facebookmetapixel
अगर इंश्योरेंस क्लेम हो गया रिजेक्ट तो घबराएं नहीं! अब IRDAI का ‘बीमा भरोसा पोर्टल’ दिलाएगा समाधानइन 11 IPOs में Mutual Funds ने झोंके ₹8,752 करोड़; स्मॉल-कैप की ग्रोथ पोटेंशियल पर भरोसा बरकरारPM Kisan Yojana: e-KYC अपडेट न कराने पर रुक सकती है 21वीं किस्त, जानें कैसे करें चेक और सुधारDelhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण ने पकड़ा जोर, अस्पतालों में सांस की बीमारियों के मरीजों की बाढ़CBDT ने ITR रिफंड में सुधार के लिए नए नियम जारी किए हैं, टैक्सपेयर्स के लिए इसका क्या मतलब है?जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा बड़ा जाल फरीदाबाद में धराशायी, 360 किलो RDX के साथ 5 लोग गिरफ्तारHaldiram’s की नजर इस अमेरिकी सैंडविच ब्रांड पर, Subway और Tim Hortons को टक्कर देने की तैयारीसोने के 67% रिटर्न ने उड़ा दिए होश! राधिका गुप्ता बोलीं, लोग समझ नहीं रहे असली खेलIndusInd Bank ने अमिताभ कुमार सिंह को CHRO नियुक्त कियाहाई से 40% नीचे मिल रहा कंस्ट्रक्शन कंपनी का शेयर, ब्रोकरेज ने कहा- वैल्यूएशन सस्ता; 35% तक रिटर्न का मौका

पूंजीगत खर्च के लिए कमर कसें कंपनियां, RBI ने अर्थव्यवस्था पर जारी अपनी रिपोर्ट में दी नसीहत

Economic outlook: रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि सरकारी व्यय बढ़ने और और महंगाई का अनुमान कम होने के साथ ही तरलता की तंगी भी कम हो जाएगी।

Last Updated- February 20, 2024 | 11:31 PM IST
RBI

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर आज जारी अपनी रिपोर्ट में देसी कंपनी जगत को संभलने और कारगर तरीके से काम करने की नसीहत दी ताकि वह कम ब्याज दर का फायदा उठाकर पूंजीगत व्यय करे। इससे सरकार पर पड़ा पूंजीगत व्यय का बोझ हल्का हो जाएगा।

रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि सरकारी व्यय बढ़ने और और महंगाई का अनुमान कम होने के साथ ही तरलता की तंगी भी कम हो जाएगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जोखिम भार बढ़ने के बावजूद रेहन बगैर दिए गए ऋण में इजाफा होता रहेगा।

डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्र और आरबीआई के अन्य अधिकारियों द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कुल मिलाकर कंपनी जगत को बेहतर तरीके से काम करना चाहिए ताकि सरकार पर पड़ा पूंजीगत व्यय का बोझ हल्का किया जा सके और बजट में उधारी कम रखे जाने के कारण बाजार में मौजूद मौकों का फायदा उठाया जा सके। अंतरिम बजट 2024-25 के साथ ही उधारी की लागत कम होनी शुरू हो गई है क्योंकि उसे पूंजीगत व्यय से रफ्तार मिल रही है।’

रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि इस लेख में लेखकों के निजी विचार हैं और जरूरी नहीं कि आरबीआई के भी विचार भी वैसे ही हों।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जबरदस्त मुनाफे के बल पर भारतीय उद्योग जगत के बहीखाते दमदार हैं। उनका ऋण बोझ पहले जैसा है या कम हुआ है और रिटर्न अनुपात कई वर्षों की ऊंचाई पर है।

भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तेल एवं गैस और रसायन क्षेत्र में अचल परिसंपत्तियों में खासी वृद्धि हुई है। मगर सूचकांक के रिटर्न से अधिक रिटर्न वाले इस्पात और वाहन जैसे क्षेत्रों में अचल परिसंपत्तियों का सृजन काफी कम है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘विकास के अगले चरण को बढ़ावा देने के लिए कंपनी जगत से उम्मीद की जा रही है कि वह पूंजीगत व्यय का जिम्मा सरकार से अपने हाथ में ले लेगा।’ विश्लेषकों ने कहा है कि बिजली क्षेत्र में पूंजीगत व्यय की योजना काफी दमदार हैं, मगर वितरण कंपनियां भारी ऋण बोझ तले दबी हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने पिछले एक दशक के दौरान हरित ऊर्जा क्षेत्र में काफी प्रगति की है। देश में कुल स्थापित बिजली क्षमता में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी 43 फीसदी है। कंपनियों को खास तौर पर 2030 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावॉट तक बढ़ाने के लक्ष्य के साथ पूंजीगत व्यय बढ़ाने पर जोर देना चाहिए।

रिपोर्ट में यह भी उजागर किया गया है कि अर्थव्यवस्था में बढ़ती ऋण मांग और कम प्रावधान लागत के कारण बैंकों और बैंक-वित्त क्षेत्र की कंपनियों में लाभप्रदता तेजी से बढ़ रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि जोखिम भार बढ़ने के कारण पूंजी पर असर के बावजूद बैंकों के पास से बिना रेहन का कर्ज बढ़ा है।

आरबीआई ने नवंबर में पर्सनल लोन और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स लोन जैसे बिना रेहन के ऋण पर जोखिम भार 100 फीसदी से बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया था। इसी प्रकार बैंकों के क्रेडिट कार्ड के लिए जोखिम भार 125 फीसदी से बढ़ाकर 150 फीसदी कर दिया गया था। जहां तक एनबीएफसी का सवाल है तो उसके जोखिम भार को 100 फीसदी से बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया गया था। बैंकिंग नियामक ने अधिक रेटिंग (ए या अधिक) वाली एनबीएफसी को बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋण के जोखिम भार में भी 25 फीसदी की वृद्धि की थी।

आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार 17 नवंबर से 29 दिसंबर के बीच बैंकों ने एनबीएफसी को 59,040 करोड़ रुपये के ऋण दिए जबकि अन्य पर्सनल लोन श्रेणी में 37,222 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए गए। रिपोर्ट में आने वाले दिनों में बैंकों के शुद्ध ब्याज मार्जिन पर दबाव की आशंका भी जताई गई है।

रिपोर्ट मुद्रास्फीति के मोर्चे पर आशावादी दिख रही है। रिपोर्ट में अनाज और प्रोटीन श्रेणी से दबाव के प्रति आगाह करते हुए मुद्रास्फीति में कमी आने की उम्मीद जताई गई है।

First Published - February 20, 2024 | 11:25 PM IST

संबंधित पोस्ट