यात्री ईवी क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी कंपनी टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स और टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का कहना है कि वे कैफे मानदंडों के तहत ‘काफी सुरक्षित’ हैं और आगामी कैफे मानदंडों के अनुपालन के लिए हाइब्रिड को शामिल करने की जरूरत नहीं है। इनका 45 प्रतिशत वॉल्यूम सीएनजी और ईवी जैसी वैकल्पिक या स्वच्छ तकनीकों से आता है। इसके अलावा टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स 4 मीटर से ज्यादा लंबी अपनी बड़ी कारों और एसयूवी के लिए सीएनजी तथा स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड दोनों ही विकल्पों का आकलन कर रही है। सीएनजी मामले में वे 4.3 मीटर की जगह पर बारीकी से नजर रख रही हैं जबकि बड़ी कारें हाइब्रिड के लिए ‘स्वाभाविक शुरुआती स्तर’ हैं।
दूसरी तिमाही के नतीजों के बाद पत्रकारों से बात करते हुए टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स और टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी शैलेश चंद्रा ने कहा, ‘इस बात पर हमारा हमेशा स्पष्ट रुख रहा है कि हमारा तकनीकी मिश्रण मजबूत है। हमारे मौजूदा पोर्टफोलियो का लगभग 45 प्रतिशत हिस्सा वैकल्पिक तकनीकों से आता है और यह आगे भी बढ़ेगा। हमें उम्मीद है कि साल 2030 तक हमारी 30 प्रतिशत से ज्यादा कारें ईवी होंगी। इसलिए कैफे मानदंडों के तहत हम पूरी तरह सुरक्षित हैं। कैफे अनुपालन के लिए हाइब्रिड की जरूरत नहीं है।’
फिलहाल वॉल्यूम में इलेक्ट्रिक वाहनों की 17 प्रतिशत और राजस्व में 28 प्रतिशत हिस्सेदारी है। कैफे ढांचे के तहत वाहन विनिर्माताओं के लिए पूरे बेड़े में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं और अनुपालन न करने पर ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) के जुर्माने का भी प्रावधान है।
सप्ताहांत में टाटा मोटर्स ने आगामी सिएरा एसयूवी का भी अनावरण किया, जो तेल-गैस इंजन और इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) दोनों मॉडलों में उपलब्ध होगी। साल 1991 में इस मान को पहली बार उतारा गया था। चंद्रा ने कहा कि वे इलेक्ट्रिफिकेशन के संबंध में ‘सक्रिय’ और हाइब्रिड के संबंध में ‘प्रतिक्रियाशील’ रहेंगे, लेकिन केवल तभी जब विशिष्ट श्रेणियों में प्रतिस्पर्धा के चलते इसकी जरूरत होगी।
टाटा मोटर्स के लिए सीएनजी बढ़ता हुआ क्षेत्र है और वह साल 2024 में 1,20,000 गाड़ियां बेच चुकी है जो इस कैलेंडर वर्ष में 1,50,000 के लक्ष्य की दिशा में बढ़ रही है। चंद्रा ने कहा कि छोटी श्रेणियों में सीएनजी ने डीजल की जगह ले ली है। इस तरह 4 मीटर से छोटी कारों में सबसे ज्यादा बदलाव देखा गया है।
उन्होंने कहा, ‘हमें बड़ी कारों में सीएनजी के लिए ज्यादा रुझान नहीं दिखा है क्योंकि डीजल अब भी उपलब्ध है तथा बेहतर टॉर्क और प्रदर्शन के कारण पसंदीदा विकल्प बना हुआ है। ऊंची श्रेणियों वाले ग्राहक बेहतर प्रदर्शन की तलाश में रहते हैं और इसलिए डीजल का दबदबा बना हुआ है।’