जयप्रकाश एसोसिएट्स की लेनदारों की समिति के आने वाले दिनों में बोलीदाताओं की संशोधित समाधान योजना पर मतदान करने की संभावना है। इससे पहले शुक्रवार को हुई नीलामी में दिवालिया कंपनी के लिए वेदांत लिमिटेड की बोली सबसे बड़ी पाई गई थी।
वेदांत ने जेएएल के पोर्टफोलियो के लिए 17,000 करोड़ रुपये (करीब 2 अरब डॉलर) की पेशकश की है जिसमें दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 4,000 एकड़ जमीन, 2,200 मेगावॉट के बिजली संयंत्र में हिस्सेदारी, 1 करोड़ टन क्षमता वाली सीमेंट इकाई, एक यूरिया संयंत्र, पांच होटल और ईपीसी परिचालन शामिल हैं। वेदांत ने लेनदारों को 12,505 करोड़ रुपये का शुद्ध वर्तमान मूल्य देने की पेशकश की है जबकि अदाणी ने 12,005 करोड़ रुपये की पेशकश की है।
दौड़ में शामिल अन्य बोलीदाता थे – अदाणी समूह, डालमिया समूह, जिंदल स्टील ऐंड पावर लिमिटेड और पीएनसी इन्फ्राटेक। बोलीदाताओं में से अदाणी और डालमिया को पहले ही भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से मंजूरी मिल चुकी है जबकि जिंदल पावर और पीएनसी इन्फ्राटेक के प्रस्तावों की समीक्षा की जा रही है। वेदांत को अभी सीसीआई से मंजूरी लेनी है।
नुवामा की एक रिपोर्ट में आज कहा गया है कि अगर वेदांत को लेनदारों की मंजूरी मिल जाती है तो अदालत की मंजूरी के बाद उसे लगभग 4,000 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान करना होगा, जिसमें 8-10 महीने लग सकते हैं। बाकी रकम का भुगतान पांच वर्षों में करना होगा।
यह बोली बिना शर्त है जिसका अर्थ है कि वेदांत को यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण के साथ बकाया राशि के भुगतान पर मुकदमेबाजी जैसे लंबित विवाद भी मिलेंगे। लेनदारों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपना मत देने से पहले धन के स्रोतों, प्रस्तावों की व्यवहार्यता और रिकवरी की संभावनाओं पर विचार करेंगे।