सरकार ने सेमीकंडक्टर के विकास के लिए एक खाका तैयार किया है। इसमें अन्य बातों के अलावा ऐसी तकनीक हासिल करना शामिल है जो भारत को अगले 5 से 7 वर्षों में 7 नैनोमीटर (एनएम) और उससे ऊपर के उन्नत चिप का विनिर्माण करने में सक्षम बनाएगी।
फिलहाल, टाटा समूह 91,000 करोड़ रुपये के निवेश से देश का पहला वेफर फैब्रिकेशन कारखाना लगा रहा है, जिसमें 28 एनएम और उससे ऊपर के चिप का उत्पादन किया जाएगा। नैनोमीटर ट्रांजिस्टर के आकार को मापने की यूनिट है। जितना कम नैनोमीटर होगा ट्रांजिस्टर उतने ही अधिक गहनता से पैक होंगे। इससे चिप का प्रदर्शन बेहतर होगा, बिजली की खपत कम होगी और कार्यक्षमता अधिक होगी।
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमारे पास पहले से ही अगले 5 से 7 वर्षों में कंपनियों को 7 एनएम और उससे उन्नत चिप निर्माण में सक्षम बनाने के लिए स्पष्ट खाका है। हम प्रौद्योगिकी लाने की कोशिश कर रहे हैं और उस पर बातचीत चल रही है। हमारी 15 साल की योजना का उद्देश्य भारत को इस क्षेत्र में वैश्विक दिग्गज बनाना है।’ अधिकारी ने कहा कि आईबीएम और बेल्जियम की आईएमईसी के साथ बातचीत हुई है। आईएमईसी स्वतंत्र नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स अनुसंधान एवं विकास केंद्र है जो चिप को छोटा, तेज और अधिक किफायती बनाने के लिए भारत में सेमीकंडक्टर ईकोसिस्टम निर्माण के लिए तकनीकी सहायता मुहैया करा इस बारे में जानकारी के लिए आईएमईसी को ईमेल भेजा गया मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।
2023 में आईबीएम ने सेमीकंडक्टर में शोध को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार के साथ रणनीतिक साझेदारी पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते के तहत आईबीएम ने घरेलू शोध एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए अनुसंधान केंद्र स्थापित करने में भारत सेमीकंडक्टर मिशन को सहायता प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की थी।
वैश्विक स्तर पर आईबीएम ने सोनी, टोयोटा, देंसू और एनईसी जैसे हितधारकों के जापानी कंसोर्टियम रैपिडस कॉरपोरेशन के साथ कंपनी के फैब्रिकेशन प्लांट में उपयोग होने वाली 2 एनएम चिप की तकनीक विकसित करने के लिए भागीदारी की है। 2021 में आईबीएम ने घोषणा की कि उसने दुनिया की पहली 2 नैनोमीटर की छोटी चिप बनाई है।
सरकार ने भारत के सेमीकंडक्टर ईकोसिस्टम को विकसित करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करने हेतु आईएमईसी के साथ भी बातचीत की है। यह शोध संगठन टीएसएमसी, इंटेल और रैपिडस के साथ बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए चिप तकनीक का परीक्षण और विकास करने के लिए काम कर रहा है।
वैश्विक स्तर पर ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (टीएसएमसी) दुनिया का सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर विनिर्माता है। यह पहले से ही 5 एनएम और 3 एनएम चिप बना रही है। कंपनी की योजना इस साल की दूसरी छमाही में 2 एनएम चिप का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करने की है। टाटा समूह का भागीदार पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन (पीएसएमसी) वर्तमान में 28 एनएम और उससे ऊपर के चिप बनाती है और माना जा रहा है कि कंपनी 14 एनएम चिप पर भी काम कर रही है।
सरकार का लक्ष्य 2032 तक सेमीकंडक्टर में दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शामिल होना है। सरकार ने सेमीकंडक्टर योजना के पहले चरण में 18 अरब डॉलर के कुल निवेश के साथ 10 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इनमें से करीब 75,000 करोड़ रुपये सरकार द्वारा प्रोत्साहन के रूप में दिए जाएंगे।
भारत तेजी से बढ़ता सेमीकंडक्टर बाजार भी है। इंडिया एनर्जी स्टोरेज अलायंस के अनुसार 2030 तक देश में सेमीकंडक्टर की मांग 100-110 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो वैश्विक मांग का लगभग 10 फीसदी है।