अदाणी समूह के प्रवर्तकों ने आज अपनी चार कंपनियों में 15,446 करोड़ रुपये के शेयर अमेरिकी ग्लोबल इक्विटी निवेश फर्म जीक्यूजी पार्टनर्स को बेच दिए। प्रवर्तक इस रकम का उपयोग कर्ज चुकाने एवं अन्य कॉरपोरेट उद्देश्यों में करने की योजना बना रहे हैं।
प्रवर्तकों ने अदाणी एंटरप्राइजेज के 5,460 करोड़ रुपये और अदाणी पोर्ट्स ऐंड एसईजेड के 5,282 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। इसके अलावा अदाणी ग्रीन एनर्जी के 2,806 करोड़ रुपये के और बिजली वितरण कंपनी अदाणी ट्रांसमिशन के 1,898 करोड़ रुपये के शेयर बेचे गए। इस बिक्री के बाद अदाणी समूह के सभी शेयरों में तेजी दर्ज की गई। समूह की प्रमुख कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 2.7 फीसदी बढ़त के साथ 1,607 रुपये पर बंद हुआ।
जीक्यूजी पार्टनर्स के चेयरमैन एवं सीआईओ राजीव जैन ने कहा, ‘मैं अदाणी कंपनियों के शेयर खरीकर काफी उत्साहित हूं। अदाणी समूह की कंपनियां पूरे भारत और दुनिया में कई बड़ी एवं महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों का परिचालन करती हैं। गौतम अदाणी अपने जमाने के प्रतिष्ठित और बेहतरीन उद्यमी हैं। हमारा मानना है कि लंबी अवधि में इन कंपनियों के लिए विकास की संभावनाएं काफी अधिक हैं। हम उन कंपनियों में निवेश करते हुए खुश हैं, जो भारत की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा बुनियादी ढांचे की प्रगति में मदद करेंगी।’
अदाणी समूह के ग्रुप सीएफओ जुगशिंदर सिंह ने कहा कि समूह अपने बुनियादी ढांचा एवं सतत ऊर्जा, लॉजिस्टिक एवं ऊर्जा परिवर्तन के यूटिलिटी पोर्टफोलियो में रणनीतिक निवेशक के तौर पर जीक्यूजी की भूमिका का सम्मान करता है। उन्होंने कहा, ‘यह लेनदेन दर्शाता है कि अदाणी समूह की कंपनियों के प्रशासन, प्रबंधन एवं वृद्धि में वैश्विक निवेशकों का भरोसा बरकरार है।’
जीक्यूसी वैश्विक एवं उभरते बाजारों का एक प्रमुख निवेशक है। इस साल जनवरी में उसने 92 अरब डॉलर से अधिक की ग्राहक परिसंपत्तियों का प्रबंधन किया। ऑस्ट्रेलियाई स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध जीक्यूजी पार्टनर्स अदाणी पोर्टफोलियो की उन कंपनियों में निवेश कर रही है, जो भारत के सबसे बड़े हवाई अड्डा एवं बंदरगाह प्लेटफॉर्म का स्वामित्व रखती हैं और उनका परिचालन करती हैं। इन कंपनियों का भारत में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा पारेषण एवं वितरण प्लेटफॉर्म है, जो 2030 तक भारत की कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता में 9 फीसदी योगदान करेंगी।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्रमुख (खुदरा अनुसंधान) दीपक जसानी ने कहा, ‘इस सौदे से पता चलता है कि विदेशी संस्थागत निवेशक और प्रवर्तकों के बीच कुछ करार हुआ होगा क्योंकि उनके पास इतने अधिक शेयर हैं।’ उन्होंने कहा, ‘इस बीच अदाणी समूह के बारे में नकारात्मक खबरों के कारण शेयरों में गिरावट आई है जो कुछ निवेशकों के लिए आकर्षक कीमत हो सकती है।’