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उत्पादन में कमी से मसालों में इस साल तेजी के आसार

Last Updated- December 10, 2022 | 1:41 AM IST

मौसमी परिस्थितियों के प्रतिकूल होने के कारण उत्पादन कम होने के अनुमानों से इस साल मसालों की कीमतों में तेजी बने रहने के आसार हैं। किसानों ने भी मसालों की जगह अन्य नकदी फसलों का रुख कर लिया है।
नेशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज की शिक्षा एवं शोध इकाई एनसीडीईएक्स इंस्टीटयूट ऑफ कमोडिटी मार्केट ऐंड रिसर्च की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, सभी मसालों के उत्पादन में लगभग 20 से 25 फीसदी की गिरावट हो सकती है।
बाजार सूत्रों के मुताबिक, फसल वर्ष 2008-09 में काली मिर्च का का उत्पादन 45,00 से 47,000 टन होने की संभावना है जबकि सामान्य फसल का उत्पादन आम तौर पर 50,000 से 55,000 टन होता है।
अनुमान है कि केरल में 25,000 टन और कर्नाटक में 20,000 टन काली मिर्च का उत्पादन होगा। तमिलनाडु में 2,000 टन काली मिर्च के उत्पादन की संभावना है। जाड़े का मौसम होने की वजह से काली मिर्च की घरेलू मांग अधिक रही है।
विश्व के सबसे बड़े काली मिर्च उत्पादक देश वियतनाम में इस सीजन की कटाई शुरू हो चुकी है और इस वर्ष 1,00,000 से 1,10,000 टन फसल होने का अनुमान किया जा रहा है। इस लिए, वैश्विक काली मिर्च बाजार में भारत अलग-थलग रह जाएगा क्योंकि उत्पादन के मामले में इसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार, वैश्विक आर्थिक संकट के कारण अप्रैल से दिसंबर 2008 की अवधि में काली मिर्च के निर्यात में 31 फीसदी की गिरावट आई और यह 19,100 टन रहा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी में मिर्च की कटाई शुरू हो चुकी है और यह अप्रैल तक चलेगी।
लाल मिर्च के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों की बात की जाए तो पिछले साल आंध्र प्रदेश में जहां 150 से 160 लाख थैलों (एक थैला=40 किलोग्राम) का उत्पादन हुआ था वहीं इस साल रकबे में कमी के कारण उत्पादन 25 से 30 फीसदी घट कर 110 से 115 लाख थैला होने का अनुमान है।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार, अप्रैल से दिसंबर की अवधि में लाल मिर्च का निर्यात 5.85 प्रतिशत घट कर 1,41,000 टन रह गया। रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले महीनों में मलयेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर और श्रीलंका के निर्यात मांगों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
इस साल फसल कम होने से लाल मिर्च के बाजार में तेजी रहने की संभावना है। कुसमय हुई बारिश से इस सीजन में फसल अपेक्षाकृत कम हुई है। प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों जै से कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में असमय बारिश से पहुंची क्षति के कारण लाल मिर्च के उत्पादन में कुल मिला कर लगभग 20 से 25 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
गुजरात में इस साल प्रतिकूल मौसम के कारण उत्पादन में 20 से 25 फीासदी की कमी के आसार से जीरा बाजार में भी मजबूती बने रहने का अनुमान है। इस मसाले का उत्पादन लगभग 14 से 15 लाख थैला होने की संभावना है।
भारतीय जीरे की फसल वैश्विक मांगों को पूरी करने के लिए सबसे पहले उपलब्ध होगी क्योंकि सीरिया और तुर्की जैसे प्रमुख उत्पादकों की फसल बाजार में जुलाई-अग्सत में आएगी। मसाला बोर्ड के अनुसार सीरिया, तुर्की और इरान में फसल प्रभावित होने के कारण अप्रैल से दिसंबर की अवधि में जीरे का निर्यात 51 प्रतिशत बढ़ कर 28,500 टन हो गया।
खराब मौसम और हल्दी किसानों के कपास की खेती का रुख करने से अनुमान है कि आने वाले सीजन में हल्दी का उत्पादन 40 लाख थैले से कम होगा जबकि पिछले साल 45 लाख थैलों का उत्पादन हुआ था।
साल 2009 के लिए हल्दी का पिछला बचा भंडार पांच लाख थैलों का है जबकि पिछले साल यह 12 लाख थैलों का था। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार अप्रैल से दिसंबर की अवधि में हल्दी का निर्यात 10 प्रतिशत बढ़ कर 40,000 टन हो गया।
मसाला उत्पादन  (टन में)
जिंस                                 2007-08                    2008-09*

काली मिर्च                     53,000-55,000        45,000-47,000
लाल मिर्च                      9,20,000                   7,35,000
जीरा                                90,000                      75,000
हल्दी                               1,80,000                   1,60,000

* अनुमान

First Published - February 19, 2009 | 10:20 PM IST

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