स्वीडन की दिग्गज फर्नीचर एवं फर्निशिंग कंपनी आइकिया 18 दिसंबर को नवी मुंबई में अपना स्टोर खोलने जा रही है। कंपनी का भारत में एकमात्र स्टोर हैदराबाद में है, जिसमें इस साल आने वाले लोगों की तादाद कोविड-19 के कारण घटकर आधी (20 लाख) रही। कंपनी का वित्त वर्ष अगस्त में समाप्त होता है। लेकिन कंपनी के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। इस साल कंपनी के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हैदराबाद, मुंबई और पुणे से 2.5 करोड़ लोग आए, जिनकी तादाद पिछले साल एक करोड़ थी।
आइकिया ने एक ब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लेकर बहुत से बदलावों और खरीद को लेकर नए खंड बनने तक 12 साल के लिए पूरे धैर्य से इंतजार किया। कंपनी का कहना है कि वह भारत में लंबे समय तक बने रहने के लिए आई है। कंपनी ने अगस्त में अपनी दूसरी वर्षगांठ मनाई है। आइकिया के पास 1.5 अरब यूरो का आरक्षित कोष है, जिसमें से कुछ का पहले ही अपनी रणनीति में बड़े बदलाव के लिए निवेश किया जा चुका है।
आइकिया इंडिया के सीईओ पीटर बेटजेल ने कहा कि उनका लक्ष्य भारत को अगले 8 से 10 साल में कंपनी के सबसे बड़े बाजारों में से एक बना देना है। वहीं कंपनी 2016 तक अपनी योजना को लेकर सतर्कता बरत रही थी। उस समय कंपनी ने दशक के अंत तक 25 स्टोर खोलने की बात कही थी।
यह खुदरा फर्नीचर कंपनी अपनी डीआईवाई शृंखला के लिए प्रसिद्ध है। इसने अगस्त 2022 के अंत तक स्टोरों या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर 10 करोड़ लोगों को लाने की योजना बनाई है। यह संख्या इस समय चार करोड़ से अधिक है। साथ ही, यह छोटे शहरों में भी अपने कारोबार को फैलाने के मॉडलों पर काम कर रही है। इस महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य की नींव कई तरीकों से बिक्री की रणनीति पर टिकी है। इसमें आइकिया में नए ग्राहक लाने में ऑनलाइन की अहम भूमिका होगी। पहले ही कंपनी से 85 फीसदी लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये ही आइकिया से जुड़ रहे हैं। इसके अलावा कंपनी बेंगलूरु और गुरुग्राम में अपने बड़े स्टोर (30,000 वर्ग मीटर, जिनमें सभी प्रकार के उत्पाद, कैफे, सलाहकार, बड़ा पार्किंग स्थल होंगे) बनाएगी।
लेकिन कंपनी के कदम यहीं नहीं रुकेंगे। अब आइकिया सिटी सेंटरों में छोटे स्टोरों पर काम कर रही है। ग्राहकों के लिए इन स्टोरों तक पहुंचाना आसान होता है क्योंकि उनके पास शहर के बाहरी इलाके में स्थित मेगा स्टोरों में जाने के लिए समय नहीं होता है। आम तौर पर ये बड़े स्टोर वहां खोले जाते हैं, जहां बड़े भूखंड उपलब्ध हैं। सिटी सेंटरों में खुलने वाले स्टोर 5,000 से 10,000 वर्ग मीटर में फैले होंगे, जिनमें प्रदर्शनी के लिए सीमित उत्पाद होंगे। ऐसे स्टोरों के लिए कंपनी ने मुंबई में दो जगह चिह्नित की हैं।
समूह तीसरी तरह के स्टोरों की भी योजना बना रहा है। इनका नाम ‘इंग्का सेंटर’ होगा, जो आइकिया स्टोरों के स्वामित्व वाले शॉपिंग मॉल होंगे। दुनिया भर में ये शॉपिंग मॉल 20,000 से 2,50,000 वर्ग मीटर में फैले हैं, जिनमें जीवनशैली से जुड़ी अन्य दुकानें, रेस्तरां, मनोरंजन केंद्र और सिनेमाघर शामिल हैं। समूह ने जो शहर चिह्नित किए हैं, उनमें वह परिसंपत्तियां तलाश रहा है।
कई रियल एस्टेट विशेषज्ञों का कहना है कि यह खुदरा स्थान तलाशने का अच्छा समय है क्योंकि वित्तीय तंगहाली से गुजर रहे बहुत से शॉपिंग मॉल की किराया आमदनी घट रही है, इसलिए वे बिक्री के बारे में विचार कर रहे हैं। एक रियल एस्टेट सलाहकार कंपनी में वरिष्ठ कार्याधिकारी ने कहा, ‘देश में 650 बड़े मॉल हैं, जिनमें एक लाख वर्ग फुट (30,480 वर्ग मीटर) की जगह है। इनमें से करीब आधे दिल्ली, गुरुग्राम, मुंबई एवं उपनगरों और बेंगलूरु में हैं। बहुत से मॉल वित्तीय बोझ की वजह से सस्ते में भी बिकने को तैयार हैं।’
बिक्री का चौथा तरीका ऑनलाइन है, जिस पर पहले ही बड़ी तादाद में लोग आ रहे हैं। लेकिन वह भौतिक स्टोरों के पूरक के रूप में काम करेगा क्योंकि बिक्री में छूकर एवं महसूस करके देखने की अहम भूमिका है। कंपनी की योजना मुंबई में पूर्ण समन्वित ऑनलाइन और ऑफलाइन रणनीति का परीक्षण करना और फिर उसे अन्य शहरों में लागू करना है।
कंपनी ने बड़े स्टोरों के बजाय कई तरह के स्टोरों की रणनीति बाजार के ढांचे को देखते हुए बनाई है। टेक्नोपैक के अनुमानों के मुताबिक भारत में फर्नीचर और फर्निशिंग का सालाना बाजार 35 अरब डॉलर है, जिसमें फर्नीचर का बड़ा हिस्सा (28 अरब डॉलर) है। फिर भी इस खंड में आधुनिक खुदरा बिक्री का हिस्सा महज दो अरब डॉलर है (वित्त वर्ष 2020 क आंकड़े)। इसलिए यहां असंगठित क्षेत्र को बदलने के लिए बड़ा बाजार है। बेटजेल का कहना है कि उसके उत्पादों के लिए किफायत एक अहम आधार है।
इसके अलावा ब्रांडेड खंड के प्रतिस्पर्धी वृद्धि नहीं कर पाए हैं। टेक्नोपैक एडवाइजर्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अंकुर भसीन ने कहा, ‘पेपरफ्राई और अर्बन लैडर ने बिक्री के बहुत से समन्वित तरीके शुरू किए थे, जिन्होंने कुछ चुनिंदा जगहों पर प्रदर्शनी केंद्र खोले थे। सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य बड़े फर्नीचर से लेकर उपभोक्ता वस्तुओं, लघु ड्यूरेबल से लेकर टेबल लैंप तक, बहुत से उत्पादों के लिए आपूर्ति शृंखला बनाना है। भारत के ज्यादातर संगठित खुदरा विक्रेताओं के पास उत्पादों में विभिन्नता और उत्पाद पेशकश की कमी है।’ होम स्टोर जैसे बड़े स्टोरों के पास व्यापक उत्पाद हैं मगर तरह-तरह के उत्पाद मौजूद नहींं हैं। वह कहते हैं कि आइकिया के पास रेंज और अलग-अलग के उत्पाद हैं और इस मामले में वह आगे है।
आइकिया इसके लिए स्थानीय आपूर्ति शृंखला बना रही है। वह ऐसा न केवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के नियमों का पालन करने के लिए बल्कि लागत घटाने के लिए भी कर रही है। इसके भारत में 50 से अधिक वेंडर हैं और उसके स्टोरों में 20 फीसदी उत्पाद भारत में बने हुए हैं। कंपनी ने इस स्तर को कुछ वर्षों में 50 फीसदी पर ले जाने का लक्ष्य तय किया है। यह 1,200 से अधिक स्थानीय कारीगरों के साथ काम कर रही है, जो आइकिया के वैश्विक स्टोरों के लिए विशेष कलेक्शन बना रहे हैं। समूह फर्नीचर, मैट्रेस और सोफा जैसे नए उत्पाद स्थानीय वेंडरों से बना रहा है, जिनके लिए आइकिया विशेषज्ञता मुहैया कराती है और लकड़ी एवं बांस जैसा टिकाऊ कच्चा माल खरीदने में मदद दे रही है।
बेटजेल का कहना है कि पारिस्थितिकी अनुकूल उत्पादन आइकिया की रणनीति में सबसे अहम है। उदाहरण के लिए हैदराबाद और मुंबई में छतों पर सौर पैनल से नवीकरणीय ऊर्जा पैदा होगी। आइकिया ने वर्ष 2025 तक 100 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल का लक्ष्य तय किया है। करीब 13 फीसदी होम या पार्सल डिलिवरी इलेक्ट्रिक वाहनों के जरिये की जाती है।
आइकिया इस बात को अच्छे से समझती है कि भारत में फर्नीचर का बाजार अभी बनने ही लगा है। यही वजह है कि वह तेजी से अपने स्टोर नहींं बढ़ा रही है। लेकिन उसके लिए सबसे बड़ी परीक्षा यह होगी कि वह किस तरह ई-कॉमर्स और परंपरागत स्टोरों के बीच संतुलन कायम करती है।
