5Paisa के मुख्य कार्याधिकारी प्राकर्ष गगडानी ने पुनीत वाधवा के साथ साक्षात्कार में कहा कि एनएसई द्वारा ब्याज दर डेरिवेटिव के लिए बाजार कारोबार का समय बढ़ाए जाने से जहां ब्रोकिंग व्यवसाय की लागत बढ़ेगी, वहीं लंबे कारोबारी घंटों से नियमित कारोबारियों की चिंता बढ़ जाएगी। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
क्या आप मानते हैं कि अब बाजारों में गिरावट आ सकती है?
फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) बैठक से संकेत मिला है अमेरिकी फेडरल रिजर्व मुद्रास्फीति नियंत्रित करने के लिए निकट भविष्य में और ज्यादा दर वृद्धि को इच्छुक है। हालांकि वैश्विक बाजारों में इसका काफी हद तक असर दिख चुका है। निवेशकों को इस संबंध में और स्पष्टता का इंतजार करना होगा कि मुद्रास्फीति में कब नरमी आनी शुरू होगी। तब तक, हम बाजारों को सीमित दायरे में देख सकते हैं, और इसलिए हमें अल्पावधि में कुछ समय-आधारित गिरावट का अनुमान है।
छोटे निवेशक मौजूदा समय में बाजार को किस नजरिये से देख रहे हैं?
सेकंडरी बाजार के जरिये इक्विटी में रिटेल भागीदारी पूरे 2022 में धीमी रही। यदि आप एनएसई के कैश सेगमेंट के औसत दैनिक कारोबार (एडीटीओ) को देखें तो पता चलता हैकि यह अक्टूबर 2021 के 40,000 करोड़ रुपये की ऊंचाई से जनवरी 2023 में 50 प्रतिशत तक कमजोर पड़कर महज 20,000 करोड़ रुपये रह गया। इस अवधि में बाजार सीमित दायरे में भी बने रहे। इसलिए, छोटे निवेशक अब ज्यादा चिंतित हैं। एसआईपी के जरिये निवेश बढ़ रहा है। इक्विटी में रिटेल भरोसा दीर्घावधि नजरिये से मजबूत बना हुआ है, लेकिन वे प्रत्यक्ष तौर पर निवेश करने से सतर्कता बरत रहे हैं।
एनएसई ने ब्याज दर डेरिवेटिव्स के लिए ट्रेडिंग समय बढ़ाकर 5 बजे कर दिया है। कारोबारियों पर इसका क्या असर पड़ सकता है?
एक्सचेंजों ने बाजार के लंबे समय का प्रस्ताव रखा है और सभी हितधारकों के साथ परामर्श कर रहे हैं। ब्याज दर डेरिवेटिव्स का समय बढ़ाना इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है। अच्छी बात यह है कि इससे कारोबार बढ़ेगा और इसलिए ब्रोकरेज में भी इजाफा होगा। कारोबारियों को बाजारों में कारोबार के लिए ज्यादा समय मिलेगा और वे स्वयं को वैश्विक उतार-चढ़ाव से काफी हद तक बचाने में सफल रहेंगे। दूसरी तरफ, व्यवसाय करने की लागत भी बढ़ जाएगी, और परिचालन गतिविधियों में लगने वाला समय घट जाएगा।
अगली कुछ तिमाहियों में ब्रोकिंग उद्योग की राह कैसी रहने का अनुमान है?
ब्रोकिंग उद्योग हमेशा से बेहद प्रतिस्पर्धी क्षेत्र रहा है। पिछले तीन साल के दौरान यह पूरी तरह स्पष्ट हुआ है कि लोग डिस्काउंट ब्रोकरों की ओर तेजी से आकर्षित हुए हैं। वास्तव में, हम स्वयं को ‘डिस्काउंट ब्रोकर’ ही कहते हैं, लेकिन डिजिटल ब्रोकर जरूर मानते हैं। छोटे ग्राहकों के लिए संपूर्ण अनुभव किसी संपूर्ण सेवा प्रदाता के मुकाबले डिजिटल कंपनी के साथ ज्यादा बेहतर है, चाहे बात लागत की हो, आसान ट्रेडिंग की या तकनीकी दक्षता की। दूसरी बात, शीर्ष-10 ब्रोकर पूरे बाजार में 70-80 प्रतिशत भागीदारी बनाए हुए हैं जिससे निश्चित तौर पर समेकन को बढ़ावा मिल रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में, व्यवसाय करने की लागत भी तेजी से बढ़ी है। इसकी वजह यह है कि किसी प्लेटफॉर्म को चलाने के लिए तकनीकी निवेश बढ़ाने, नियामकीय बदलावों को ध्यान में रखते हुए कार्यशील पूंजी जरूरतों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है।
क्या आप उद्योग समेकन के बारे में और ज्यादा जानकारी दे सकते हैं?
मोटे तौर पर, आपके पास संपूर्ण बाजार को कवर करने वाली दो-तीन बड़ी कंपनियां होंगी, और एक खास सब-सेगमेंट में अन्य दो-तीन कंपनियां अपनी पहचान बनाएंगी। इसी तरह का रुझान ब्रोकिंग उद्योग में रहने की संभावना है। पिछले कुछ वर्षों में नियामकीय बदलावों की रफ्तार पहले के मुकाबले काफी तेज रही है।