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बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ इंटरव्यू में बोलीं सीतारमण: GST सुधार से हर उपभोक्ता को लाभ, मांग में आएगा बड़ा उछाल

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी सुधार से हर उपभोक्ता को फायदा मिलेगा, खपत और मांग बढ़ेगी, जिससे निवेश और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

Last Updated- September 07, 2025 | 10:59 PM IST
Nirmala Sitharaman
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण | फाइल फोटो

जीएसटी प्रणाली में बड़े सुधार का ऐलान करने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को नॉर्थ ब्लॉक में बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ घंटे भर के अपने साक्षात्कार में कई मसलों पर बात की। असित रंजन मिश्र, विकास धूत, निवेदिता मुखर्जी और एके भट्टाचार्य के साथ उनकी बातचीत के मुख्य अंश:

आर्थिक नीति में ऐसा क्या है, जिसकी वजह से आपने इतनी तेजी से ऐसा बड़ा सुधार कर दिया? आयकर कानून में बदलाव और बजट के बाद यह सुधार उस वक्त आया है, जब देश के भीतर और बाहर चुनौतियां खड़ी हैं। आर्थिक नीति और अर्थव्यवस्था की स्थिति के लिहाज से आप जीएसटी में इस सुधार को कैसे देखती हैं?

जीएसटी के 8 साल पूरे हो चुके हैं। इन 8 साल में हमने कई सबक सीखे। दुर्भाग्य से बीच मेंकोविड आ गया, इसलिए 4-5 साल में या पांचवें साल में हम जो भी सुधार करना चाहते थेवे कोविड की वजह से नहीं हो सके। इसके बाद एक-दो साल स्थिति को सामान्य करने मेंलग गए। इस हिसाब से अगर आप कोविड वाले दो-तीन साल छोड़ दें तो हमने जीएसटी को पांचसाल में ही दुरुस्त कर दिया है। हमने शुल्क के चक्कर में या किसी और वजह से ऐसानहीं किया है। इसमें सुधार तो होना ही था और केवल पांच साल में हो गया। जरा सोचिएकि जिस देश में 1961 में बना आयकर कानून 2025 तक चलता रहा, वहां हमने जीएसटी शुरूहोने के आठ साल बाद ही इतना बड़ा सुधार कर दिया। इसलिए सुधार को बहुत देर से आयानहीं कहा जा सकता।

क्या राज्यों की प्रतिक्रिया ने आपको हैरत में डाला? इक्का-दुक्का आवाजों को छोड़ दें तो एक तरह से सभी ने इसे मौन स्वीकृति दे दी है।

मुझे बहुत खुशी हुई। मैंने तुरंत इसकी तारीफ भी की। इतना ही नहीं, मैंने हरेक वित्त मंत्री को खुद चिट्ठी भी लिखी है, जिसमें मैंने इस मौके पर एकजुट होने के लिए उनकी सराहना की है। भारत की जनता इसकी हकदार है। हमने चर्चा की है, मतभेद रहे हैं मगर हम सबने साथ मिलकर कहा – हां, यह होना चाहिए और इसके लिए मैं उन सभी की शुक्रगुजार हूं।

शुक्रगुजार इसलिए कि यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया मतदान से नहीं……

हां। मैंने बीच में कहा कि इस पर मतदान करा लेते हैं वरना कल भी चर्चा होती रहेगी। केंद्र ने दरों में बदलाव का जो प्रस्ताव दिया था, उस पर कोई मतभेद नहीं था। हम सभी जन हितैषी, मध्यवर्ग हितैषी, एमएसएमई हितैषी और अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने वाले इस प्रस्ताव के समर्थन में खड़े हैं। इस पर कोई विरोधी ही नहीं था। चिंता केवल राज्य का राजस्व घटने की थी। इसलिए प्रस्ताव का विरोध कतई  नहीं हुआ।

जीएसटी में कटौती और उससे पहले आयकर में राहत का मांग, जीडीपी और महंगाई पर किस तरह का असर होगा? जीएसटी में बदलाव के कारण मांग में 20 लाख करोड़ रुपये का इजाफा होने की बात भी कही जा रही है। वित्त मंत्रालय ने ऐसा कुछ नहीं कहा है। अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

अचानक ऐसा क्या हुआ कि सरकार को जीएसटी में बदलाव करने और इसे सरल बनाने का ख्याल आया?

अचानक कुछ भी नहीं हुआ। यह दिवालिया संहिता (आईबीसी) जैसा ही था। हम आईबीसी लाए और उसमें 3-4 संशोधन किए ताकि वह मजबूत और उद्योग के काम का बना रहे। जीएसटी में जरूरत यह थी कि लोगों को कर की सरल-सुगम दर मिले और व्यवस्था इतनी सरल हो जाए कि सबकी समझ आए और अनुपालन आसान हो जाए। बदलाव की वजह यही थी। सुधार तो यूं भी सतत प्रक्रिया है और इसके लिए  दशकों इंतजार नहीं करूंगी। अगर दो साल में होना है तो करूंगी।

यह सरकार आपूर्ति बढ़ाने के उपाय करती रही है। 2019 में कंपनी कर में कटौती इसका बडा उदाहरण है। लेकिन उसके बाद से आयकर कटौती मांग बढ़ाने के लिए थी और जीएसटी दर सरल बनाने से भी यही होगा। अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए क्या जानबूझकर आपूर्ति के बजाय मांग बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है?

देखिए, ऐसा नहीं हो सकता कि सरकार एक बार मांग बढ़ाने के उपाय करे और कुछ साल बाद आपूर्ति बढ़ाने के। उनमें संतुलन बना रहना चाहिए और यह काम लगातार चलता रहता है। ऐसा नहीं है कि मैं एक पलड़े को भारी करती जाऊं और कुछ साल बाद वापस हल्का कर दूं। यह बाजार के संतुलन की तरह है, जो लगातार बना रहना चाहिए। ज्यादातर उद्योगों ने जीएसटी परिवर्तन का स्वागत किया है और कहा है कि इसके फायदे उपभोक्ताओं को दिए जाएंगे। लेकिन एफएमसीजी और कार जैसे उद्योगों को इन बदलावों से दिक्कत भी हो रही है। इस पर आप क्या कहेंगी? कुछ तो इसे 22 सितंबर के बजाय और देर से लागू करने की बात कर रहे हैं।

मुझे नहीं पता कि ये बातें कहां से आ रही हैं। जो लोग हमसे बात कर रहे हैं, वे तो एकदम तैयार हैं। आज सुबह ही महिंद्रा ने कहा कि इसका फायदा दिया जाएगा। वे 22 सितंबर का इंतजार नहीं कर रहे हैं, इसलिए लागू करने की दिक्कत क्या उनके लिए नहीं है? वे इसका फायदा क्यों दे रहे हैं? कैसे दे रहे हैं? टाटा मोटर्स ने कहा कि वह 22 तारीख से ऐसा करेगी। कैसे? इसलिए इस पर तो मुझे मेरी पीठ थपथपाने दीजिए। मुझे कोई एक वित्त मंत्री बताएं, जिसने किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद, शानदार बजट देने के बाद 70 पेज का प्रेस नोट जारी किया हो। हमें एकदम पता है कि हम क्या कर रहे हैं।

क्या आपको लगता है कि जीएसटी में इस बदलाव से कंपनी जगत को प्रोत्साहन मिलेगा? और क्या आपको लगता है कि इससे उनका निवेश बढ़ेगा?

दर घटाकर हमने एक कदम आगे बढ़ाया है और इसका असर समूचे 140 करोड़ लोगों पर पड़ने जा रहा है। आप टूथपेस्ट खरीदें, सेफ्टी पिन खरीदें, कार खरीदें, जूते खरीदें या दवा खरीदें या बीमारी की जांच कराने जाएं, दरों में इस कटौती का फायदा सभी को मिलने जा रहा है। इससे खपत तो बढ़नी ही है। मांग बढ़ेगी और मांग बढ़ी तो उद्योग और किस बात का इंतजार करेगा? आम तौर पर कंपनियां यही कहती हैं कि मांग नहीं है, इसलिए हम क्षमता नहीं बढ़ा रहे हैं और इसीलिए निवेश नहीं हो रहा है। तो जब निवेश होगा, क्षमता तैयार होगी तब रोजगार आएगा, कमाई होगी। इसलिए यह जीएसटी सुधार बेहतरीन चक्र शुरू कर देगा, जो असल में शुरू हो ही रहा है।

इसका असर कितने अरसे में दिखने लगेगा?

पता नहीं।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) प्रमुख ने हमसे कहा कि अहितकर वस्तुओं पर 40 फीसदी जीएसटी के बाद और शुल्क भी लगेगा। यह शुल्क किस तरह का होगा?

इस समय मैं कुछ भी नहीं कह सकती। इस पर काम करना होगा। कुछ काम हो भी रहा है। देखते हैं कि क्या निकलकर आता है।

क्या उस राजस्व में आप राज्यों को भी हिस्सा देंगी?

अभी मुझे भी नहीं पता।

कई विशेषज्ञों का कहना है कि इससे 1.5 से 2 लाख करोड़ रुपये तक का राजस्व कम हो जाएगा मगर वित्त मंत्रालय केवल 48,000 करोड़ रुपये का अनुमान लगा रहा है। तो क्या असली आंकड़ा आपके अनुमान से ज्यादा हो जाएगा?

हमने एक आंकड़ा दिया है और हमारे हिसाब से निकट भविष्य में राजस्व में इतनी कमी आएगी। लेकिन मांग और खपत बढ़ने से इसकी भरपाई भी तुरंत हो जाएगी। त्योहारी दिनों में ही भरपाई होने लगेगी और परिषद में हमने जो आंकड़ा दिया था उसके हिसाब से भरपाई इसी साल हो जाएगी।

आपने ऑनलाइन मनी गेमिंग पर भी रोक लगा दी है, जिससे बहुत राजस्व आता था। क्या 48,000 करोड़ रुपये की गणित में आपने इसे भी शामिल किया है या वह नुकसान अलग से होगा?

ऑनलाइन गेमिंग पर पूरी तरह रोक नहीं लगी है। हमने पैसे लगाकर खेले जाने वाले गेम पर प्रतिबंध लगाया है। इसीलिए ऑनलाइन गेम पर जीएसटी चल रहा है।

लेकिन क्या उस वजह से राजस्व में काफी कमी आएगी?

हमें नहीं पता। इसका पता आगे चलकर ही लगेगा।

आपने कहा है कि दरों में कटौती का फायदा 22 सितंबर के बाद सबको मिले, आप इस पर नजर रखेंगी। मुनाफाखोरी रोधी निकाय नहीं है तो कैसे पता चलेगा कि वास्तव में यह हो रहा है या नहीं?

हमारी बनाई प्रक्रियाओं में मीडिया का भरोसा देखकर मुझे खुशी हो रही है। मुनाफाखोरी रोधी मामले देखिए। ढंग के 300 मामले भी नहीं हैं। इसलिए प्रक्रिया हो या नहीं हो, आपको नजर रखनी होगी। अगर कटौती का फायदा नहीं दिया जा रहा है तो आपको कदम उठाने पड़ेंगे। हम यही करने जा रहे हैं।

आप बताएंगी कि नजर कैसे रखी जाएगी और यह कवायद काम कैसे करेगी?

मैं यह पक्का करने की कोशिश कर रही हूं कि कटौती का फायदा दिया जाए। इसलिए इस कवायद में अविश्वास जैसा कुछ नहीं है। इसका मकसद केवल इतना है कि अगर फायदा आगे नहीं दिया जा रहा है तो वह दिलाने के लिए मैं हूं। इसलिए ऐसा नहीं है कि मैं उद्योग में भरोसा नहीं कर रही हूं, मेरा उस पर पूरा भरोसा है। और वे फायदा देने की बात कर भी इसीलिए रहे हैं क्योंकि हम उनसे कह रहे हैं कि फायदा उपभोक्ताओं को दीजिए। हमारी मंशा अच्छी है। हम जनता को फायदा देना चाहते हैं। हमें समझना होगा कि विकसित भारत 2047 में बहुत समय नहीं बचा है, इसलिए लोगों को आगे आना चाहिए, अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़नी चाहिए, मजबूती होनी चाहिए, उद्योग को निवेश करना चाहिए। इसके बगैर तो हम 20 साल और उतना विकास नहीं कर सकते, जिसकी तमन्ना लोगों में इस वक्त है।

वृद्धि के लिए सबसे बड़ा जोखिम व्यापार से जुडी ऊहापोह है। रोजगार पर इसका दुष्प्रभाव पहले ही नजर आ रहा है। सरकार की इस पर क्या योजना है?

शुल्क के मोर्चे पर विभिन्न विभाग अपने-अपने हितधारकों से बात कर रहे हैं। मुझे नहीं पता कि अमेरिका को निर्यात होने वाले माल पर 50 फीसदी शुल्क का क्या असर होगा, यह उद्योग अभी समझ पाया है या नहीं। निर्यातक यह कहकर कारोबार शुरू नहीं करता कि मैं केवल अमेरिका को निर्यात करूंगा। उसके निर्यात का एक हिस्सा अमेरिका को जाता है और 50 फीसदी शुल्क की चोट केवल उस हिस्से को लगने वाली है। तो कैसा धक्का लगेगा? कितना धक्का लगेगा? इसका अंदाजा उसे खुद लगाना होगा, उद्योग को लगाना होगा। हर उद्योग को खुद यह काम करना होगा और जब तक उद्योग संबंधित मंत्रालय या विभाग को यह नहीं बताता कि उसे कितनी चोट लग रही है तब तक सरकार कुछ कारगर कदम नहीं उठा सकती। वैसे भी शुल्क 27 अगस्त को शुरू हो चुका है। जल्द ही हमें आंकड़े मिल जाएंगे।

तो सरकार जल्द ही पैकेज ले आएगी?

पहले उद्योग से जानकारी मिले उसके बाद।

अब आप कह रही हैं कि इनवर्टेड शुल्क व्यवस्था में 90 फीसदी रिफंड खुद ही हो जाएगा। बाकी 10 फीसदी को भी रिफंड करने की कोई योजना आपके पास है?

नहीं। अभी हम इस भरोसे पर बात कर रहे हैं कि 90 फीसदी रिफंड उनका है, जो अनुपालन कर रहे हैं। कुछ ही ऐसे लोग हैं, जो व्यवस्था को धोखा देने की कोशिश करते हैं। हम ऐसा कुछ नहीं चाहते, जिससे बाकी लोगों को भी परेशानी हो। इसलिए हमने कहा कि हम 90 फीसदी रिफंड कर देंगे और बाकी देखा जाएगा। मैं 10 फीसदी को कुछ समय तक रोकूंगी ताकि ऐसा न हो कि जल्दबाजी में कुछ कर दें और बाद में कदम पीछे खींचने पड़ जाएं।

आपने जीएसटी अपील व्यवस्था शुरू की है। यह देश भर में काम करेगी या कुछ आईबीसी की तरह कुछ राज्यों में ही शुरू होगी?

नहीं। शुरू में हर राज्य में कम से कम एक या दो पंचाट होंगे और अपील अधिकरण दिल्ली में होगा। हर राज्य ने अपने यहां इसके लिए जगह खुद ही चुनी है। हमने इसमें कोई दखल नहीं किया है और हर राज्य के लिए हमने उसी के यहां जगह खरीदी या किराये पर ली है और सभी जरूरी उपकरण मुहैया कराए हैं। पीठ के, पंचाट के, पंचाट के पीठ के नाम तय कर लिए गए हैं और सब कुछ तैयार है। इस पर काम कर रहे अधिकारी 10 दिन में अपनी रिपोर्ट दे देंगे। इस महीने के अंत तक नियम-कानून समेत सब कुछ तैयार होगा। प्रक्रिया 1 अक्टूबर से शुरू होगी और नवंबर तक सुनवाई आदि शुरू हो जाएंगी क्योंकि इसमें कागजी झंझट बहुत कम है।

आपको अधिकारी और करदाता के बीच संपर्क के बगैर ही कर निर्धारण की प्रक्रिया शुरू करने का श्रेय दिया जाता है। जीएसटी ज्यादातर ऑनलाइन है मगर लोगों का आमना-सामना होता है। इसे भी पूरी तरह संपर्करहित बनाने में कितना समय लगेगा?

कायदे में यह हो जाना चाहिए मगर मैं इतने बड़े फैसले के बाद ठहराव आने तक इंतजार करूंगी। उसके बाद मैं सभी से बात करूंगी और तय करूंगी कि यह कैसे किया जाए क्योंकि इसमें राज्य जीएसटी (एसजीएसटी), केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) होता है। संपर्करहित या फेसलैस का मतलब है कि तीनों मामलों में राज्यों और केंद्र का संपर्क नहीं हो। स्थिर जीएसटी के बाद ऐसा किया जा सकता है।

क्या इस साल आप सरकारी उधारी घटाएंगी?

अभी मैंने इस बारे में कोई फैसला नहीं किया है।

जीएसटी दरों में कटौती से महंगाई घटेगी। क्या आपको लगता है कि रिजर्व बैंक के पास दर घटाने की और गुंजाइश हो जाएगी?

वे अर्थव्यवस्था पर अपने अलग अनुमान लगाते हैं। दरों में इस कटौती का क्या असर होगा, इसका अनुमान भी वे लगाएंगे और उसी हिसाब से फैसला करेंगे। देखते हैं कि क्या होता है।

वर्तमान भू-राजनीतिक माहौल में वित्त मंत्रालय ही नहीं पूरी सरकार के लिए नीति बनाना कितना चुनौती भरा है?

चुनौती भरा तो है। लेकिन चुनौती केवल इसीलिए है क्योंकि आपको उसका अंदाजा नहीं है और न ही आपको यह पता है कि चुनौती किस तरह आएगी और कब तक रहेगी। इसलिए अनिश्चितता तो बहुत है और कितनी है, इसका मीटर नहीं बनाया जा सकता।

First Published - September 7, 2025 | 10:55 PM IST

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