तेल से लेकर दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में कारोबार करने वाली प्रमुख कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने एक आंतरिक दस्तावेज में उद्योग संगठन एसोचैम से कहा है कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा छूट देने और कीमत के मोर्चे पर गलाकाट प्रतिस्पर्धा करने के लिए पूंजी डंपिंग की जा रही है। दस्तावेज में आरोप लगाया गया है कि इससे छोटे व्यापारियों और किराना दुकानों पर बेरोजगारी और भारी वित्तीय दबाव का संकट पैदा हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार, साल 2018 के प्रेस नोट 2 (पीएन 2) में विभिन्न सिफारिशों और प्रस्तावित बदलाव के बारे में बताया गया है और आरआईएल चाहती है कि एसोचैम सरकार के सामने इसे प्रस्तुत करे। पीएन 2 नोट के तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) वाली एमेजॉन और वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों से संबंधित मौजूदा नियमों में संशोधन किया गया है और उन्हें सख्त बनाया गया है।
यह सुझाव ऐसे समय में दिया गया है जब उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवद्र्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा ई-कॉमर्स नीति का मसौदा तैयार किया जा रहा है। इसके तहत देश में छोटे व्यापारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता को उजागर किया गया है क्योंकि करीब 8 करोड़ छोटे व्यापारी 40 करोड़ से अधिक भारतीयों को रोजगार प्रदान करते हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने भी उस दस्तावेज को देखा है। उसमें कहा गया है, ‘छूट और कीमत के मोर्चे पर गलाकाट प्रतिस्पर्धा करने के लिए विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा पूंजी डंपिंग की जा रही है जिससे छोटे व्यापारियों और किराना दुकानों पर व्यापक बेरोजगारी और वित्तीय दबाव का संकट पैदा हो सकता है।’ आरआईएल की ओर से यह सुझाव 12 मार्च को एसोचैम को भेजा गया था।
दस्तावेज में कहा गया है कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपने मार्केट प्लेटफॉर्मों के संचालन के लिए भारत में लाखों करोड़ रुपये खर्च किए हैं। दस्तावेज में कहा गया है कि यह बिल्कुल अटपटा लग रहा है कि महज खरीदारों और विक्रेताओं को जोडऩे वाला प्लेटफॉर्म मार्केटप्लेस पर इतना अधिक खर्च कर रहे हैं। ऐसे में यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि विदेशी ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस कंपनियां कीमत के मोर्चे पर गलाकाट प्रतिस्पर्धा करने के लिए बड़े पैमाने पर पूंजी डंपिंग कर रही हैं।
ऑफलाइन खुदरा विक्रेताओं द्वारा एमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों पर अक्सर आरोप लगाया जाता रहा है कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं द्वारा गुपचुप तरीके से भारी छूट उपलब्ध कराकर कीमत के मोर्चे पर गलाकाट प्रतिस्पर्धा कर रही हैं जो एफडीआई नियमों का उल्लंघन है। लेकिन ई-कॉमर्स कंपनियों ने इस प्रकार के आरोपों का खंडन किया है। ई-कॉमर्स उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि ऐसा कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है जिससे पता
चल सके कि ई-कॉमर्स कंपनियों के पूंजी डंपिंग से कथित तौर पर ऐसे परिणाम सामने आए हैं।
आरआईएल अपने ई-कॉमर्स कारोबार जियोमार्ट के जरिये एमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा कर रही है। वे सभी अपने ऑनलाइन और ऑफलाइन कारोबार को एकीकृत करने पर जोर दे रही हैं। सूत्रों ने बताया कि देश के 1.2 लाख करोड़ डॉलर के खुदरा बाजार में ऑनलाइन की हिस्सेदारी महज 7 फीसदी है और शेष 93 फीसदी हिस्से में अधिक से अधिक पैठ बनाने पर इन कंपनियों की नजर है।
