निरमा समूह (Nirma Group) और प्रख्यात निजी इक्विटी कंपनियां बीएसई पर सूचीबद्ध ग्लेनमार्क लाइफ साइंसेज (Glenmark Life Sciences) को खरीदने की दौड़ में शामिल हो गई हैं। रसायन से लेकर सीमेंट क्षेत्र की दिग्गज निरमा यदि यह सौदा करने में सफल रहती है तो इसे समूह के हेल्थकेयर सेगमेंट को बड़ी ताकत मिलेगी।
कंपनी ने जुलाई 2016 में करीब 9,400 करोड़ रुपये में लाफार्ज इंडिया की परिसंपत्तियां खरीदकर सीमेंट क्षेत्र में सफलतापूर्वक दस्तक दी थी। उसने बाद में फरवरी 2020 में 5,500 करोड़ रुपये में इमामी सीमेंट की परिसंपत्तियां खरीदी थीं। कंपनी में ग्लेनमार्क की 82.8 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जिसका बाजार मूल्य मंगलवार तक 6,361 करोड़ रुपये था।
एक बैंक के अधिकारी ने कहा कि निरमा के अलावा, अमेरिकी निजी इक्विटी दिग्गजों – केकेआर, ब्लैकस्टोन और बीपीईए-ईक्यूटी ने भी कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। इस घटनाक्रम से जुड़े एक बैंकर ने कहा, ‘सभी कंपनियों ने अपनी प्रक्रिया पूरी कर ली है और पेशकश जल्द होने की संभावना है।’ग्लेनमार्क प्राप्त राशि का इस्तेमाल 2,904 करोड़ रुपये (इस साल मार्च तक) का अपना कर्ज घटाने में करेगी।
ग्लेनमार्क, केकेआर, ब्लैकस्टोन, और बीपीईए ईक्यूटी ने इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है। निरमा समूह को भेजे गए ईमेल संदेश का भी कोई जवाब नहीं मिला है। इस साल अप्रैल में, निरमा समूह ने करीब 350 करोड़ रुपये में स्टेरिकन फार्मा का अधिग्रहण किया। स्टेरिकन फार्मा आई ड्रॉप और कॉन्टैक्ट लेंस निर्माता है।
वर्ष 1969 में करसनभाई पटेल द्वारा डिटरजेंट एवं साबुन निर्माता के तौर पर स्थापित निरमा समूह मौजूदा समय में चर्चित रसायन, सीमेंट और डिटरजेंट निर्माता है। ग्लेनमार्क लाइफ साइंसेज के अधिग्रहण से हेल्थकेयर सेगमेंट में कंपनी के कारोबार विस्तार की योजनाओं को मदद मिलेगी। समूह ‘निरलाइफ हेल्थकेयर’ के अधीन चिकित्सा उपकरण कारोबार पहले ही बेच चुका है।
बैंकिंग सूत्रों का कहना है कि कंपनी को मार्च 2023 तिमाही में 621 करोड़ रुपये का शानदार राजस्व दर्ज करने की वजह से बोलीदाताओं से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। निरमा का राजस्व मार्च तिमाही में सालाना आधार पर 20.9 प्रतिशत बढ़ा।
मार्च तिमाही में कंपनी का सकल लाभ 341 करोड़ रुपये रहा, जो एक साल पहले की तुलना में 31.7 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2022-2023 के लिए कंपनी ने 2,161 करोड़ रुपये के राजस्व पर 467 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया।
निजी इक्विटी कंपनियां तेजी से बढ़ रहे भारतीय हेल्थकेयर क्षेत्र (खासकर महामारी के बाद से) में निवेश करने को उत्सुक हैं। अप्रैल में, सिंगापुर की टेमासेक ने मणिपाल हेल्थकेयर में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 59 प्रतिशत की। इस महीने के शुरू में, केयर हॉस्पिटल्स के अधिग्रहण को लेकर मैक्स हेल्थकेयर और क्वालिटी केयर के बीच कानूनी टकराव पैदा हो गया।