रिलायंस जियो द्वारा 5जी स्लाइसिंग पर नियामक स्पष्टता की दरकार पर चिंता जताने के बाद अब दूरसंचार नियामक नेट न्यूट्रैलिटी नियमों पर विचार-विमर्श कर सकता है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। स्लाइसिंग के जरिये एक निश्चित सेवा को उच्च गति, कम देरी और एक समर्पित बैंडविड्थ के साथ दिया जा सकता है और संभावित रूप से इस पर प्रीमियम शुल्क भी वसूला जा सकता है।
सूत्र ने कहा, ‘नेट न्यूट्रैलिटी पर नियमन बिल्कुल स्पष्ट है, लेकिन अगर और विशिष्टताओं की जरूरत है तो इस पर भी विचार किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि न्यूट्रैलिटी नियमों के अस्तित्व में आने के बाद से प्रौद्योगिकी काफी विकसित हुई है। उस वक्त 5जी स्लाइसिंग मौजूद नहीं थी, लेकिन अब प्रौद्योगिकी इसकी अनुमति देती है।
भारत की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो ने अंतरराष्ट्रीय मोबाइल दूरसंचार (आईएमटी) के लिए निर्धारित फ्रिक्वेंसी बैंड में रेडियो फ्रिक्वेंसी स्पेक्ट्रम की नीलामी पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को एक परामर्श पत्र सौंपा था। इसमें उसने बताया कि 5जी एसए और स्टैंडअलोन आर्किटेक्चर के तहत नेटवर्क स्लाइसिंग प्रौद्योगिकी पर आधारित टैरिफ उत्पाद पेश करने के प्रस्ताव मिल रहे हैं।
इस दूरसंचार कंपनी ने अपनी प्रस्तुति में कहा था, ‘नमूना प्रस्ताव एक तय अपलोड स्पीड स्लाइस और कम देरी वाले गेमिंग स्लाइस आदि के उत्पादों के लिए हैं।’ सिंगापुर जैसे अन्य वैश्विक बाजारों के उदाहरण, जो उच्च टैरिफ का भुगतान करने को तैयार उपयोगकर्ताओं को समर्पित गति के साथ 5जी नेटवर्क स्लाइस्ड नेटवर्क की पेशकश करते हैं, दूरसंचार कंपनियों के लिए व्यवहार्य मुद्रीकरण के अवसरों के रूप में सामने आए हैं।
रिलायंस जियो ने कहा, ‘ट्राई को ट्रैफिक प्रबंधन, 5जी में नेटवर्क स्लाइसिंग जैसे प्रौद्योगिकी केंद्रित नवाचारों, एक ही भौतिक ब्रॉडबैंड माध्यम पर खास और प्रबंधित सेवाओं को मान्यता देने के लिए एक लचीला दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।’ अमेरिका में संघीय संचार आयोग और ब्रिटेन में संचार कार्यालय या ऑफकॉम सहित वैश्विक नियामकों द्वारा किए गए परिवर्तनों की ओर इशारा करते हुए इसने कहा कि जहां ऑफकॉम ने विशेष सेवाओं, ट्रैफिक प्रबंधन और अधिकांश शून्य-रेटिंग ऑफर के रूप में प्रीमियम गुणवत्ता वाले खुदरा ऑफर की अनुमति दी है।
उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि कंपनी शायद सतर्कता बरतते हुए स्पष्टता की मांग कर रही है, क्योंकि वह कोई भी ऑफर पेश नहीं करना चाहती और यदि वह मौजूदा नेट न्यूट्रैलिटी मानदंडों का उल्लंघन करता है तो उसे वापस नहीं लेना चाहती।
नेट न्यूट्रैलिटी पर ट्राई के मौजूदा नियम मेटा (तत्कालीन फेसबुक) द्वारा 2014 में शुरू की गई फ्री बेसिक्स और एयरटेल जीरो जैसी शून्य-रेटिंग योजनाओं पर प्रतिबंध लगाते हैं, जो कुछ वेबसाइटों या ऐप्स तक मुफ्त इंटरनेट पहुंच प्रदान करती थीं। ये नियम सामग्री के आधार पर भेदभावपूर्ण शुल्कों पर भी प्रतिबंध लगाते हैं मगर ये दूरसंचार विभाग द्वारा सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निर्दिष्ट उचित ट्रैफिक प्रबंधन प्रथाओं की अनुमति देते हैं।