India’s flash PMI: भारत का HSBC फ्लैश कंपोजिट आउटपुट इंडेक्स अक्टूबर में घटकर 59.9 पर आ गया है, जबकि सितंबर में यह 61.0 था। यह इंडेक्स मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के कम्पाइंड परफॉर्मेंस को मापता है। मई 2025 के बाद का यह सबसे निचला स्तर है। S&P ग्लोबल ने शुक्रवार को आंकड़े जारी किये।
यह सीजनली एडजस्टेड इंडेक्स महीने-दर-महीने दोनों सेक्टरों के कुल उत्पादन में बदलाव को ट्रैक करता है। अक्टूबर के आंकड़े बताते हैं कि विकास दर थोड़ी धीमी पड़ी है, हालांकि कुल मिलाकर ग्रोथ अब भी मजबूत बनी हुई है। बता दें, 50 से ऊपर का रीडिंग आर्थिक विस्तार (growth) को दर्शाता है। 50 से नीचे का आंकड़ा सुस्ती को दिखाता है। जबकि 50 पर कोई बदलाव नहीं माना जाता।
आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर में भारत के प्राइवेट सेक्टर कंपनियों को मिले नए ऑर्डर्स में तेज बढ़ोतरी देखी गई, लेकिन वृद्धि की रफ्तार पिछले पांच महीनों में सबसे धीमी रही। यह सुस्ती सर्विस सेक्टर की कमजोरी के कारण आई, हालांकि मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में सितंबर की तुलना में थोड़ा तेज सुधार दर्ज हुआ। सर्विस प्रोवाइडर्स ने बताया कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा, साथ ही बाढ़ और भूस्खलन जैसी परिस्थितियों ने बिक्री को प्रभावित किया।
इसके उलट, HSBC फ्लैश मैन्युफैक्चरिंग PMI सितंबर के 57.7 से बढ़कर अक्टूबर में 58.4 पर पहुंच गया, जो दो महीने का उच्चतम स्तर है। यह इंडेक्स नए ऑर्डर्स, उत्पादन, रोजगार, सप्लायर डिलीवरी टाइम्स और खरीदी गई सामग्री पर आधारित है, जो मैन्युफैक्चरिंग स्थितियों में सुधार का संकेत देता है।
HSBC की मुख्य भारत अर्थशास्त्री (Chief India Economist) प्रांजुल भंडारी ने कहा, “अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग PMI में हल्का सुधार देखा गया है, जो संभवतः GST दरों में कटौती और घरेलू मांग में सुधार का नतीजा है। नए ऑर्डर्स और उत्पादन, दोनों ही जनवरी-जुलाई औसत से ऊपर हैं। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ अभी भी निर्यात ऑर्डर्स और भविष्य की आशावादिता पर असर डाल रहे हैं।”
अक्टूबर में भारत के निजी क्षेत्र में रोजगार में हल्की बढ़ोतरी हुई, जो सितंबर जैसी ही गति से रही। यह अप्रैल 2024 के बाद की सबसे धीमी वृद्धि रही। कई कंपनियों ने कहा कि उनके पास वर्तमान मांग पूरी करने की पर्याप्त क्षमता है, इसलिए नए कर्मचारियों की भर्ती सीमित रखी गई।
अक्टूबर में भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की विदेशी मांग मजबूत रही, लेकिन सितंबर की तुलना में यह धीमी थी। यह मार्च के बाद सबसे कम वृद्धि दर रही। मैन्युफैक्चरिंग निर्यात ऑर्डर्स अब भी बढ़ रहे हैं, लेकिन उनकी गति मार्च के बाद सबसे कमजोर रही है।
अक्टूबर में भारतीय कंपनियों का आने वाले साल के लिए भरोसा बना हुआ है, हालांकि सेंटिमेंट इंडेक्स सितंबर की तुलना में थोड़ा घटा है। कई कंपनियों ने बढ़ती प्रतिस्पर्धा, बाजार की स्थिति और मांग में उतार-चढ़ाव को लेकर चिंता जताई है। फिर भी, वे उम्मीद कर रही हैं कि GST सुधार, नई मार्केटिंग रणनीतियाँ, प्रोडक्ट लॉन्च और टेक्नोलॉजी निवेश भविष्य में ग्रोथ को बढ़ावा देंगे।