सही अवसर मिलने पर एयरबस पर्यावरण के अधिक अनुकूल विमानन ईंधन (एसएएफ) के उत्पादन में तेजी लाने के लिए भारत में निवेश करने को इच्छुक है। यूरोप की इस विमान निर्माता कंपनी में एसएएफ के प्रमुख जूलियन मैनहेस ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में यह जानकारी दी।
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में एयरबस के कामों का उदाहरण देते हुए कहा ‘हम पैसा जुटाकर परियोजनाओं (एसएएफ उत्पादन) में तेजी लाने में मदद कर रहे हैं। हम ईंधन उत्पादक नहीं बनने जा रहे हैं, लेकिन जहां हमारा पैसा मदद कर सकता है, हम इसे निवेश करने पर विचार करने को तैयार हैं।’
क्वांटास एयरवेज, एयरबस और क्वींसलैंड सरकार ने मार्च 2023 में जैव ईंधन उत्पादन केंद्र में निवेश करने के लिए आपस में सहयोग की घोषणा की थी, जिसे जेट जीरो ऑस्ट्रेलिया और लैंजाजेट द्वारा विकसित किया जा रहा है। एयरबस और क्वांटास इस परियोजना में संयुक्त रूप से 13.4 लाख डॉलर का निवेश करेंगी।
उन्होंने कहा कि जैव ईंधन और विशेष रूप से एसएएफ उत्पादन के मामले में भारत खास स्थिति में है, जो न केवल घरेलू खपत के मामले में बल्कि यूरोप और प्रशांत महासागर के द्वीप देशों जैसे क्षेत्रों में निर्यात के लिए भी नया उद्योग हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसी वजह से सरकार को एसएएफ बाजार को हकीकत में तब्दील करने के लिए मददगार की भूमिका निभानी होगी।
इस सवाल पर कि क्या इसका मतलब यह है कि एसएएफ बाजार को शुरुआती बढ़ावा देने के लिए विनियमन को भूमिका निभानी होगी? उनका जवाब था ‘बिल्कुल’। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत में एसएएफ के व्यापक उत्पादन और खपत की शुरुआत के लिए नियामकी प्रयासों की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में एसएएफ और विमानन ईंधन (एटीएफ) के बीच कीमत का अंतर तीन से पांच गुना है और यही वजह है कि एसएएफ विमानन कंपनियों के लिए आर्थिक लिहाज से ज्यादा मायने नहीं रखता है।
उन्होंने कहा ‘यही वह आर्थिक समीकरण है, जिसे हमें हल करने की जरूरत है।’ किसी भारतीय विमान कंपनी के कुल खर्च में लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा ईंधन लागत होती है।
नवंबर 2023 में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति ने एसएएफ को एटीएफ में मिश्रित करने के लिए ‘सांकेतिक’ लक्ष्य रखा था।
समिति के अनुसार साल 2027 तक एटीएफ में कम से कम एक प्रतिशत एसएएफ मिलाया जाना चाहिए। शुरुआत में केवल अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए ऐसा किया जाएगा। इसके बाद साल 2028 तक इसे बढ़ाकर दो प्रतिशत करने का प्रस्ताव है।
पिछले साल जून में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (इंडियन ऑयल) ने हरियाणा में एसएएफ उत्पादन केंद्र स्थापित करने के लिए लैंजाजेट के साथ सहयोग की घोषणा की थी। मैनहेस ने कहा कि एयरबस स्थापित किए जा रहे ऐसे संयंत्रों पर बारीकी से नजर रख रही है। एयरबस का अनुमान है कि भारत साल 2030 तक सालाना 1.1 करोड़ टन से लेकर 1.4 टन तक एटीएफ की खपत करेगा।