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पुतिन ने भारत-रूस व्यापार असंतुलन खत्म करने पर दिया जोर

रूस के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘रूस के लिए एक विश्वसनीय भागीदार’ और एक ‘संतुलित, बुद्धिमान" और ‘राष्ट्र-उन्मुख’ नेता बताया

Last Updated- October 03, 2025 | 10:40 PM IST
Modia and Putin
file photo

रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने अपने कैबिनेट के मंत्रियों को निर्देश दिया है कि वे भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार में असंतुलन को दूर करने के तरीके तलाश करें। साथ ही भारतीय दवाइयों और कृषि उत्पादों की खरीद पर लगी व्यापारिक बाधाओं को कम करने और भारत की निजी कंपनियों के साथ संबंध बढ़ाने की संभावनाओं पर भी काम करें।

पुतिन के ये निर्देश उनके मंत्रिमंडल के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि रूस और भारत दिसंबर के पहले सप्ताह में होने वाले भारत-रूस सालाना सम्मेलन में शिरकत करने के लिए रूस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर करने के इच्छुक हैं ताकि दोनों देश सभी क्षेत्रों में अपने सहयोग संबंध को और मजबूत कर सकें।

भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में कुआलालंपुर में ईस्ट एशिया सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मिलने वाले हों लेकिन रूस, भारत को वास्तव में पूरी मजबूती के साथ रूस-भारत सहयोग को लेकर अपनी प्रतिबद्धता बताना चाहता है। इसका उद्देश्य उन नुकसानों की भरपाई करना है जो भारत, रूस से तेल खरीदने के कारण व्हाइट हाउस द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त आयात शुल्क (टैरिफ) लगाए जाने से झेल रहा है।

गुरुवार को पुतिन ने कहा कि उन्होंने प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव को ‘व्यक्तिगत रूप से’ भारत के साथ व्यापार बढ़ाने और आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाने की पूरी क्षमता का विस्तार करने के लिए कहा है। रूसी समाचार एजेंसियों  तास, इंटरफैक्स और आरटी न्यूज चैनल ने शुक्रवार को बताया कि पुतिन ने मंटुरोव को भारत से संबंधित लॉजिस्टिक्स, भुगतान निपटान और व्यापार असंतुलन को खत्म करने जैसे मुद्दों को हल करने का निर्देश दिया है जिन्होंने वर्ष 2012 से 2024 तक उद्योग और व्यापार मंत्री के रूप में कार्य किया था।

भारत पर अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाए जाने के बारे में, पुतिन ने कहा कि भारत के लोग अपने देश को ऐसा निर्णय लेने के लिए धमकाए जाने को बर्दाश्त नहीं करेंगे जो उनके राष्ट्रीय हितों और प्राथमिकताओं के विपरीत हो। उन्होंने कहा, ‘(भारत) खुद को कभी भी किसी से अपमानित नहीं होने देगा। मैं प्रधानमंत्री मोदी को जानता हूं, वह भी ऐसा कोई फैसला नहीं करेंगे।’ पुतिन ने कहा, ‘दंडात्मक अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत को हो रहे नुकसान की भरपाई, रूस से कच्चे तेल के आयात से होगी, साथ ही एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में इसकी प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी।’

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 19 से 21 अगस्त तक मॉस्को की अपनी यात्रा के दौरान मंटुरोव के साथ मिलकर व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग की सह-अध्यक्षता की थी और उन्होंने भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार में असंतुलन का मुद्दा उठाया था जो भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के कारण रूस के पक्ष में बहुत अधिक झुका हुआ है।

जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ भी मुलाकात की थी, जहां उन्होंने रूस से आग्रह किया था कि वह गैर-टैरिफ बाधाओं और नियामकीय अड़चनों को ‘तेजी से’ दूर करे ताकि भारत से अधिक निर्यात किया जा सके और विशेष रूप से दवाइयों, कृषि और कपड़ा जैसे क्षेत्रों में मौजूदा व्यापार असंतुलन को दुरुस्त करने के कदम उठाए जाएं। रूस, भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है जबकि भारत, रूस का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।

गुरुवार को वालदेई इंटरनैशनल डिस्कसन क्लब की एक बैठक में पुतिन ने कहा कि भारत-रूस का द्विपक्षीय व्यापार दोनों देशों की क्षमता से बहुत कम है। उन्होंने कहा, ‘भारत के साथ हमारा व्यापार अभी करीब 63 अरब डॉलर है। क्या आप जानते हैं कि भारत की आबादी कितनी है? करीब 1.5 अरब की आबादी जबकि बेलारूस में 1 करोड़ की आबादी है। बेलारूस के साथ हमारा कारोबार करीब 50 अरब डॉलर का है और भारत के साथ यह करीब 63 अरब डॉलर है। यह निश्चित रूप से हमारी संभावित क्षमता के अनुरूप नहीं है।’

रूस के राष्ट्रपति ने ‘हमारी क्षमताओं और संभावित लाभों’ को साकार करने के लिए ‘समस्याओं की एक पूरी श्रृंखला’ को हल करने की आवश्यकता पर बात की। उन्होंने लॉजिस्टिक्स और फंडिंग से जुड़े मुद्दों की पहचान की, खासतौर पर भुगतान प्रसंस्करण की। उन्होंने कहा कि बाद वाला काम ‘ब्रिक्स के ढांचे के भीतर इसे द्विपक्षीय आधार पर रुपये का उपयोग करके, तीसरे देशों की मुद्राओं का उपयोग करके, या निपटान के इलेक्ट्रॉनिक रूपों का उपयोग करके किया जा सकता है।

रूस के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘रूस के लिए एक विश्वसनीय भागीदार’ और एक ‘संतुलित, बुद्धिमान” और ‘राष्ट्र-उन्मुख’ नेता बताया। पुतिन ने कहा कि उन्हें अपने विश्वसनीय संवाद में सहजता महसूस होती है।

पुतिन ने प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर सहयोग के लिए एक रूसी-भारतीय कोष स्थापित करने के सुझाव पर भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत के साथ साझा परियोजनाओं पर काम करते समय केवल अंतर-सरकारी संबंधों पर ही नहीं, बल्कि कारोबारों के स्तर पर संबंधों पर भी ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।

पुतिन ने कहा, ‘कुछ बातें हैं जो इस बात पर निर्भर करती हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था, सबसे पहले, एक शुद्ध रूप से निजी अर्थव्यवस्था है और यह निजी पहलों के आधार पर विकसित होती है। ऐसे में सरकार के बजाय सीधे कंपनियों के साथ ही करार करना पड़ता है। जबकि देश की सरकारें मूल रूप से इन संबंधों के नियमन में जुटी हुई हैं।’

First Published - October 3, 2025 | 10:35 PM IST

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