चिप बनाने वाली दिग्गज कंपनी एनवीडिया ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) क्रांति में छलांग लगाने के लिए भारत में एआई फैक्टरी लगाने के लिए कहा है। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस में तेजी पर सवार एनवीडिया हाल में ऐपल को पीछे छोड़कर विश्व की सबसे मूल्यवान कंपनी बन गई है।
भारत में एआई फैक्टरी की वकालत करने वाले विशाल धूपर एनवीडिया में दक्षिण एशिया के प्रबंध निदेशक हैं। उनका कहना है कि हमारे देश में विनिर्माण इंटेलिजेंस की जरूरत है और इसका उपभोग भारत करे और अधिशेष का निर्यात कर दे। उन्होंने शुक्रवार को तमिलनाडु की प्रमुख आईटी बैठक यूइमैजिन 2025 में कहा, ‘भारत और तमिलनाडु के लिए सबसे बड़ा अवसर इंटेलिजेंस के लिए विनिर्माण संयंत्र और एआई के लिए फैक्टरियां लगाना है। मैं इन्हें डेटा सेंटर नहीं कह रहा हूं।’
एआई फैक्टरियां ऐसा परिवेश अथवा केंद्र हैं जो अत्याधुनिक जेनरेटिव एआई मॉडल बनाने के लिए कंप्यूटिंग पावर, डेटा और प्रतिभा को साथ जोड़कर एआई क्षेत्र में नवोन्मेष और सहयोग वृद्धि को बढ़ावा देता है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से भारत ने मोबाइल प्रौद्योगिकी की तरफ छलांग लगाई, उसी तरह देश को सामान्य उद्देश्य की कंप्यूटिंग के बजाय एक्सीलेरेटेड कंप्यूटिंग की तरफ तेजी से जाना चाहिए। यह सस्टेनेबल कंप्यूटिंग है। धूपर ने कहा कि एक्सीलेरेटेड कंप्यूटिंग का मतलब है कि आप ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट्स (जीपीयू) और सीपीयू को बढ़ा रहे हैं।
ये गेमिंग कंसोल और सेल्फ ड्राइविंग कारों से लेकर दुनिया के सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटरों तक को शक्ति प्रदान करता है। दिलचस्प है कि कैलिफोर्निया की इस कंपनी के पास जीपीयू में तीन दशकों की विशेषज्ञता है। इस कारण बाजार में प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले उसका एकाधिकार है। एआई चिप बाजार में कंपनी के पास 90 फीसदी की बाजार हिस्सेदारी है और इसके मुकाबले एडवांस्ड माइक्रो डिवाइसेज (एएमडी) और इंटेल जैसी प्रतिद्वंद्वियों के पास मामूली बाजार हिस्सेदारी है।
27 अक्टूबर को समाप्त हुए तीसरी तिमाही के दौरान एनवीडिया ने 35.1 अरब डॉलर का जोरदार राजस्व अर्जित किया है जो एक तिमाही पहले के मुकाबले 17 फीसदी और एक साल पहले के मुकाबले 94 फीसदी अधिक है। इसके अलावा कंपनी का डेटा सेंटर राजस्व भी तिमाही में रिकॉर्ड 30.8 अरब डॉलर रहा जो दूसरी तिमाही के मुकाबले 17 फीसदी और एक साल पहले की इसी अवधि के मुकाबले 112 फीसदी का इजाफा है।
धूपर ने कहा कि भारत सरकार पहले ही साल 2018 में रणनीतिक पेपर और उसके बाद एआई मिशन की घोषणा कर एआई क्षेत्र में दमदार छलांग लगा चुकी है। उन्होंने कहा, ‘सरकार ने सभी बुनियादी ढांचों को एक साथ लाने का माहौल तैयार किया है। आगे का पहला कदम काफी बढ़िया है। टीसीएस और अन्य कंपनियां इस पर काम कर रही हैं कि हम वर्कफ्लो को कैसे एकीकृत करें। यह बस शुरुआत है और अभी बहुत कुछ करना बाकी है।’
डेटा केंद्रों के लिए बिजली की खपत पर स्थायी तौर पर ध्यान देने के बारे में उन्होंने कहा कि आने वाले समय में 250 किलोवॉट वाले डेटा सेंटर भी आएंगे और भारत के पास ऐसे डेटा सेंटर लाने का बड़ा मौका भी है क्योंकि इसके लिए अधिक बिजली और पानी की उपलब्धता के साथ कम आबादी वाले इलाकों की जरूरत है। फिलहाल, 40 से 125 किलोवॉट वाले डेटा सेंटर को हाई डेंसिटी डेटा सेंटर माना जाता है जबकि दुनिया भर के डेटा सेंटर 200 किलोवॉट तक की खपत करते हैं।