टाइटन कंपनी के एथनिक वियर ब्रांड तनाएरा (Taneira) ने अगले तीन साल के दौरान अपनी परिधान श्रृंखला का विस्तार और बड़े शहरों और महानगरों में मूल्य-केंद्रित पहनावे की पेशकश करने की योजना बनाई है। कंपनी का इरादा अपनी बाजार हिस्सेदारी को बढ़ाकर एक अंक में ऊंचे स्तर तक ले जाने का है। इन मूल्य पेशकशों के साथ तनाएरा का लक्ष्य महिलाओं के एथनिक वियर के लिए सबसे पसंदीदा ब्रांड बनना है। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए ब्रांड ने पश्मीना स्टोल, दुपट्टे, सिले-सिलाए कुर्ते, बिना सिले हुए कुर्ते और लहंगे जैसी श्रेणियों में कदम रखा है।
तनाएरा के मुख्य कार्य अधिकारी अंबुज नारायण ने कहा, ‘इन नई श्रेणियों का योगदान बढ़ रहा है। हम अपनी मौजूदगी बढ़ा रहे हैं। इससे हमें एथनिक वियर श्रेणी में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने में मदद मिलेगी और अगले तीन साल में हमारी बाजार हिस्सेदारी दो प्रतिशत से बढ़कर आठ से 10 प्रतिशत हो जाएगी।’ साड़ी ब्रांड का मुख्य आधार बनी रहेगी, जो एथनिक वियर बाजार में प्रतिस्पर्धियों से इसकी पेशकश को अलग करने में मदद करेगी। नारायण ने कहा, ‘कुर्ता, लहंगा और सिले-सिलाए परिधानों की पेशकश के साथ हम युवा ग्राहकों को आकर्षित करना चाहते हैं। इस तरह उन्हें साड़ियों पर भी विचार करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं। तैयार परिधान हमारी साड़ियों के पूरक के रूप में काम करते हैं।’
ब्रांड को अपनी सूती साड़ियों में कामयाबी मिली है जिनकी कीमत 1,299 रुपये और 5,000 रुपये के बीच है। उसकी योजना अपनी मूल्य श्रेणी में पांच और कपड़ा क्षेत्र शामिल करने की है। फिलहाल तनाएरा तीन लाख रुपये तक की साड़ियों की पेशकश करता है। इन्हें 100 से अधिक कपड़ा क्षेत्रों से लिया जाता है। नारायण ने कहा, ‘मूल्य के लिहाज से करीब 60 प्रतिशत साड़ियां शादी-विवाह और त्योहार के सीजन में खरीदी जाती हैं, जिससे शादी-विवाह की तारीखें खास तौर पर महत्वपूर्ण हो जाती हैं।’
तनाएरा की योजना साल 2024-25 का समापन 85 स्टोर खोलने के साथ करने और सालाना 15 से 20 स्टोर जोड़ने की है। इसका लक्ष्य वित्त वर्ष 27 तक स्टोरों की संख्या 125 करना है। हालांकि प्रबंधन ने वित्त वर्ष 27 के लिए 1,000 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य तय किया है। लेकिन वित्त वर्ष 24 की पहली और दूसरी तिमाही में सुस्त मांग की वजह से इस साल का राजस्व प्रभावित हो सकता है। नारायण ने कहा, ‘हमें वित्त वर्ष 27 तक 750 करोड़ रुपये से लेकर 1,000 करोड़ रुपये की सीमा तक पहुंचने की उम्मीद है।’