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Emkay Global का पूर्वानुमान: कैश मार्केट में बढ़ेगा पैसा, 2026 में भारतीय बाजार चमकेंगे दुनिया से ज्यादा

Emkay Global का अनुमान है कि 2026 में निवेशक डेरिवेटिव से नकद-बाजार की ओर रुख करेंगे और FII प्रवाह में मजबूती आएगी, जिससे भारतीय शेयर बाजार बेहतर प्रदर्शन करेगा

Last Updated- November 16, 2025 | 9:18 PM IST
Krishna Kumar Karwa, MD, Emkay Global Financial Services
एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज के प्रबंध निदेशक कृष्ण कुमार करवा

एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज के प्रबंध निदेशक कृष्ण कुमार करवा ने पुनीत वाधवा को टेलीफोन पर साक्षात्कार में बताया कि ब्रोकरेज के लिए बढ़ोतरी का अगला दौर सलाह आधारित, मूल्य-वर्धित पेशकशों से आएगा। इन पेशकश में व्यापक परिसंप​त्ति समाधान शामिल होंगे। इनसे राजस्व स्रोतों को बढ़ावा मिलेगा। बातचीत के अंश:

क्या 2026 में भी भारतीय शेयर बाजार वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की तुलना में सुस्त प्रदर्शन करेंगे?

पिछले 12 महीनों में निफ्टी 50 ने ज्यादातर प्रमुख उभरते बाजारों (ईएम) के सूचकांकों की तुलना में कमजोर प्रदर्शन किया है। लेकिन इसके लिए संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। दो साल की अवधि में मेक्सिको, ब्राजील, इंडोनेशिया और फिलिपींस सहित कई प्रमुख बाजारों ने भारत जितना या उससे कम रिटर्न दिया है (स्थानीय मुद्रा में)। बारीकी से देखें तो पता चलता है कि महत्त्वपूर्ण बेहतर प्रदर्शन मुख्य रूप से अमेरिका, ताइवान और कोरिया जैसे प्रौद्योगिकी-प्रधान बाजारों ने किया है। इससे प्रौद्योगिकी की गहराई और शोध एवं विकास क्षमताओं में भारत की मौजूदा कमी का पता चलता है।  

हमारा अनुमान है कि आयकर में कटौती, मौद्रिक नरमी और जीएसटी में कमी जैसे सरकारी प्रोत्साहनों की मदद से भारत 2026 में वैश्विक बाजारों से बेहतर प्रदर्शन करेगा। सरकार के इन कदमों से विवेकाधीन खपत में फिर से वृद्धि होगी और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी। अप्रैल 2024 और सितंबर 2025 के बीच देखी गई चक्रीय मंदी अब पीछे छूट चुकी है।  

मुख्य​ चिंताएं क्या हैं?

हालांकि मूल्यांकन ऊंचे बने हुए हैं, लेकिन यह चिंता तभी जायज है जब आय में ठहराव की ​स्थिति रहे। हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही से आय वृद्धि में सार्थक मजबूती आएगी।  लिहाजा, भारत की स्थिति ऐसे समय में अनुकूल होगी जब टैरिफ संबंधी व्यवधानों और अग्रिम मांग के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका है।

क्या आपको लगता है कि विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों की ओर ध्यान बढ़ाएंगे?

विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) अंततः वृद्धि की तलाश में रहते हैं, बशर्ते मूल्यांकन उचित हों। इक्विटी से निकासी के हाल के दौर में भी एफआईआई ने भारतीय ऋण बाजार में लगभग 8 अरब डॉलर का निवेश किया है जबकि इक्विटी से 17 अरब डॉलर की निकासी की है। यह देश से निकासी के बजाय भारत की वृहद और संरचनात्मक स्थिति में भरोसे का स्पष्ट संकेत है।

हमारा अनुमान है कि 2026 में भारतीय इक्विटी में एफआईआई निवेश में मजबूत सुधार दिखेगा। जैसे-जैसे वैश्विक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई)-आधारित व्यापार ऊंचे मूल्यांकन के कारण धीमा होगा, भारत धीमी होती वैश्विक परिस्थितियों में सबसे आकर्षक विकास वाले बाजारों में से एक के रूप में फिर से उभरेगा।

क्या अब मूल्यांकन उनकी चिंता का मसला नहीं है?

भारत के सापेक्ष मूल्यांकन प्रीमियम में बड़ा सुधार हुआ है। एमएससीआई ईएम के मुकाबले एमएससीआई इंडिया का एक वर्षीय अग्रिम पीई प्रीमियम तेजी से घटा है और अब यह अपने 10-वर्षीय औसत से काफी नीचे है। अगर हम पिछले पांच वर्षों पर विचार करें तो यह लगभग -1 स्टैंडर्ड डीविएशन स्तर के पास है। यह वैश्विक आवंटकों के लिए अनुकूल निवेश बिंदु होता है।

भारतीय ब्रोकिंग फर्मों के लिए वृद्धि के अगले स्रोत क्या हैं?

अगले वर्ष में हम डेरिवेटिव से नकद-बाजार निवेश की ओर बदलाव की उम्मीद करते हैं और जो ब्रोकर इस रुझान को अपनाएगा, वह सबसे अच्छी स्थिति में रहेगा। हालांकि नियामकीय पहलों से प्रतिफल में कमी आ सकती है, लेकिन बढ़ते वॉल्यूम से मार्जिन बचना चाहिए। बढ़ोतरी का अगला चरण सलाह-आधारित, मूल्यवर्धित पेशकशों पर आधारित होगा।

First Published - November 16, 2025 | 9:18 PM IST

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