Rupee vs Dollar: अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में देरी के कारण बाजार में नकारात्मक माहौल बना हुआ है। इस कारण शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन रुपया नए निचले स्तर पर आ गया। डीलरों का कहना है कि जहां स्थानीय मुद्रा पर दबाव बना रहेगा, वहीं भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अत्यधिक अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए डॉलर बिक्री के जरिये हस्तक्षेप किए जाने की संभावना है। कारोबार के दौरान रुपया गिरकर 90.56 प्रति डॉलर पर आ गया। लेकिन कारोबार के अंत तक इसमें मामूली सुधार हुआ और यह पिछले बंद भाव 90.37 प्रति डॉलर के मुकाबले 90.42 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
कोटक सिक्योरिटीज के करेंसी और कमोडिटी प्रमुख अनिंद्य बनर्जी ने कहा, बॉन्ड और इक्विटी दोनों से एफपीआई की लगातार निकासी से रुपये पर दबाव बना हुआ है। जहां वैश्विक यील्ड में वृद्धि हो रही है, वहीं अमेरिकी डॉलर और जापानी येन के कैरी ट्रेडों की बिकवाली से भारतीय बॉन्ड दबाव का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं, जिनसे रुपये को बीच-बीच में राहत मिल सकती है। कुल मिलाकर हम हाजिर में डॉलर को 89.50 से 91.00 के व्यापक कारोबारी दायरे की उम्मीद करते हैं।
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शेयर बाजार और डेट दोनों सेगमेंट में विदेशी निवेश (एफपीआई) की निरंतर निकासी से डॉलर की मांग स्थिर बनी हुई है, जिससे रुपये पर दबाव बना हुआ है। डॉलर सूचकांक में नरमी, तेल की कीमतों में कमी और चीनी युआन की मजबूती जैसे सकारात्मक संकेतों के बावजूद रुपये को मजबूती हासिल करने में कठिनाई हो रही है।
भारतीय मुद्रा 2025 में एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा रही है, जो डॉलर के मुकाबले 5.32 फीसदी गिर गई है। दिसंबर में घरेलू मुद्रा में अब तक 1.07 फीसदी की गिरावट आई है।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने कहा, आरबीआई ने रुपये का 90.56 पर बचाव किया और उसे 90.27 तक लाया। लेकिन एफपीआई इक्विटी और डेट की बिक्री जारी रखे हुए हैं, जिससे रुपये पर डॉलर की खरीद का दबाव लगातार बना हुआ है।