भारतीय विमानन कंपनियों ने साल 2027 में लागू होने वाले नए वैश्विक उत्सर्जन मानकों – कोर्सिया के संबंध में आज चिंता जताई और लक्ष्यों को ‘अवास्तविक’ बताया। उन्होंने चेतावनी दी कि इन मानदंडों का भारतीय विमानन कंपनियों पर ‘खासा’ वित्तीय बोझ पड़ सकता है।
कोर्सिया (अंतरराष्ट्रीय विमानन के मामले में कार्बन ऑफसेटिंग और कमी की योजना) अंतरराष्ट्रीय विमानन से कार्बन उत्सर्जन को सीमित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र से संचालित अंतरराष्ट्रीय नागरिक विमानन संगठन (आईसीएओ) की वैश्विक पहल है। साल 2027 से शुरू होकर यह प्रमुख विमानन वाले अधिकांश देशों के मामले में अनिवार्य हो जाएगी। इसके तहत विमानन कंपनियों को पात्र कार्बन क्रेडिट खरीदकर साल 2020 के अपने स्तर से अधिक उत्सर्जन की भरपाई करनी होगी।
मेकमाईट्रिप फाउंडेशन के इंडिया ट्रैवल ऐंड टूरिज्म सस्टेनेबिलिटी कॉन्क्लेव-2025 में पैनल चर्चा के दौरान स्पाइसजेट के सीएमडी अजय सिंह ने कहा, ‘कोर्सिया ने असंभव लक्ष्य तय किए हैं। यह वास्तव में देशों को साल 2020 में उनके पास मौजूद विमानों की संख्या के उत्सर्जन स्तर तक सीमित करने की कोशिश है। जाहिर है, इसका विरोध किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘कोर्सिया के साल 2027 के लक्ष्य भारत जैसे देशों के लिए अवास्तविक और अनुचित हैं।