कंपनी विधि अपील पंचाट (एनसीएलएटी) ने बुधवार को पुष्टि की कि रियल्टी फर्म सुपरटेक की सहायक इकाई सुपरटेक रियल्टर्स के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही शुरू की जा सकती है। सुपरटेक भी कुछ अन्य समूह कंपनियों के साथ दिवालियापन की कार्यवाही से जूझ रही है।
एनसीएलएटी ने राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) दिल्ली पीठ के आदेश को बरकरार रखा। एनसीएलटी के दिल्ली पीठ ने 12 जून, 2024 को बैंक ऑफ महाराष्ट्र की याचिका पर सुपरटेक रियल्टर्स के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था, जिसमें 168 करोड़ रुपये की चूक का दावा किया गया था।
सुपरटेक ने वित्त पोषण के लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम से 735.58 करोड़ रुपये मांगे। परियोजना में आवासीय अपार्टमेंट, कार्यालय, खुदरा स्थान और एक लक्जरी होटल के आंशिक वित्त पोषण के लिए बैंक ऑफ महाराष्ट्र से 150 करोड़ रुपये का ऋण मांगा गया। 14 दिसंबर, 2012 को बैंक ने 150 करोड़ रुपये का टर्म लोन स्वीकृत किया।
जब कंपनी ऋण चुकाने में विफल रही, तो 28 सितंबर, 2018 को उसके खाते को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया। 8 अप्रैल, 2022 को, बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने सुपरटेक रियल्टर्स के खिलाफ धारा 7 के तहत एक आवेदन दायर किया, जिसमें 168 करोड़ रुपये की चूक का हवाला दिया गया। मामले के दौरान, सुपरटेक ने ऋण स्वीकार करते हुए 15 जून, 2022 को एकमुश्त निपटान (ओटीएस) की पेशकश की।
हालांकि बैंक ने ओटीएस को मंजूरी दे दी थी, लेकिन बाद में अनुपालन न करने के कारण इसे रद्द कर दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 नवंबर, 2022 को रद्दीकरण के खिलाफ सुपरटेक की चुनौती को खारिज कर दिया और 15 दिसंबर, 2022 को सर्वोच्च न्यायालय ने इसे बरकरार रखा। सुपरटेक ने 9 फरवरी, 2024 को एक और एकमुश्त भुगतान यानी ओटीएस किया, जिसमें कोटक एडवाइजर्स के सहयोग से सभी ऋणदाताओं के बकाया का निपटान करने के लिए 310 करोड़ रुपये की पेशकश की गई।