कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने कपास किसानों के खेतों में ड्रिप सिंचाई संयंत्रों की स्थापना के लिए आगामी बजट में 500 करोड़ रुपये का पैकेज दिए जाने की मांग की है। सीएआई कपास की पूरी मूल्य श्रृंखला के हिस्सेदारों का प्रमुख संगठन है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने एक बयान में कहा कि संगठन की सालाना आम बैठक (एजीएम) में कहा गया है कि भारत में 67 प्रतिशत कपास का उत्पादन वर्षा पर निर्भर इलाकों में होता है। ऐसे में कपास पूरी तरह से बारिश पर निर्भर है और फल और फूल आने के वक्त इसे पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है, जब कपास की फसल की कुल पानी की जरूरतों की 80 प्रतिशत जरूरत होती है।
उन्होंने कहा कि इसकी वजह से बारिश पर निर्भर इलाकों में कपास का उत्पादन सिंचित क्षेत्रों की तुलना में कम होता है। खासकर महाराष्ट्र में ऐसा होता है, जहां 95 प्रतिशत क्षेत्र बारिश पर निर्भर है। साथ ही मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात में भी बारिश के पानी की उपलब्धता कम रहती है।
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गनात्रा ने कहा, ‘इससे बाहर निकलने के लिए एसोसिएशन ने सरकार को बारिश पर निर्भर किसानों की मदद करने और उन्हें ड्रिप सिंचाई के इस्तेमाल करने को प्रोत्साहित करने की सिफारिश की है। ’
उन्होंने कहा कि सरकार अगर ऐसा करती है तो हमारे कपास की उपज बढ़ेगी और ड्रिप सिंचाई से प्रभावी रूप से सिंचाई हो सकेगी और पानी की कुल जरूरत में से 40 से 60 प्रतिशत पानी की बचत होगी। गनात्रा ने कहा, ‘भारत में ड्रिप सिंचाई से संबंधित संयंत्र लगाने की लागत बहुत ज्यादा है, ऐसे में हमने सरकार से अनुरोध किया है कि वह किसानों को बजट से कम से कम 500 करोड़ रुपये मुहैया कराए।’
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