विनिर्माण क्षेत्र में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) का वास्तविक महत्त्व तभी सामने आएगा जब फिजिकल एआई और ज्यादा परिपक्व स्तर पर पहुंचेगी। स्वचालन की वजह से कार्यकुशलता में वृद्धि पहले ही हासिल हो चुकी है। यह कहना है टीसीएस में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) और डिजिटल इंजीनियरिंग के प्रमुख श्रीनिवास चक्रवर्ती का।
बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, ‘इनमें से ज्यादातर बड़ी कंपनियां स्वचालन के मामले में अत्यधिक परिपक्व हैं। पिछले दो दशकों के दौरान स्वचालन ने आश्चर्यजनक काम किया है। तो किसी भी तरह की एआई इसके अलावा क्या उपलब्धियां देगी? लेकिन यह उपलब्धि आएगी फिजिकल एआई ।’
उम्मीद है कि अगला आयाम फिजिकल एआई बनेगी जो विनिर्माण उद्यमों को बदल देगी। यह रोबोट और वाहनों जैसी भौतिक प्रणालियों में सेंसर और एक्चुएटर के साथ एआई एल्गोरिदम को मिलाकर मशीनों को वास्तविक दुनिया में समझने, सीखने और कार्य करने की क्षमता प्रदान करती है। यह बदलाव ऐसे समय हो रहा है, जब विनिर्माता व्यापक अनिश्चितताओं, आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियों, बढ़ती लागत और श्रम की कमी से जूझ रहे हैं।
एनवीडिया का मानना है कि फिजिकल एआई 50 लाख करोड़ डॉलर के विनिर्माण और लॉजिस्टिक्स उद्योग में क्रांति लाएगी और ट्रकों से लेकर कारों तक सब कुछ रोबोटिक तथा एआई से एम्बेडेड होगा।
अलबत्ता चक्रवर्ती का कहना है कि इसके लाभों को तुरंत अंदाज लगाना मुश्किल है। उन्होंने कहा ‘उदाहरण के लिए आप कुछ डाउनटाइम से बच सकते हैं। इसलिए अगर आपकी ओईई (समूची उपकरण कारगरता) 80 प्रतिशत के स्तर पर है, तो आप निश्चित रूप से 85 या 90 प्रतिशत तक पहुंच जाएंगे। लेकिन अगर आप असली लाभ चाहते हैं तो ऐसा तब होगा जब फिजिकल एआई बड़े स्तर पर खुद को स्थापित करना शुरू कर देगी। आज यह गोदामों और अन्य स्थानों पर पहले से ही मौजूद है।’
इसी तरह उत्पाद इंजीनियरिंग के क्षेत्र में परीक्षण का सत्यापन और परिदृश्य सृजन काफी हद तक स्वचालित रूप से किए जा रहे हैं, लेकिन मूल उत्पाद को किसी सॉफ्टवेयर-परिभाषित उत्पाद में बदलने की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया, ‘एक बार ऐसा हो जाने के बाद आप एआई आधारित दृष्टिकोण से कितनी जल्दी सुविधाएं जोड़ सकते हैं। तभी वास्तविक मूल्य सामने आएगा। इसलिए मुझे लगता है कि आपके सटीक आंकड़ों तक पहुंचने से पहले अब भी कुछ समय लगने वाला है।’