केंद्रीय पूल में गेहूं की खरीद पिछले साल के आंकड़े को पार कर गई है। पंजाब और हरियाणा में कुछ दिन पहले जोरदार खरीद के कारण इस सत्र में पहली बार पिछले साल से अधिक खरीदारी हुई है।
1 अप्रैल से 22 मई तक के आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्रीय पूल में 262.9 लाख टन गेहूं खरीदा गया है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 261.6 लाख टन गेहूं खरीदा गया था।
प्रमुख मंडियों में आवक कम होने के साथ ज्यादातर विशेषज्ञों का कहना है कि इस सीजन में कुल खरीद 270 से 290 लाख टन के बीच रह सकती है, जो पिछले साल के 261.9 लाख टन से मामूली अधिक होगी। यह वित्त वर्ष 2025 के लिए 300 से 320 लाख टन खरीद के लक्ष्य की तुलना में बहुत कम है। इसका यह भी मतलब है कि लगातार तीसरे साल केंद्रीय पूल में भारत की आधिकारिक गेहूं खरीद लक्ष्य से कम रहेगी, जिसका इस्तेमाल गरीबों को अनाज देने के लिए किया जाता है।
खरीद में गिरावट की प्राथमिक वजह यह है कि किसान अपना उत्पाद ज्यादा दाम पर निजी खरीदारों को बेचना पसंद कर रहे हैं। गेहूं का स्टॉक उम्मीद से कम रहने पर कीमत बढ़ने की स्थिति में सरकार का हाथ बंधा रह सकता है और वह बाजार में प्रभावी तरीके से हस्तक्षेप नहीं कर पाएगी।
इस साल गेहूं खरीद में गिरावट की बड़ी वजह मध्य प्रदेश से कम खरीद है। मध्य प्रदेश से 80 लाख टन खरीदने का लक्ष्य था, जबकि करीब 48 लाख टन खरीदा गया है, जो पिछले साल हुई खरीद का करीब 33 प्रतिशत है।
ज्यादातर कारोबारियों का कहना है कि मध्य प्रदेश में गेहूं की फसल अनुमान से कम है।