टाटा मोटर्स (Tata Motors) द्वारा 10 जनवरी तक फोर्ड इंडिया (Ford India) के साणंद संयंत्र का अधिग्रहण पूरा करने की तैयारी के बीच चेन्नई के पास मरैमलै नगर में फोर्ड इंडिया का एक और कारखाना कर्मचारियों की ओर से संभावित कानूनी लड़ाई का सामना कर रही है। इस बंद इकाई के कम से कम 65 कर्मचारियों का एक समूह सेवरेंस पैकेज (नौकरी से निकाले जाने के ऐवज में मिलने वाली मुआवजा राशि) के बदले नौकरी मांगने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहा है।
करीब 2,000 कर्मचारियों में से 65 ने अभी तक सेवरेंस पैकेज स्वीकार नहीं किया है। कंपनी ने सोमवार को सरकार से काम बंद करने की मंजूरी मिलने के तुरंत बाद विरोध करने वाले इन पूर्व कर्मचारियों को सेवरेंस पैकेज हस्तांतरित कर दिया था। कहा जा रहा है कि इस इकाई का कामकाज बंद होने से इन इलाकों में लगभग 40,000 नौकरियों पर असर पड़ सकता है क्योंकि यह कारखाना उन कई सहायक इकाइयों और स्थानीय अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है, जो असंगठित श्रमिकों को रोजगार देती है।
इन 65 श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनियन में शामिल के कुमार ने कहा ‘हमने कोई सेवरेंस पैकेज स्वीकार या हस्ताक्षर नहीं किया है। जब हमारी याचिका (2ए) श्रम विभाग के पास लंबित थी, तब उन्होंने भुगतान जारी किया। अब हम अदालत का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रहे हैं।’
यह समूह अधिकारियों से विफलता रिपोर्ट मांगने और अदालत से गुहार लगाने की योजना बना रहा है। मरैमलै नगर में कर्मचारियों के लिए पैकेज के संबंध में अनिश्चितता 9 सितंबर, 2021 को शुरू हुई थी, जब फोर्ड इंडिया ने घोषणा की थी कि वह भारत में अपनी इकाइयों को चरणबद्ध तरीके से हटा रही है और देश छोड़ रही है।
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कंपनी के एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर कहा ‘वे माने या सहमत नहीं हुए। इसलिए सरकार से काम बंद करने की मंजूरी मिलने के बाद कल (2 जनवरी) को समूह के 65 सदस्यों को सेवरेंस भुगतान दिया गया है। प्रत्येक व्यक्ति को कवर लेटर, सेवरेंस भुगतान के घटकों को दर्शाने वाली तालिका, सेवा पत्र और कार्यमुक्ति पत्र के साथ एक ईमेल भेजा गया है। मंगलवार को एक हार्ड कॉपी उनके आवास पर पंजीकृत डाक के जरिये उनके घर पहुंच जाएगी।’
यूनियनों और कंपनी के बीच हुए समझौते के अनुसार प्रत्येक कर्मचारी के लिए सेवरेंस की कुल राशि न्यूनतम 34.5 लाख रुपये और से लेकर अधिकतम 86.5 लाख रुपये के दायरे में थी।