपरिक कारोबार के कारण इनका दबदबा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन बाजारों में जटिलताओं के कारण नई कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण माहौल बनता है।

बेन ऐंड कंपनी में पार्टनर रवि स्वरूप ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि देश के मौजूदा बड़े भारतीय ब्रांडों ने सही मायने में बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्हें भारतीय ग्राहकों की पसंद के बारे में अच्छी समझ है इस कारण उनका प्रदर्शन बेहतर है। उन्होंने कहा कि देश में विदेशी ब्रांडों का प्रदर्शन भी अच्छा रहा है। स्वरूप ने कहा, ‘ग्राहक को समझना काफी महत्त्वपूर्ण होता है।’

देश में रोजमर्रा के सामान बनाने वाली कंपनियां पिछली तीन तिमाहियों से क्षेत्रीय ब्रांडों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रही हैं। कंपनियों ने कहा है कि उन्हें लगता है कि बड़ी संख्या में अधिक क्षेत्रीय ब्रांडों की बाजार में मौजूदगी बढ़ गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी स्थिति सिर्फ भारत में ही नहीं है बल्कि फिलिपींस और इंडोनेशिया के बाजार में भी स्थानीय मौजूदा ब्रांड दमदार बनने की राह पर हैं मगर विदेशी ब्रांड अभी भी अधिकतर श्रेणियों में आगे हैं।

First Published - February 4, 2024 | 10:35 PM IST

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