इस उथल-पुथल भरे दौर के बीच, भारतीय फिनटेक कंपनियां घरेलू स्टार्टअप की मदद के लिए आगे आई हैं। वैकल्पिक फंडिंग प्लेटफॉर्म रेक्यूर क्लब ने सिलीकॉन वैली बैंक संकट से प्रभावित सभी भारतीय संस्थापकों को 1.5 करोड़ डॉलर कोष मुहैया कराने की घोषणा की है, जिसके लिए किसी तरह का प्लेटफॉर्म शुल्क नहीं वसूला जाएगा।
कंपनी भारतीय स्टार्टअप को उनकी पेरॉल और अल्पावधि कार्यशील पूंजी जरूरतें पूरी करने के लिए वित्तीय समाधान मुहैया कराने की दिशा में काम कर रही है। कंपनियों को यह वित्तीय मदद इक्विटी घटाए बगैर डेटा भेजने के 48 घंटे के अंदर मिल सकेगी। इसके अलावा रेक्यूर क्लब गिफ्ट सिटी में बैंक खाते खोलने की प्रक्रिया भी आसान बना रही है।
हालांकि SVB खातों से जुड़े भारतीय स्टार्टअप की सही संख्या का पता नहीं चला है, लेकिन रेक्यूर क्लब के अनुमानों में कहा गया है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा भारतीय सास कंपनियों की अमेरिका में मौजूदगी है, जिनमें ज्यादातर का SVB के साथ बैंकिंग संबंध रहा है।
रेक्यूर क्लब ने एक बयान में कहा है कि अनुमान है कि 1,000 से ज्यादा भारतीय स्टार्टअप SVB संकट से परोक्ष तौर पर प्रभावित हुए और इससे ज्यादा ऐसी कंपनियां होंगी जो अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकती हैं।
रेक्यूर क्लब के सह-संस्थापक एकलव्य गुप्ता का मानना है कि इस घटनाक्रम से बड़े पैमाने पर विविधता को बढ़ावा मिलेगा, चाहे बात ग्राहकों, बैंकिंग की हो या व्यवसाय से जुड़े निवेशकों की।
पेमेंट दिग्गज रेजरपे घरेलू स्टार्टअप को अपनी सेवाएं मुहैया कराती है। ये स्टार्टअप अपनी पूंजी कंपनी के भागीदार बैंकों के जरिये FDI के तौर पर भारतीय करंट अकाउंट में भेजने के लिए इसकी सेवा का इस्तेमाल करते हैं। गैर-उपयोगकर्ताओं के लिए, कंपनी उनका पैसा संबद्ध भागीदार बैंकों के जरिये नोस्ट्रो अकाउंट में भेजने में उनकी मदद करती है।
रेजरपे के एक अधिकारी ने कहा, ‘मौजूदा SVB संकट से हमारे भारतीय टेक स्टार्टअप के लिए अनिश्चितता पैदा हो गई है। हम अपने सदस्य स्टार्टअप की मदद के लिए एक समर्पित रेजरपेएक्स डेस्क तैयार कर रहे हैं, जिससे कि वे अमेरिकी बैंकों से अपना पैसा भारत भेज सकें।’
अगले 30 दिनों में पेरोल में विफल रहने की आशंका से जूझ रही कंपनियों के लिए रेजरपे उनकी समस्याएं आंतरिक तौर पर सुलझाने में मदद कर रही है। एक अधिकारी ने कहा, ‘हमारी टीमें संस्थापकों में पैदा हुई घबराहट कम करने के लिए हरसंभव समाधान तलाशने की दिशा में हमारे बैंकिंग भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रही हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि यदि हम एक साथ आगे नहीं आए तो ये स्टार्टअप अपने अस्तित्व पर खतरा महसूस कर सकते हैं।’
मौजूदा समय में SVB में रकम फंसी होने की समस्या से जूझ रहे स्टार्टअप के लिए रेजरपे उन्हें पेरोल की समस्या सुलझाने के लिए ऋण भी मुहैया करा रही है। रेजरपे कंपनियों को अपना कोष स्थानांतरित करने के लिए वैकल्पिक बैंक खाते खोलने में भी मदद कर रही है।
स्टार्टअप कंपनियों के संस्थापकों का मानना है कि भविष्य में स्टार्टअप तैयार करने के लिए मौजूदा बदलाव का अनुभव एक बेहद महत्वपूर्ण सबक होगा। उन्होंने कहा, ‘यदि SVB का परिचालन एक बड़े बैंक के बैनर तले बरकरार रहता है तो मध्यावधि में हालात सुधर सकते हैं। लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो कंपनियों को अन्य बैंकिंग भागीदार तलाशने पड़ सकते हैं, जो स्टार्टअप-अनुकूल नहीं भी हो सकते हैं। एसबीवी से प्रतिस्पर्धा करने वाले अन्य छोटे और मझोले आकार के बैंकों की मांग बढ़ सकती है।’
खन्ना के अनुसार, भारतीय स्टार्टअप तंत्र पर प्रभाव बहुत ज्यादा गंभीर नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी बाजार में परिचालन कर रहे भारतीय स्टार्टअप को कुछ समस्याएं पैदा होंगी, खासकर ऐसी कंपनियों के लिए, जिनका SVB के साथ बैंकिंग रिश्ता था। SVB को भारत में लाइसेंस हासिल नहीं है, और न ही उसका भारत में परिचालन है। भारत में परिसंपत्ति वर्ग के तौर पर उद्यम ऋण पर प्रभाव भी ज्यादा गंभीर रहने का अनुमान नहीं है।’