गृह मंत्रालय ने गुरुवार को एक अधिसूचना जारी कर इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर (आई4सी) को आईटी अधिनियम 2000 की धारा 79(बी) (3) के तहत सीधे तौर पर टेकडाउन नोटिस जारी करने का अधिकार सौंप दिया है।
इसका मतलब है कि गृह मंत्रालय के तहत आई4सी यानी भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र को अब अवैध ऑनलाइन कंटेंट से जुड़े बिचौलियों और प्लेटफॉर्मों को टेकडाउन नोटिस भेजने का अधिकार होगा।
हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम से राष्ट्रीय स्तर पर साइबर अपराध से निपटने की प्रक्रिया आसान होगी, लेकिन वे इसे लेकर भी चिंतित हैं कि टेकडाउन नोटिस जारी करने के लिए समान अधिकार वाली कई एजेंसियां हो जाएंगी। सर्वोच्च न्यायालय में वकील रोहिनी मूसा ने कहती हैं, ‘इस कदम से आपराधिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे प्लेटफार्मों पर उपलब्ध डेटा, सूचना या किसी भी संचार के खिलाफ कार्रवाई में तेजी आएगी।’
उनका कहना है, ‘इससे पहले समान प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सहित कई हितधारक शामिल थे, जिसके परिणामस्वरूप उठाए गए किसी भी सक्रिय या उत्तरदायी कदम को विभिन्न एजेंसियों और हितधारकों से संपर्क करने के कारण विलंब का सामना करना पड़ता था।’
उन्होंने कहा कि यह ब्राउजिंग और इंटरनेट गतिविधियों को सुरक्षित बनाने की दिशा में ‘एक कदम आगे’ है, लेकिन साथ ही इसके परिणामस्वरूप भ्रम पैदा हो सकता है और कई एजेंसियों से ऑर्डरों की बहुलता हो सकती है।