केंद्र सरकार ने आज राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन को अधिसूचित ( notified) कर दिया है। यह बोर्ड देश में हल्दी और हल्दी उत्पादों के विकास और वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह बोर्ड हल्दी की खपत व निर्यात बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए बाजार विकसित करने के साथ ही नए उत्पादों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने का काम करेगा।
साथ ही बोर्ड विशेष रूप से मूल्य संवर्धन से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए हल्दी उत्पादकों की क्षमता निर्माण और कौशल विकास पर भी ध्यान केंद्रित करेगा। बोर्ड गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा मानकों के पालन को भी बढ़ावा देगा। हल्दी बोर्ड की गतिविधियां हल्दी उत्पादकों के क्षेत्र पर केंद्रित और खेतों के करीब बड़े मूल्यवर्धन के माध्यम से हल्दी उत्पादकों की बेहतर भलाई और समृद्धि में योगदान देंगी। जिससे हल्दी उत्पादकों को उनकी उपज के लिए बेहतर कीमत मिलेगी। मूल्य संवर्धन में बोर्ड की गतिविधियां यह भी सुनिश्चित करेंगी कि हमारे उत्पादक और प्रोसेसर उच्च गुणवत्ता वाले हल्दी और हल्दी उत्पादों के निर्यातकों के रूप में वैश्विक बाजारों में अपनी प्रमुख स्थिति को बरकरार रखेंगे।
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हल्दी बोर्ड से निर्यात को और मिलेगा बढ़ावा
हल्दी के विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 62 फीसदी से अधिक है। 2022-23 के दौरान, 380 से अधिक निर्यातकों द्वारा 20.74 करोड़ डॉलर मूल्य (करीब 1600 करोड़ रुपये) की 1.53 लाख टन हल्दी और हल्दी उत्पादों का निर्यात किया गया था। हल्दी बोर्ड के गठन से वर्ष 2030 तक देश से हल्दी का निर्यात बढ़कर 100 करोड़ डॉलर (करीब 8000 करोड़ रुपये ) डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। भारतीय हल्दी के लिए प्रमुख निर्यात बाजार बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और मलेशिया हैं।
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भारत दुनिया का सबसे बड़ा हल्दी उत्पादक
भारत दुनिया में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। वर्ष 2022-23 में 11.61 लाख टन (वैश्विक हल्दी उत्पादन का 75 फीसदी से अधिक) के उत्पादन होने का अनुमान है। भारत में 3.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती की गई थी। भारत में हल्दी की 30 से अधिक किस्में 20 से अधिक राज्यों में उगाई जाती है। हल्दी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु हैं।