Power Transmission: बड़े पैमाने पर बिजली पारेषण परियोजनाओं की निविदा के कारण बिजली उपकरणों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों को अगले 2 वित्त वर्ष की आपूर्ति के लिए ऑर्डर मिल गए हैं। अप्रैल से दिसंबर 2023 के बीच शुल्क पर आधारित प्रतिस्पर्धी बोली (टीबीसीबी) के तहत 60,000 करोड़ रुपये की 35 परियोजनाओं की पेशकश की गई है।
साल 2022 में 12,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की पेशकश की गई। ज्यादातर परियोजनाएं हरित ऊर्जा परियोजनाओं और क्षेत्रों को राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ने के लिए हैं।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के एक विश्लेषण के मुताबिक नवंबर 2023 तक बोली में मिला कुल लैवलाइज्ड टैरिफ 32,000 करोड़ रुपये था। विश्लेषण एजेंसी को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक 10,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं और आएंगी। इसमें कहा गया है, ‘पारेषण गतिविधियों में तेजी की वजह से पारेषण उपकरणों का कारोबार तेज हो गया है।’
सबसे ज्यादा परियोजनाएं सरकारी कंपनी पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन आफ इंडिया को मिली हैं। उसके बाद स्टरलाइट पावर, टाटा पावर और अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस का स्थान है, जिन्हें सरकार से बिजली पारेषण के ठेके मिले हैं।
स्टरलाइट पावर के प्रबंध निदेशक प्रतीक अग्रवाल का कहना है कि परियोजनाओं की बोली जारी रहने की उम्मीद है क्योंकि केंद्र सरकार ने 2030 तक गैर जीवाश्म पर आधारित 500 गीगावॉट बिजली के पारेषण के लिए करीब 2.44 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है।
ई मेल से भेजे गए जवाब में अग्रवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हम रणनीतिक तौर पर परियोजनाओं के लिए बोली लगाना जारी रखेंगे और ऐसी परियोजनाओं का चुनाव करेंगे, जो हमारी जटिलता और रिटर्न के मानदंडों के मुताबिक हो। पिछले कुछ महीने में हमने 6,000 करोड़ रुपये की 3 परियोजनाएं हासिल की हैं। अगले कुछ साल में निर्माणाधीन और परिचालन वाली कुल 50,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लक्ष्य रखा है।’
स्टरलाइट का भी ग्लोबल प्रोडक्ट ऐंड सर्विस (जीपीएस) कारोबार है। कंपनी हाई वोल्टेज कंडक्टर्स, केबल और ऑप्टिकल ग्राउंड वायर बनाती है, जो पारेषण नेटवर्क तैयार करने में इस्तेमाल होता है। अग्रवाल ने कहा कि कैलेंडर वर्ष 2023 में कंपनी ने 30 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की है।
अग्रवाल ने कहा, ‘हमारा ओपन ऑर्डर बुक 4000 से 6,000 करोड़ रुपये का है। हम उम्मीद करते हैं कि 25 से 30 प्रतिशत सालाना वृद्धि के साथ यह गति जारी रहेगी। हमने 2 साल में विनिर्माण राजस्व दोगुना कर 12,000 करोड़ रुपये की करने की योजना बनाई है। हम अपने मूल्यवर्धित और ज्यादा मुनाफे वाले उत्पादों सहित वैश्विक निर्यात पर ध्यान दे रहे हैं।’
केयरएज रेटिंग के डायरेक्टर मौलेश देसाई ने कहा, ‘बड़ी ईपीसी इकाइयों के लिए पारेषण क्षेत्र से ऑर्डर करीब 34,000 करोड़ रुपये (इसमें से 70 प्रतिशत ऑर्डर विदेश से) है। इसमें से वित्त 2023-24 के शुरुआती 9 महीनों में 20,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले हैं।’
अचानक ऑर्डर बढ़ने से यह क्षेत्र उत्साह में है। वहीं अचानक बड़े आकार के ऑर्डर और रिकॉर्ड निविदा के कारण इस सेक्टर के दिग्गजों की चिंता बढ़ गई है।
केईसी इंटरनैशनल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) विमल केजरीवाल ने पिछले साल नवंबर में कंपनी के परिणाम की घोषणा के दौरान कहा, ‘अचानक कारोबार में तेजी आई है और स्थिति पूरी तरह पलट गई है। ऐसे में हमारे सहित सभी आपूर्तिकर्ता तंद्रा में मिले।’
सितंबर 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक केईसी का ऑर्डर बुक टीऐंडडी सेग्मेंट (घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मिलाकर) 15,033.6 करोड़ रुपये का है।
सितंबर 2023 तिमाही में केईसी इंटरनैशनल को 5,400 करोड़ रुपये के नए ऑर्डर मिले हैं, जबकि सितंबर 2022 में 3,767,4 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले थे। कंपनी के प्रवक्ता से ताजा प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
केयरएज के देसाई का कहना है कि पारेषण सेग्मेंट में ऑर्डर में तेजी की 2 संभावित चुनौतियां हैं। पहली आपूर्ति श्रृंखला की चिंता को लेकर है।
देसाई ने कहा कि जिंसों की कीमत में उतार चढ़ाव खासकर भू राजनीतिक तनाव के कारण स्टील की आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान प्रमुख है, जिससे परियोजनाओं को समय से पूरा करने में देरी हो सकती है। भारत के पारेषण ऑर्डर में उपलब्धता चुनौती बनी हुई है।
कल्पतरु प्रोजेक्ट्स इंटरनैशनल के प्रबंध निदेशक मनीष मोहनोत ने नवंबर में कंपनी परिणाम की घोषणा के दौरान कहा कि पारेषण के मामले में आपूर्ति श्रृंखला को लेकर अब तक कोई व्यवधान नहीं आया है, लेकिन भूराजनीतिक स्थिति के कारण हम अब सावधान रहना चाहते हैं और अगर ढुलाई को लेकर कोई मसला आता है तो हमें सावधान रहना होगा। इस मसले पर कंपनी के प्रवक्ता प्रतिक्रिया देने के लिए उपलब्ध नहीं हो सके।