वित्त वर्ष 24 में ई-दोपहिया की बिक्री नीति आयोग के 23 लाख के लक्ष्य से भारी अंतर से पीछे रह सकती है क्योंकि उद्योग अब तक केवल करीब 8,00,000 वाहन ही बेच पाया है।
उद्योग के सूत्रों का कहना है कि अपेक्षाकृत इस धीमी विकास दर के पीछे कई कारण हैं – जैसे छोटी स्टार्टअप बाजार में पहचान के लिए संघर्ष कर रही हैं। प्रमुख कंपनियों को फेम सब्सिडी की राशि के लिए जूझना पड़ा है और भारी छूट की वजह से अस्थायी वृद्धि हुई है, लेकिन साथ ही उत्पादों और ब्रांडों के मूल्य में गिरावट आई है।
फरवरी तक भारतीय बाजार में बेचे गए इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की संख्या 8,06,000 से अधिक रही जबकि पिछले साल इसी समय के दौरान यह संख्या 6,41,000 थी। हालांकि पिछले साल की तुलना में यह 26 प्रतिशत की वृद्धि है। अलबत्ता ई-दोपहिया उद्योग न केवल नीति आयोग के 23 लाख के लक्ष्य से पीछे रहेगा, बल्कि वित्त वर्ष 23 के 10 लाख के लक्ष्य को भी पूरा करने में विफल रहेगा।
बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में हीरो इलेक्ट्रिक के मुख्य कार्य अधिकारी सोहिंदर गिल ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में ई-दोपहिया बिक्री का आंकड़ा 10 लाख से कम रहने का अनुमान है, जो नीति आयोग के 20 लाख से अधिक के महत्वाकांक्षी पूर्वानुमान की तुलना में खासा कम है।
आम तौर पर छोटी स्टार्टअप कंपनियों को बाजार में अपनी मौजूदगी स्थापित करने के लिए जूझना पड़ा है जबकि हीरो इलेक्ट्रिक, एम्पीयर, ओकिनावा और रिवोल्ट जैसे बड़ी कंपनियों का दबदबा रहा है।
गिल ने कहा कि हाल के वर्षों में ओला, एथर, टीवीएस और बजाज जैसी कड़ी प्रतिस्पर्धी सामने आई हैं, जिन्होंने हीरो इलेक्ट्रिक और ओकिनावा जैसे अग्रणी ब्रांडों को किनारे कर दिया है। बीएनपी पारिबा के आंकड़ों से पता चला है कि ओला की बाजार हिस्सेदारी अप्रैल 2022 की 24.3 प्रतिशत से बढ़कर फरवरी 2024 में 42.3 प्रतिशत हो गई है। इस बीच इसी अवधि में हीरो इलेक्ट्रिक की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत से घटकर 0.4 प्रतिशत हो गई।
टीवीएस और बजाज ऑटो ने फरवरी 2024 तक ई-दोपहिया बाजार में क्रमशः 17.5 प्रतिशत और 15.2 प्रतिशत के साथ बाजार हिस्सेदारी में लगातार वृद्धि की है।