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अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप पर ED की छापेमारी खत्म, ग्रुप की कंपनियों ने कहा- हम जांच में कर रहे पूरा सहयोग

ED ने अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों RInfra और RPower पर छापेमारी पूरी की और बैंक लोन धोखाधड़ी के 3,000 करोड़ रुपये के मामले की जांच जारी रखी है।

Last Updated- July 27, 2025 | 6:22 PM IST
Anil Ambani
रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी | फाइल फोटो

रिलायंस ग्रुप की दो कंपनियों, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (RInfra) और रिलायंस पावर (RPower) ने रविवार को बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके दफ्तरों और अन्य जगहों पर चल रही छापेमारी की कार्रवाई को पूरा कर लिया है। दोनों कंपनियों ने कहा कि वे जांच में पूरी तरह सहयोग कर रही हैं और आगे भी करती रहेंगी। कंपनियों ने अपने शेयर बाजार को दी गई जानकारी में बताया कि ED की इस कार्रवाई का उनके कारोबार, वित्तीय स्थिति, कर्मचारियों या शेयरधारकों पर कोई असर नहीं पड़ा है।

ED ने 24 जुलाई को रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों पर छापेमारी शुरू की थी। यह कार्रवाई मुंबई में तीन दिन तक चली और इस दौरान कई डॉक्यूमेंट्स और कंप्यूटर जब्त किए गए। जांच एजेंसी का कहना है कि यह कार्रवाई 3,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक लोन धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में की गई। इसके अलावा कुछ अन्य वित्तीय अनियमितताओं के आरोप भी जांच के दायरे में हैं।

Also Read: बैंक फ्रॉड में बड़ी कार्रवाई: ED ने यूको बैंक के पूर्व CMD सुबोध गोयल की ₹106 करोड़ की संपत्ति कुर्क की

क्या है पूरा मामला?

ED की जांच का मुख्य फोकस 2017 से 2019 के बीच यस बैंक से रिलायंस ग्रुप की कंपनियों को मिले करीब 3,000 करोड़ रुपये के लोन की कथित हेराफेरी पर है। सूत्रों के मुताबिक, इस रकम को गलत तरीके से डायवर्ट करने का शक है। इसके अलावा, रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और कैनरा बैंक के बीच 1,050 करोड़ रुपये से ज्यादा के कथित लोन फ्रॉड का मामला भी ED की जांच के दायरे में है। जांच में कुछ “अघटित” विदेशी बैंक खातों और संपत्तियों की भी पड़ताल की जा रही है।

सूत्रों ने यह भी बताया कि रिलायंस म्यूचुअल फंड द्वारा AT-1 बॉन्ड्स में 2,850 करोड़ रुपये का निवेश भी ED के रडार पर है। जांच एजेंसी को शक है कि इसमें कुछ गड़बड़ी हुई हो सकती है। AT-1 बॉन्ड्स बैंकों द्वारा पूंजी बढ़ाने के लिए जारी किए जाते हैं, जो सामान्य बॉन्ड्स की तुलना में ज्यादा जोखिम वाले होते हैं और इनके ब्याज दरें भी ज्यादा होती हैं। इसके अलावा, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े करीब 10,000 करोड़ रुपये के कथित लोन फंड डायवर्जन की भी जांच हो रही है।

कंपनियों ने साफ किया कि अनिल अंबानी RInfra और RPower के बोर्ड में शामिल नहीं हैं। इसलिए, RCOM या रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) पर हुई किसी भी कार्रवाई का इन दोनों कंपनियों की कार्यप्रणाली या प्रबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हाल ही में केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने RCOM और अनिल अंबानी को ‘धोखाधड़ी’ के रूप में चिह्नित किया है और इस मामले में CBI में शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है।

First Published - July 27, 2025 | 6:14 PM IST

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