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UP: खाद्य तेलों की मंहगाई पर व्यापारियों का हल्ला बोल, आयात शुल्क घटाने की मांग

लगातार बढ़ रही खाद्य तेलों की कीमतों के चलते जहां रसोई की थाली मंहगी हो रही है वहीं इसका असर रेस्टोरेंट, बेकरी व कई अन्य कारोबार पर भी पड़ा है।

Last Updated- January 20, 2025 | 5:14 PM IST
Edible oil

खाद्य तेलों की मंहगाई के खिलाफ उत्तर प्रदेश के व्यापारी संगठनों ने भी आवाज उठायी है और केंद्र सरकार से आयात शुल्क घटाने को कहा है। प्रदेश में पहली बार खुले बाजार में रिफाइंड तेल की कीमतें सरसो तेल से भी ऊपर चली गयी हैं। इस मंहगाई का असर सीधे घरेलू बजट पर दिख रहा है। कारोबारियों का कहना है कि बीते कुछ महीनों में ही खाद्य तेलों के दाम 13 से 15 फीसदी तक बढ़े हैं, और इसका असर रसोई से लेकर अर्थव्यवस्था तक पर नजर आने लगा है।

उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने खाद्य तेलों की मंहगाई के मामले में केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि आम जनता इससे परेशानी उठा रही है। उन्होंने कहा कि रसोई की रोजमर्रा की जरूरतों पर किसी तरह का कर होना ही नहीं चाहिए पर उल्टा यहां तो आयात शुल्क खासा बढ़ा दिया गया है। गुप्ता कहते हैं कि आयात शुल्क बढ़ने के चलते खाद्य तेलों की मंहगाई बढ़ी है और बाजार में मिलावटी सामान आने की आशंका बढ़ गयी है। उनका कहना है कि पाम ऑयल से लेकर अन्य तेलों के आयात शुल्क निर्धारण के मामले में सरकार को बीच का रास्ता निकालना चाहिए ताकि किसानों और ग्राहक दोनों का हित संरक्षित हो सके।

गौरतलब है कि राजधानी लखनऊ के खुदरा बाजारों में दीवाली से शुरू हुई खाद्य तेलों की तेजी थमने का नाम नहीं ले रही है और इन दिनों इसके दाम सरसों तेल के आसपास चल रहे हैं। पांडेगंज थोक गल्ला मंडी में खाद्य तेलों में कुछ ब्रांड के दाम सरसों तेल के मंहगे हो चले हैं।

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व्यापार मंडल के वरिष्ठ पदाधिकारी रहे हरीशंकर मिश्रा का कहना है कि केंद्र सरकार ने पाम ऑयल और अन्य खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है जिसका असर बाजार में दिखने लगा है। उनका कहना है कि खाद्य तेलों में आयी तेजी का असर रेस्टोरेंटों से लेकर बेकरी और यहां तक कि कास्मेटिक्स बनाने वालों पर भी पड़ा है।

मिश्रा के मुताबिक पाम ऑयल का इस्तेमाल कई तरह के साबुन, बिस्कुट से लेकर नमकीन और अन्य चीजों को बनाने में होता है। आयात शुल्क बढ़ने से पाम ऑयल काफी मंहगा हुआ है जिसका असर सभी पड़ना लाजिमी है। वो बताते हैं कि सरकार द्वारा सितंबर में आयात शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया गया जिसके बाद इसे परिष्कृत पाम तेल के लिए 32.5% और कच्चे तेल के वेरिएंट के लिए 20% तक कर दिया गया। संशोधन के बाद प्रभावी आयात शुल्क 13.75% से बढ़कर 33.75% हो गया।

First Published - January 20, 2025 | 5:14 PM IST

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